यहां नेताओं पर है पाबंदी, पंजाब की तीन पंचायताें का फरमान- गांव में नहीं आ सकते नेता, उल्लंघन करने वाले पर जुर्माना
गांव हीरो खुर्द की पंचायत ने लोगों को भी चेतावनी दी है कि अगर कोई नेता किसी के घर पर आता है तो उनको पांच हजार रुपये जुर्माना भरना होगा। गांव में किसी भी राजनीतिक नेता को वोट मांगने नहीं आने दिया जाएगा।
By Vipin KumarEdited By: Updated: Tue, 24 Aug 2021 07:50 AM (IST)
गुरप्रेम लहरी, बलविंदर जिंदल, बुढलाडा, (मानसा)। पंजाब में जारी किसान आंदाेलन के बीच तीन पंचायताें ने अजीब फरमान जारी किया है। मानसा जिले के दो व बठिंडा के एक गांव की पंचायत ने राजनीतिक नेताओं के गांवों में प्रवेश पर पाबंदी लगा दी है। इसकाे लेकर गांव हीरों खुर्द की पंचायत ने लिखित जबकि कूलरियां की पंचायत ने मौखिक रूप से प्रस्ताव पारित किया है। इससे पहले गांव कूलरियां मे किसी भी राजनीतिक व्यक्ति के आने पर पाबंदी लगाई थी। उनके बाद अब गांव हीरों खुर्द ने भी पाबंदी लगा दी है। गांव के लोगों द्वारा गांव में आने वाले रास्तों पर इसकी फ्लेक्स लगा दी हैं।
गांव हीरो खुर्द की पंचायत ने लोगों को भी चेतावनी दी है कि अगर कोई नेता किसी के घर पर आता है तो उनको पांच हजार रुपये जुर्माना भरना होगा। गांव में किसी भी राजनीतिक नेता को वोट मांगने नहीं आने दिया जाएगा। पंचायत ने कहा कि जारी किए गए रोस्टर के मुताबिक गांववासी दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन में भी शिरकत करें। अगर कोई भी व्यक्ति इस रोस्टर का उल्लंघन करता है तो उसको भी जुर्माना किया जाएगा।
बठिंडा जिले के गांव भागीवांदर में कुछ समय पहले भारतीय किसान यूनियन ने नेताओं के बाइकाट करने की काॅल दी थी और अपने स्तर पर प्रवेश बंद कर दिया था। लेकिन अब पंचायत ने भी मत पारित करके प्रशासन को सूचित कर दिया है कि अगर कोई राजनीतिक नेता उनके गांव में आता है तो अपने नुकसान का वह खुद जिम्मेदार होगा।
इसलिए है नेताओं के प्रति गुस्सागांव हीरों खुर्द के करतार सिंह ने कहा कि पिछले 74 वर्षों में आम लोगों काे सुविधाओं से महरूम रखा जा रहा है। नेता खुद पांच-पांच पेंशनें ले रहे हैं और आम लोग नारकीय जिंदगी जीने को मजबूर हैं। इसलिए ही लोगों ने कहा कि गांव में नेताओं व लावारिस पशुओं का आना मना है।
----- सयुंक्त मोर्चा का नहीं खुद था प्रोग्रामः मानभारतीय किसान यूनियन उग्राहां के प्रदेश महासचिव सिंगारा सिंह मान ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चे द्वारा ऐसी कोई काल नहीं दी गई। पंचायतें अपने स्तर पर ही ऐसे फैसले ले रही हैं। हमारी काल सिर्फ बीजेपी के नेताओं को गांवों में न आने देने व आने पर उनका शांतिपूर्वक विरोध करने की है। असल में लोगों के मन में सभी पार्टियों के प्रति गुस्सा है कि पिछले 74 साल में किसानों के लिए कुछ भी क्यों नहीं किया।
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