E-Vehicles बढ़ने से पंजाब का आटो पार्ट्स उद्योग चिंतित, चीन से सस्ते आयात और बदलते ट्रेंड ने बढ़ाई टेंशन
पंजाब में आटो पार्ट्स उद्योग से जुड़ी दो हजार से अधिक इकाइयां हैं लेकिन ई-वाहन आने के बाद उद्यमी भविष्य को लेकर असमंजस में हैं। चीन से सस्ते आयात और बदलते ट्रेंड ने उन्हें मुश्किल में डाल दिया है।
राजीव शर्मा, लुधियाना। देश में इलेक्ट्रिक वाहनों (ई-वाहन) के बढ़ने से आटो पार्ट्स निर्माताओं के माथे पर चिंता की लकीरें गहरी हो रही हैं। उनका मानना है कि ई-वाहनों के आने से आटो पार्ट्स उद्योग सिमट जाएगा, क्योंकि मौजूदा वाहनों के इंजन में दो हजार से अधिक मूविंग पार्ट्स लगते हैं, जबकि ई-वाहन में 20 से अधिक ही मूविंग पार्ट्स लग रहे हैं।
साथ ही, अत्याधुनिक वाहनों में उच्च गुणवत्ता के पुर्जे आने से वैकल्पिक बाजार भी लगातार सिकुड़ रहा है। ऐसे में आटो पार्ट्स उद्यमी भविष्य को लेकर असमंजस में हैं। पंजाब में आटो पार्ट्स उद्योग से जुड़ी दो हजार से अधिक इकाइयां हैं और इनमें वार्षिक 10 हजार करोड़ से अधिक का कारोबार हो रहा है।
प्रतिस्पर्धा में स्थानीय उद्योग टिक नहीं पा रहा
संसाधनों की कमी के कारण वे बाजार की चुनौतियों का मुकाबला नहीं कर पा रही हैं। इसके अलावा चीन से आयात हो रहे उत्पादों को लेकर भी चुनौतियां बढ़ रही हैं। 25 प्रतिशत से अधिक पार्ट्स चीन से आयात हो रहे हैं, जबकि 60 प्रतिशत तक आटो एसेसरीज विदेश से आ रही हैं। कीमत की प्रतिस्पर्धा में स्थानीय उद्योग टिक नहीं पा रहे हैं।
सरकार को आगे का रोडमैप देना चाहिए
एसोसिएशन आफ इंडियन फोर्जिंग इंडस्ट्रीज के पूर्व चेयरमैन अविनाश गुप्ता कहते हैं कि वाहनों के बदल रहे ट्रेंड को लेकर सरकार को स्थिति स्पष्ट कर आगे का रोडमैप देना चाहिए। अपैक्स चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज के प्रेसिडेंट रजनीश आहूजा का कहना है कि कंपनियां रोजाना नए माडल ला रही हैं। उनमें कम से कम पांच साल तक नए पार्ट्स की जरूरत नहीं पड़ती।
इसलिए रिप्लेसमेंट मार्केट 60 प्रतिशत खत्म हो गया है। इसका असर भी पार्ट्स उद्योग पर हो रहा है। आटो पार्ट्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन आफ इंडिया के अध्यक्ष गुरपरगट सिंह काहलों का कहना है कि हाल ही में सरकार ने स्टील पर लग रहे 15 प्रतिशत निर्यात शुल्क को वापस लिया है। इससे उद्योग लागत बढ़ने को लेकर चिंतित है।
देश में आटो उपकरण उद्योग की स्थिति
57 अरब डालर के आसपास है घरेलू आटो उपकरण उद्योग का कुल कारोबार
19 अरब डालर के आटो उपकरणों का होता है निर्यात
50 लाख लोग कार्यरत थे इस उद्योग में वित्त वर्ष 2021 में
7.1 प्रतिशत हिस्सेदारी है देश की जीडीपी में आटो उपकरण उद्योग की
200 अरब डालर का हो जाएगा आटो उपकरण उद्योग 2026 तक
अगले 10 वर्षों में आटोमोबाइल पर टैक्स में आधी कटौती से भारत का आटो उद्योग वैश्विक स्तर पर ज्यादा प्रतिस्पर्धी होगा। इससे बड़े स्तर पर रोजगार सृजन होगा, जिससे अर्थव्यवस्था को लाभ होगा।
- विक्रम किर्लोस्कर, वाइस चेयरमैन, टोयोटा किर्लोस्कर मोटर
सरकार से अपेक्षाएं
- जीएसटी को 28 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत किया जाए।
- स्टील की कीमतों को स्थिर रखने को उपाय किए जाएं
- उद्योग को सस्ती दर पर कर्ज मुहैया कराया जाए
- ईज आफ डूईंग बिजनेस को सही ढंग से प्रोत्साहित किया जाए
- उद्योग को जीएसटी रिफंड वक्त पर मिलने का इंतजाम किया जाए।