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Punjab News: राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह की गवाह बनी समीरा बैक्टर, बोलीं- रामलला को निहारते हुए मैं सुधबुध खो बैठी

लुधियाना की समीरा बैक्टर अयोध्या के श्रीराम मंदिर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह की गवाह बनी। इस समारोह में शामिल होने को लेकर वे बेहद खुश दिखी। उन्होंने कहा कि मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह की साक्षी बन पाऊंगी। इस अविस्मरणीय अवसर को अनुभूति करने के लिए व्याकुल थी। यह श्रीराम की कृपा थी।

By Bhupender Singh Bhatia Edited By: Jeet KumarUpdated: Tue, 23 Jan 2024 05:00 AM (IST)
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राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह की गवाह बनी समीरा बैक्टर
जागरण संवाददाता, लुधियाना। लुधियाना की समीरा बैक्टर अयोध्या के श्रीराम मंदिर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह की गवाह बनी। इस समारोह में शामिल होने को लेकर वे बेहद खुश दिखी। उन्होंने कहा कि मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह की साक्षी बन पाऊंगी। इस अविस्मरणीय अवसर को अनुभूति करने के लिए व्याकुल थी। यह श्रीराम की कृपा थी कि उन्होंने मुझे बुलाया और मैं वहां पहुंच पाई।

मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा

आगे कहा कि मैं इस ऐतिहासिक पल को शब्दों में बयां नहीं कर सकती। चारों ओर संतों की उपस्थिति के बीच एक अलग माहौल था। हर तरफ राम नाम की धुन से उत्पन्न तरंगें एक अलग अनुभूति दे रही थीं। जब मुझे अयोध्या आने का निमंत्रण मिला तो मैं काफी देर तक सोचती रही कि क्या यह सच है। मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मारे खुशी के मैं एक दिन पहले ही लखनऊ पहुंच गई और वहां रात्रि विश्राम किया।

साधु संतों का हुजूम खुशी दे रहा था

साथ ही बोला कि सुबह-सुबह उठकर तैयार हुई और सीधा अयोध्या के लिए रवाना हो गई। अयोध्या में प्रवेश करने से पहले इतनी व्यवस्था की गई थी कि किसी व्यक्ति को परेशानी नहीं हो रही थी। मेहमानों का हर तरफ स्वागत किया जा रहा था। आयोजन स्थल पर भी अलग-अलग ब्लाक बनाकर विशेष व्यवस्था की गई थी। साधु संतों का हुजूम खुशी दे रहा था।

इस अविस्मरणीय पलों को शब्दों में बयां नहीं कर सकती

आयोजन की समाप्ति के बाद हमें गर्भ गृह में विराजित रामलला के करीब से दर्शन का अवसर मिला। रामलला की प्रतिमा में गजब की आभा थी। कुछ क्षणों के लिए मैं उन्हें निहारते हुए सुधबुध खो बैठी। इससे पहले मैंने ऐसी प्रतिमा नहीं देखी। ऐसा लग रहा था मानो साक्षात प्रभु श्रीराम सामने खड़े हैं।

इस अविस्मरणीय पलों को शब्दों में बयां नहीं कर सकती। गर्भ गृह से बाहर निकलने का मन ही नहीं कर रहा था। यह मेरे जीवन का सबसे सुखद पल और अनुभव है और जब तक इस संसार में जीवित रहूंगी, इसे भूल नहीं सकती।

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