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Punjab Weather: मौसम में लगातार बदलाव, अस्‍पतालों में बढ़े नाक की एलर्जी के मरीज; जानिए आज कैसा रहेगा तापमान

Punjab Weather Today पंजाब में मौसम में लगातार बदलाव होने से नाक की एलर्जी के मरीज बढ़ गए हैं। सितंबर माह के खत्म होते ही मौसम में बदलाव शुरू हो गया है। सुबह व शाम ठंड होने लग गई है। वहीं धान की कटाई भी शुरू हो गई है। कटाई की वजह से नाक की एलर्जी के (एलर्जिक राइनाइटिस) मरीज सरकारी व निजी अस्पतालों में बढ़ने लग गए हैं।

By Jagran NewsEdited By: Himani SharmaUpdated: Mon, 09 Oct 2023 07:40 AM (IST)
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मौसम में लगातार बदलाव, अस्‍पतालों में बढ़े नाक की एलर्जी के मरीज

जागरण संवाददाता, लुधियाना। Punjab Weather Today: राज्‍य में मौसम में लगातार बदलाव नजर आ रहे हैं। आज धूप के साथ-साथ बादल छाए रहने की संभावना है। वहीं अधिकतम 52 और न्‍यूनतम तापमान 34 रहने की उम्‍मीद है। वहीं बादल छाने के साथ बारिश होने के भी आसार हैं। मौसम के बदलने से सुबह और शाम ठंड का अहसास होने लगा है। तापमान में उतार-चढ़ाव होने से लोग बीमार भी पड़ रहे हैं।

धान की कटाई हुई शुरू

सितंबर माह के खत्म होते ही मौसम में बदलाव शुरू हो गया है। सुबह व शाम ठंड होने लग गई है। वहीं धान की कटाई भी शुरू हो गई है। ऐसे में मौसम में आए बदलाव और कटाई की वजह से नाक की एलर्जी के (एलर्जिक राइनाइटिस) मरीज सरकारी व निजी अस्पतालों में बढ़ने लग गए हैं। अस्पतालों में पिछले एक सप्ताह से रोजाना ओपीडी में नाक की एलर्जी की समस्या से जूझ रहे 40 से 50 मरीज पहुंच रहे हैं। जबकि एक माह पहले तक नाक की एलर्जी के मरीजों की संख्या 15 से 20 के बीच होती थी।

घर से बाहर निकलने पर मास्क पहनकर निकलें

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की ओर से मरीजों को घर से बाहर निकलने पर मास्क पहनकर निकलने की सलाह दी जा रही है। मोहनदेई ओसवाल अस्पताल के विशेषज्ञ डा. प्रदीप कूपर कहते हैं कि पिछले चार पांच दिनों से एलर्जिक राइनाइटिस के मरीज काफी आ रहे हैं। उनके पास जो मरीज आते हैं, वे सांस लेने, लगातार छींके आने व खांसी की समस्या लेकर आते हैं। जब जांच की जाती है, तो उन्हें एलर्जिक राइनाइटिस निकलता है। हालांकि इस बीमारी की शुरूआत नाक व गले से होती है।

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शुरूआत में अचानक छींक आने, नाक से पानी बहना, आंखों में खारिश, नाक में खारिश, गला खराब होने जैसी समस्याएं आती है। जब शुरूआती लक्षणों की जांच व इलाज नहीं होता है, तो आगे चलकर यह नाक से गले और फेफड़ों तक पहुंच जाती है। ऐसे में हम मरीजों को शुरूआत में ही बीमारी का इलाज कराने की सलाह देते हैं और उन्हें मौसम के मुताबिक मास्क पहनने को कहते हैं। सितंबर से नवंबर तक प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है। जिसकी सबसे बड़ी वजह खेतों में जलाई जाने वाली पराली है।

इन महीनों में बारिश बहुत कम

इसके अलावा ठंड के मौसम में नमी बढ़ने पर प्रदूषण व धूल मिटटी के कण हवा में ही तैरते रहते हैं। इन महीनों में बारिश बहुत कम होती है। जिसके चलते यह समस्याएं ज्यादा आती है। हालांकि प्रदूषण जून जुलाई व अगस्त के महीनों में भी होता है, लेकिन इन महीनों में हर दूसरे तीसरे दिन बारिश होती रहतीहै। जिससे अगर प्रदूषण व धूल मिटटी के पार्टिकल जमीन पर आ जाते हैं, हवा में ज्यादा समय तक नहीं रहते।

आने वाले दिनों में एलर्जी के बढ़ेंगे मरीज

वहीं सिविल अस्पताल की मेडिसन विशेषज्ञ डॉ. अमनप्रीत के मुताबिक अभी तो शुरूआत हुई है। आने वाले दिनों में एलर्जी के मरीज बढ़ेंगे। एक दिन में ओपीडी में एलर्जी के 100 से अधिक मरीज भी आने लगेंगे। अभी तो केवल 30 से 50 के बीच मरीज एलर्जी की शिकायत के साथ आ रहे हैं। एलर्जी किसी भी चीज से हो सकती है। जैसे धूल, पोलन, पेंट, पालतू जानवरों, परफ्यूम सहित अन्य वजहों से हो सकती है। लेकिन अक्तूबर से नवंबर तक एलर्जी के ज्यादातर मरीज पोलन और फसली अवशेषों को जलाएं जाने से पैदा होने वाले धुएं की वजह से आते हैं।

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इन महीनों में सांस से संबंधित रोगों से जूझ रहे मरीजों को विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है। इस तरह के मरीजों को धूल मिटटी वाली जगहों पर जाने से बचना चाहिए। पानी ज्यादा पीना चाहिए। घर से बाहर जाने पर मास्क या काटन के रूमाल से नाक व मुंह को ढककर ही निकलना चाहिए। अगर दवा चल रही है, तो उसे समय पर लेना चाहिए।

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