Move to Jagran APP

Punjab News: स्ट्रेचर से गिरकर मरीज की मौत के मामले में तीन कर्मचारी सस्पेंड, अन्य पर लीगल एक्शन की तैयारी

लुधियाना में बने सिविल अस्पताल में स्ट्रेचर से गिरकर हुई एक मरीज की मौत के मामले में डीसी की जांच रिपोर्ट के आधार पर तीन कर्मचारियों को सस्पेंड करने के साथ अन्य पर लीगल एक्शन लेने की तैयारी की जा रही है। बता दें कि 27 अगस्त की रात एक मरीज की स्ट्रेचर के गिरने से मौत हो गई थी।

By Jagran NewsEdited By: Shoyeb AhmedUpdated: Sat, 09 Sep 2023 09:01 PM (IST)
Hero Image
स्वास्थ्य मंत्री ने लुधियाना के सिविल अस्पताल का किया औचक निरीक्षण
लुधियाना, जागरण संवाददाता। लुधियाना के सिविल अस्पताल (Ludhiana Civil Hospital) में 27 अगस्त को स्ट्रेचर से गिरकर हुई एक मरीज की मौत (Death By Falling From Stretcher) के मामले में डीसी की जांच रिपोर्ट के आधार पर लापरवाही बरतने वाले स्टाफ व डॉक्टर पर गाज गिरी है। यह कार्रवाई डीसी की जांच रिपोर्ट के आधार पर चीफ सेक्रेटरी के निर्देशों पर हुई।

चीफ सेक्रेटरी ने 6 सितंबर को प्रिंसिपल हेल्थ सेक्रेटरी (Principal Health Secretary) को निर्देश देते हुए लापरवाही बरतने वालों पर सख्त से सख्त कार्रवाई (Action On Medical Staff) करने के लिए कहा था। इसी के तहत शनिवार को स्वस्थ्य विभाग की ओर से सिविल अस्पताल की इमरजेंसी व मेल वार्ड में कार्यरत दो स्टाफ नर्सों, चार कर्मचारी को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड करने के निर्देश दिए गए हैं। जबकि इमरजेंसी के एक इएमओ पर चार्ज शीट (Chargesheet On EMO) करने की कार्रवाई के निर्देश दिए। वहीं दो हाउस सर्जनों व सफाई सेवक के खिलाफ भी नियमों के तहत कार्रवाई के लिए कहा है।

स्वास्थ्य मंत्री भी पहुंचे औचक निरीक्षण पर 

वहीं पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह (Health Minister Balbeer Singh) भी शुक्रवार दोपहर लुधियाना के सिविल अस्पताल पहुंचे थे। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इलाज में लापरवाही की वज़ह से मौत (Death Due To Negligence) होने का मामला गंभीर बताया। विभाग इस मामले को बहुत गंभीरता से ले रहा है। इस मामले मे जिनकी भी लापरवाही सामने आयी है, उन पर कार्रवाई होगी। स्वास्थ्य मंत्री ने इमर्जेंसी और सभी वॉर्ड का दौरा किया। मरीजों से इलाज व्यवस्था के बारे में जाना। अभी वे अस्पताल के डॉक्टरों और स्टाफ के साथ मीटिंग कर रहे हैं।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा दोषियों पर होगी सख्त कार्रवाई

स्वास्थ्य मंत्री डा. बलबीर सिंह भी इस लापरवाही पर एसएमओ, डॉक्टरों व स्टाफ पर भी बरसें। उन्होंने कहा कि मरीजों के इलाज के दौरान स्वास्थ्य अधिकारियों, डाक्टरों व नर्सों की किसी भी लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दोषी पाए जाने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

एसएमओ ऑफिसर में आधे घंटे की मीटिंग के दौरान डाक्टरों से कहा कि जिसने सिविल अस्पताल में ढंग से काम नहीं करना है, वह यहां से चला जाए। उन्हें बता दें, वह कहीं और बदली कर देंगे। सिविल अस्पताल में रहना है, तो पूरे समर्पण के साथ डयूटी देनी होगी। जितने रिसोरर्सेज है, उतने तो इस्तेमााल करें। नर्सों की कमी होने की बात की जा रही है। जबकि अस्पताल में रोजाना सौ से अधिक नर्सिंग स्टूडेंट आते हैं। उन स्टूडेंटस से क्यों काम नहीं लिया जा रहाहै। उन्हें अच्छे से काम सिखाकर मरीजों के इलाज में मदद ली जा सकती है।

एसएमओ व डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट को दिए निर्देश

वहीं सीएमसी, डीएमसी से जो रेजीडेंट डॉक्टर आ रहे हैं, उनसे वार्डों में राउंड क्यों नहीं करवाया जाता। रेजीडेंट डॉक्टरों के पास अपना एक अनुभव है। वहीं एसएमओ व डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट को निर्देश दिए कि रोजाना उन्हें पूरे अस्पताल का ड्यूटी रोस्टर भेजा जाए। वह खुद मोनीटरिंग करेंगे। एसएमओ रोजाना पूरे अस्पताल में राउंड करें और उसकी रिपोर्ट भी उन्हें भेजे।

इस दौरान उन्होंने सिविल अस्पताल के आइसीयू को एक सप्ताह के भीतर भीतर शुरू करने निर्देश भी दिए। जिससे कि मरीजों को चंडीगढ़ रेफर न करना पड़े। आइसीयू के लिए जरूरी स्टाफ की डिमांड भेजने के लिए एसएमओ से कहा। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सिविल अस्पताल में मैनापावर की कमी जल्द ही दूर होगी। सरकार मैनपावर की कमी दूर करने के लिए 1800 खाली पदों को भरने जा रही है। इसमें डाक्टर, नर्से और अन्यपैरामेडिकनन स्टाफ है।

मेडिकल बोर्ड ने कारण बताओ नोटिस जारी किया था

मेडिकल बोर्ड दो दिन में अपनी रिपोर्ट देने को कहा था। इसके अलावा रात में आपातकालीन सेवाओं के लिए तैनात ईएमओ और नर्सिंग स्टाफ को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। इसमें पूछा गया कि अगर सड़क हादसे में घायल कोई मरीज सिविल अस्पताल की इमरजेंसी में लाया गया तो उसे स्थिर होने से पहले वार्ड में क्यों भेज दिया गया। उसका उपचार इमरजेंसी में ही क्यों नहीं किया गया।

वॉर्ड के स्टाफ से भी जवाब मांगा गया है कि स्ट्रेचर से मरीज कैसे गिर गया। क्या उस दौरान स्टाफ ने उसकी देखरेख नहीं की। अगर मरीज गिरा, तो उसे तुरंत उठाकर इमरजेंसी में शिफ्ट क्यों नहीं किया गया। उसे वहीं स्ट्रेचर पर ही पड़े क्यों रहने दिया गया।

इन्हें किया गया सस्पेंड

गंभीर चूक पर तीन सस्पेंड, इएमओ चार्ज शीट व दो पर अनुशासनी कार्रवाई के निर्देश इमरजेंसी की स्टाफ नर्स कुलदीप कौर, इमरजेंसी में कार्यरत दर्जा चार कर्मी मनोज कुमार वर्मा, मेल वार्ड की स्टाफ नर्स अमनप्रीत कौर को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड करने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं इमरजेंसी के इएमओ डा. लवप्रीत सिंह को चार्जशीट करने के निर्देश दिए गए हैं।

निर्देशों में कहा गया है कि डा. लवप्रीत सिंह के खिलाफ सिविल सेवाएं (सजा व अपील) रूल्स 1970 के नियम आठ के अंतर्गत दोष सूची का खरड़ा तुरंत सरकार को भेजा जाए। जबकि इमरजेंसी के हाउस सर्जन डा. धन्नजय व आउट सोर्स पर कार्यरत शंकर पर रूला के हिदायत के अनुसार अनुशासनी कार्रवाई अपने स्तर पर की जाए।

जांच रिपोर्ट के अनुसार ऐसे हुई गंभीर चूक

इमरजेंसी में तैनात स्टाफ नर्स कुलदीप कौर ने ड्यूटी पर तैनात हाउस सर्जन या ईएमओ को सूचना दिए बगैर क्लास-4 स्टाफ मनोज कुमार को मौखिक रूप से मरीज को अननाउन वार्ड में शिफ्ट करने को कहा। इससे मरीज की फाइल में मेडिकल ट्रीटमेंट रिकार्ड नहीं किया गया और किसी भी प्रमुख कारण नहीं लिखा गया, जिससे स्पष्ट हो कि मरीज को इमरजेंसी से वार्ड में शिफ्ट किया जाना चाहिए। उसने ईएमओ का लिखित नोट भी नहीं लिया, जो इमरजेंसी से किसी मरीज को शिफ्ट करने के लिए आवश्यक है। मरीज को शिफ्ट करवाने से पहले वार्ड में बेड की उपलब्धता का भी पता नहीं किया। जांच कमेटी ने पाया कि यह बड़ी लापरवाही व चूक है।

मरीज को अज्ञात मरीजों के वार्ड में शिफ्ट करने वाला क्लास-4 स्टाफ मनोज कुमार अच्छी तरह जानता था कि मरीज शिफ्ट करने के लिए फाइल पर ऑन डयूटी डाक्टर का शिफ्टिंग नोट नहीं था। उसके बावजूद भी वह अपनी मर्जी से मरीज को वार्ड में लेकर गया। सीसीटीवी फुटेज में पाया गया कि मनोज ने मरीज स्टाफ नर्स अमनप्रीत कौर को सौंपने से पहले वार्ड में बेड नहीं होने के बावजूद स्ट्रैचर पर ही मरीज को छोड़ दिया, जो नहीं किया जाना चाहिए था।

नर्स की ओर से भी की गई चूक व लापरवाही

वॉर्ड की स्टाफ नर्स अमनप्रीत कौर ने शाम 07.35 में मरीज को प्राप्त किया, लेकिन वार्ड में बेड नहीं था। न ही उसकी मदद के लिए क्लास-4 सफाईकर्मी था। उसकी ड्यूटी रात आठ बजे तक थी। सीसीटीवी फुटेज के अनुसार उसने स्ट्रैचर पर पड़े मरीज की चिंता किए बिना शाम 07.36 में वार्ड छोड़ दिया। एक तो उसने समय से पहले ड्यूटी छोड़ी और न ही ड्यूटी डॉक्टर से मरीज के संबंध में बातचीत करना भी मुनासिब नहीं समझा और न ही मरीज को किसी अन्य स्टाफ के हवाले किया, जो एसओपी के अनुसार अनिवार्य है। जांच में पाया गया कि नर्स की ओर से चूक व लापरवाही की गई।

इमरजेंसी के हाउस सर्जन डा. धनंजय ने मरीज की सामान्य स्थिति को सही तरीके से रिकॉर्ड नहीं किया। उन्होंने मरीज का ग्लासगो कोमा स्केल (जीसीएस) और पुतली संबंधी रिएक्शन को रिकॉर्ड नहीं किया, जबकि दाखिले के समय हेड इंज्यूरी वाले मरीज की करना जरूरी होता है। हालांकि डा. धनंजय ने मरीज का सिटी स्कैन करवाने के निर्देश दिए, लेकिन उन्होंने प्राथमिकता के आधार पर सिटी स्कैन करवाने का प्रयास नहीं किया। सर्जिकल और आर्थोपेडिक्स परामर्श नहीं लिया गया और न ही डा. धनंजय ने ड्यूटी पर मौजूद सलाहकार या इएमओ को सूचित किया। उन्होंने मरीज का फॉलोअप तक भी नहीं किया।

मरीज जमीन पर पड़ा देख नहीं दी मेडिकल स्टाफ को सूचना

घटना के समय आउटसोर्स सफाईकर्मी शंकर सिंह की ड्यूटी थी। सीसीटीवी फुटेज में पाया गया कि रात 8.14 मिनट में जब मरीज वार्ड में जमीन पर गिरा था तो वह वहां मौजूद था और वह घटना की रिकार्डिंग कर रहे कुछ मीडिया वालों का साथ दे रहा था। अस्पताल की एसएमओ ने उसे जांच समिति के समक्ष पेश होने को कहा, लेकिन वह नहीं आया और उसका मोबाइल भी स्विच आफ मिला। उसने मरीज को जमीन पर पड़ा देखा, लेकिन किसी मेडिकल स्टाफ को इसकी सूचना नहीं दी। जांच समिति ने माना कि शंकर सिंह की ओर से गंभीर लापरवाही हुई।

ईएमओ पर होती है सभी जिम्मेदारी

इमरजेंसी मेडिकल अफसर (ईएमओ) डा. लवप्रीत सिंह गिल ड्यूटी पर थे। एसएमओ के अनुसार दुर्घटना या इमरजेंसी सर्विसेज की सारी जिम्मेदारी ईएमओ के ऊपर होती है और उसे मरीज के इलाज पर नजर रखनी होती है। जांच बोर्ड ने आश्चर्यजनक बात पाई कि ईएमओ को मरीज की जानकारी तक नहीं थी। यह पाया गया कि ईएमओ की अनुमति के बिना मरीज को लाया व शिफ्ट किया जा रहा था। इमरजेंसी वार्ड में चिकित्सा में कई खामियां पाई गई। हालांकि डा. धनंजय को इसकी जानकारी उन्हें देनी चाहिए थी।

तीन सदस्यों की कमेटी बनाई गई

सिविल के लिए डायरेक्टर के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम बनाएंगी एसओपी उधर भविष्य में सिविल अस्पताल में दोबारा से मरीजों के इलाज में लापरवाही न हो, इसके लिए सेहत व परिवार भलाई विभाग पंजा की डायरेक्टर के नेतृत्व में तीन सदस्यीय कमेटी बना दी गई है। उनके अलावा कमेटी में डिप्टी डायरेक्टर डा. हितिंदर कौर व फरीदकोट के सिविल सर्जन डा. अनिल को मैंबर के तौर पर शामिल किया गया है।

यह कमेटी सिविल अस्पताल के लिए स्टैंडर्ड आपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) व स्पष्ट निर्देश तैयार करेगी। कमेटी एसओपी व निर्देशों की रिपोर्ट 12 सितंबर तक सौंपेगी। इसके बाद 13 सितंबर को प्रिंसिपल हेलथ सेक्रेटरी सिविल अस्पताल लुधियाना का दौरा करेंगे। उनके दौरे के दौरान तीन मैंबरी कमेटी को मौजूद रहने के लिए कहा गया है।

क्या है मामला?

बता दें कि सिविल अस्पताल में 27 अगस्त की रात एक वार्ड में स्ट्रेचर से गिरने के कारण 45 वर्षीय अजय कुमार नाम के एक मरीज की मौत हो गई थी। इस मामले की जांच के लिए एसएमओ डा. मनदीप कौर ने तीन डॉक्टरों के मेडिकल बोर्ड का गठन किया। मेडिकल बोर्ड में आपातकालीन सेवाओं के प्रभारी डा. चरणकमल, हाउस सर्जन डा. अमनप्रीत कौर और हड्डी विभाग के एक डॉक्टर को शामिल किया गया है।

ये भी पढ़ें:- चलती गाड़ी में आग लगने सेपूर्व चेयरमैन की हुई मौत, हत्या का संदेह; हर एंगल से जांच कर रही पुलिस

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।