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Weather Update: पंजाब में बदलेगा माैसम का मिजाज, गर्मी से मिलेगी राहत; अगले 3 दिन आंधी और बूंदाबांदी के आसार

Punjab Weather Update Today पंजाब में माैसम फिर करवट लेगा। फिरोजपुर फाजिल्का बठिंडा मोगा मुक्तसर और फरीदकोट को छोड़कर पंजाब के शेष जिलों में सोमवार से बुधवार तक 40 से 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से धूल भरी आंधी चलेगी।

By Vipin KumarEdited By: Updated: Mon, 02 May 2022 08:52 AM (IST)
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लुधियाना में तपिश के कारण गुरुद्वारा शहीदों फेरुमान के बाहर की सड़क सुनसान रही। फोटो कुलदीप काला

जागरण संवाददाता, लुधियाना। Punjab Weather Update: भीषण गर्मी की मार झेल रहे पंजाब के लोगों को सोमवार से राहत मिलने की उम्मीद है। चंडीगढ़ स्थित मौसम विभाग केंद्र के अनुसार फिरोजपुर, फाजिल्का, बठिंडा, मोगा, मुक्तसर और फरीदकोट को छोड़कर पंजाब के शेष जिलों में सोमवार से बुधवार तक 40 से 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से धूल भरी आंधी के साथ बूंदाबांदी का अनुमान है, जिससे तापमान में कमी आएगी। इसके बाद पांच मई से मौसम साफ हो जाएगा।

हालांकि मौसम विभाग अप्रैल महीने में भी ऐसे अनुमान व्यक्त करता रहा है लेकिन यह अनुमान गलत साबित हुए थे। अब देखना होगा कि विभाग का पूर्वानुमान इस बार सही साबित होता है या नहीं। वहीं दूसरी तरफ रविवार को प्रदेश के कुछ जिलों में तेज हवाएं चलने से कुछ राहत मिली लेकिन कुछ जिलों में अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा रहा। फिरोजपुर सबसे गर्म रहा जहां अधिकतम तापमान 44.2 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। बठिंडा में अधिकतम तापमान 43.6, मुक्तसर में 43.4, मोगा में 43, अमृतसर में 42.1, जालंधर में 41.1, लुधियाना में 39.8 और पटियाला में 38.7 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया।

बारिश न होने से गेहूं समय से पहले पकी, ग्राउंड वाटर का भी ज्यादा प्रयोग

बारिश के अभाव में तापमान बढ़ने से गेहूं समय से पहले कई गई, जिसके चलते गेहूं की उपज प्रभावित हुई। बारिश होती, तो तापमान नहीं बढ़ता। वहीं बारिश न होने की वजह से किसानों को अपनी फसलों को बचाने के लिए ग्राउंड वाटर पर निर्भर होना पड़ रहा है। मार्च से लेकर अब तक किसान अनाज, सब्जियों और बागवानी की फसलों को सींचने के लिए लगातार ट्यूवबेलों के जरिए ग्राउंड वाटर का इस्तेमाल कर रहे हैं। डीजल से टयूवबैल चलाने वालों को तो और ज्यादा मुश्किलें उठानी पड़ रही है। इससे जहां खेती की लागत बढ़ गई, वहीं अगले साल भूजल के स्तर में कमी आने का खतरा भी मंडरा रहा है। इन दो महीनों में अगर थोड़ी सी भी बारिश हो जाती, तो ग्राउंड वाटर रिचार्ज हो जाता।

पूर्व के सालों में मार्च में हुई बारिश

साल                मार्च

(बारिश मिली मी. में)

1983---129.8

2011--5.4

2012---0.8

2013---30.4

2014--32.6

2015---100.1

2016--32.5

2017---53.3

2018---1.7

2019---7.8

2020---92.9

2021---7.4

अप्रैल

(बारिश मिली मी. में)

90

5.3

-28.5

3.8

29.1

57.0

3.7

5.1

38.7

11.6

-23.7

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