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लुधियाना में हिरासत में माैत का मामलाः पुलिस अधिकारी रिचा रानी सहित 3 के गैर जमानती वारंट जारी

ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट दविंदर सिंह की अदालत ने पुलिस थाने में कथित तौर पर की गई मारपीट के बाद जेल में दम तोड़ने वाले दीपक शुक्ला के मामले में पुलिस की ओर से एफआइआर रद करने की पेश की गई कैंसलेशन रिपोर्ट को ठुकरा दिया है।

By Vipin KumarEdited By: Updated: Mon, 07 Feb 2022 02:29 PM (IST)
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पुलिस हिरासत में माैत के मामले में पुलिस अधिकारी सहित तीन के खिलाफ वारंट जारी। (सांकेतिक तस्वीर)
जासं, लुधियाना। ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट दविंदर सिंह की अदालत ने पुलिस थाने में कथित तौर पर की गई मारपीट के बाद जेल में दम तोड़ने वाले दीपक शुक्ला के मामले में पुलिस की ओर से एफआइआर रद करने की पेश की गई कैंसलेशन रिपोर्ट को ठुकरा दिया है। अदालत ने गैर इरादतन हत्या के आरोप के तहत थाना प्रभारी रिचा रानी, पुलिस कर्मी चरणजीत सिंह और जसकरन सिंह के 22 फरवरी तक गैर जमानती वारंट जारी किए हैं।

चोरी के आरोप में पकड़े गए दीपक शुक्ला को अदालत ने न्यायिक हिरासत में भेजा था। इसके बावजूद पुलिस ने उसे कथित तौर पर जेल न भेजकर थाने में रखा। अगले दिन उसे जेल प्रशासन को सौंपा गया। जेल में दीपक शुक्ला की मौत हो गई। इसके बाद दीपक शुक्ला के स्वजनों ने आरोप लगाया था कि रिचा रानी और अन्य पुलिस कर्मचारियों ने थाने में उसे थर्ड डिग्री टार्चर देते हुए मारपीट की थी। इस कारण जेल में उसकी मौत हो गई। अदालत ने छह मार्च 2020 को दीपक के पिता की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए पुलिस कमिश्नर लुधियाना को रिचा रानी व अन्य के खिलाफ केस दर्ज करने के आदेश जारी किए थे।

करीब एक साल बीत जाने के बावजूद केस दर्ज नहीं किया गया। इस पर अदालत ने पुलिस कमिश्नर को चेतावनी भी दी थी। इसके बाद रिचा रानी ने निचली अदालत के केस दर्ज करने के आदेश को सेशन कोर्ट में चुनौती दी थी। सेशन कोर्ट ने इस केस को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अरुण कुमार अग्रवाल की अदालत में भेज दिया था। न्यायाधीश अरुण कुमार अग्रवाल ने बाद में सुनवाई के बाद याचिका खारिज कर दी थी।

इसके बाद पुलिस ने मामले की जांच की और संबंधित ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के पास रिपोर्ट पेश कर दी कि इस मामले में दर्ज केस को रद करने याचिका लगा दी। ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट ने पुलिस की रिपोर्ट सही नहीं पाया और पुलिस अधिकारियों के वारंट जारी कर दिए।

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