Power Crisis: पंजाब में 2 से 6 घंटे की बिजली कटाैती, पांच थर्मल प्लांट बंद हाेने से 2010 मेगावाट बिजली की कमी
Power Crisis राज्य में बिजली संकट एक बार फिर गहरा गया है। पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर कुल 15 यूनिट में की बिजली उत्पादन क्षमता करीब 6000 मेगावाट है। स्टेट सेक्टर के रोपड़ थर्मल प्लांट के दो यूनिट मंगलवार को बंद हाेने से बिजली संकट गहरा गया है।
जागरण संवाददाता, पटियाला। Punjab Power Crisis: पंजाब के पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर के थर्मल प्लांटों के 15 में से पांच यूनिटों ने मंगलवार को बिजली उत्पादन बंद कर दिया। इनमें तीन प्राइवेट और दो पब्लिक सेक्टर के यूनिट शामिल हैं। इससे राज्य में 2010 मेगावाट बिजली की कमी पैदा हो गई। इसका असर बिजली सप्लाई पर पड़ा। मांग और आपूर्ति में अंतर के कारण पूरे प्रदेश में पावरकाम को ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में दो से छह घंटे तक कट लगाने पड़े।
राज्य में पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर कुल 15 यूनिट में की बिजली उत्पादन क्षमता करीब 6000 मेगावाट है। स्टेट सेक्टर के रोपड़ थर्मल प्लांट के दो यूनिट मंगलवार को बंद रहे वहीं प्राइवेट सेक्टर के तलवंडी साबो थर्मल प्लांट में भी दो यूनिट बंद रहे। प्राइवेट सेक्टर के गोइंदवाल साहब प्लांट का एक यूनिट कोयले की कमी के कारण बीती 11 अप्रैल से बंद है। मंगलवार को राज्य में बिजली की मांग करीब 7457 मेगावाट रिकार्ड की गई और इसके विपरीत पावरकाम करीब 6700 मेगावाट बिजली ही सप्लाई कर सका।
पीक लोड में यह अंतर 2010 मेगावाट रहा। पटियाला जिला के कई इलाकों में जहां दो से तीन घंटे, गढ़शंकर में छह घंटे, लुधियाना के कुछ इलाकों में दो घंटे और मुक्तसर में चार घंटे तक बिजली सप्लाई प्रभावित रही। इसके अतिरिक्त कादियां, पठानकोट और बरेटा इलाकों में भी आठ घंटे तक बिजली सप्लाई प्रभावित रही।
कोयला स्टाक भी कम
पावरकाम के अधिकारियों के अनुसार वर्तमान में लहरा मोहब्बत थर्मल प्लांट के पास 6.3, रोपड़ थर्मल प्लांट के पास 9.6, गोइंदवाल साहब में 3.4, तलवंडी साबो के पास 6 और राजपुरा थर्मल प्लांट के पास 23.4 दिन का कोयला स्टाक उपलब्ध है।
धान रोपाई से पहले बढ़ रहा बिजली संकट
राज्य में जून माह में धान की रोपाई शुरू हो जाएगी और तब राज्य में बिजली की मांग करीब 15000 मेगावाट तक पहुंचने की संभावना है। तब बिजली की मांग को पूरा करने के लिए पंजाब के सभी थर्मल प्लांटों को उनकी पूरी क्षमता पर चलाना जरूरी होगा। इसके लिए प्लाटों में पर्याप्त कोयला स्टाक होना जरूरी है।