PAU Ludhiana के वीसी की नियुक्ति पर फंसा पेंच, राज्यपाल और सरकार आमने-सामने
पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने पीएयू के नवनियुक्त वीसी डा. सतबीर सिंह गोसल की नियुक्ति को अवैध करार दिया है। दूसरी ओर सरकार इसे नियमानुसार बता रही है। ऐसे में अब राज्यपाल और सरकार आमने-सामने आ गए हैं।
By Bhupender Singh Bhatia Edited By: Pankaj DwivediUpdated: Tue, 18 Oct 2022 08:13 PM (IST)
भूपेंदर सिंह भाटिया, लुधियाना। पंजाब के राज्यपाल बनवारी ने पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (पीएयू) के वाइस चांसलर डा. सतबीर सिंह गोसल की नियुक्ति को अवैध ठहराते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। इसके बाद नया पेंच फंस गया है। सरकार जहां वीसी की नियुक्ति को सही करार दे रही है, वहीं पीएयू के चांसलर व राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने जारी पत्र में इसे अवैध करार दिया गया है।
पत्र में कहा गया कि सरकार ने यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन के नियमों का पालन किए बिना डा. गोसल की नियुक्ति की और उसकी अनुमति तक नहीं ली गई। सूत्रों का कहना है कि सरकार ने वीसी को फिलहाल अपने पद पर बने रहने को कहा है। राज्यपाल कार्यालय से पत्र जारी होने के बाद वीसी मंगलवार को अपने कार्यालय में कार्य करते रहे। हालांकि वीसी ने इस संबंध में कुछ भी कहने से इंकार किया और कहा कि इस पर कोई भी बयान के लिए रजिस्ट्रार उपयुक्त शख्स हैं।
बाबा फरीद यूनिवर्सिटी के वीसी की नियुक्ति पर भी हुआ था विवाद
उधर, पीएयू के रजिस्ट्रार शम्मी कपूर का कहना है कि सरकार की ओर से उन्हें इस मामले में अभी तक किसी तरह का आदेश नहीं आया है। सरकार के आदेश के बाद ही वह कुछ कह सकते हैं। उल्लेखनीय है कि इससे पहले बाबा फरीद यूनिवर्सिटी आफ हेल्थ साइंसेज के वीसी की नियुक्ति पर भी विवाद हुआ था, जब राज्यपाल ने सरकार की पसंद के वीसी को स्वीकार करने से इंकार कर दिया था। सरकार ने डा. गुरप्रीत सिंह वांडर को वीसी नियुक्त किया था।
जानकारों की माने तो पीएयू के वीसी की नियुक्ति को लेकर पीएयू बोर्ड ने प्रत्येक नियम का पालन किया, लेकिन कुछ लोगों ने राज्यपाल कार्यालय में इस मामले को गलत ढंग से पेश किया। पीएयू बोर्ड ने मार्च में वीसी की नियुक्ति के लिए बाकायदा फिर से विज्ञापन लगाया था। उसके बाद बोर्ड की मीटिंग में बाकायदा तीन नामों पर विचार करने के बाद डा. गोसल के नाम को हरी झंडी दी गई।
पीएयू के मामले में चांसलर एक नामद पद है, लेकिन अन्य यूनिवर्सिटी की तरह आफिसर पद नहीं है। किसी वीसी की नियुक्ति के वक्त यदि चयनित वीसी के नाम पर विवाद हो, तब वह मामला चांसलर तक पहुंचता है। जानकार कहते हैं कि डा. गोसल साफ छवि के हैं और उनके नाम पर किसी को कोई आपत्ति नहीं हुई।
जानें कौन हैं डा. सतबीर सिंह गोसलडा. सतबीर सिंह गोसल जाने माने प्रसिद्ध जैव प्रौद्योगिकीविद् हैं और दो माह पहले उन्हें पीएयू का वीसी बनाया गया। 30 जून, 2021 को तत्कालीन वीसी डा. बीएस ढिल्लों के पदमुक्त होने के बाद लगभग एक साल तक यह पद खाली रहा। इस दौरान तीन वरिष्ठ अफसरों ने अतिरिक्त प्रभार के रूप में वीसी के कार्य का निर्वाह किया। दो माह पहले डा. गोसल को वीसी की जिम्मेदारी दी गई। 67 वर्षीय गोसल ने चंडीगढ़ की पंजाब यूनिवर्सिटी से बीएससी करने के बाद पीएयू में प्लांट ब्रिडिंग में पीएचडी की और फिर इंग्लैंड में पोस्ट डाक्टरल शोध किया। इसके अलावा उन्होंने फसलों की जैव सुरक्षा में काम किया।
पीएयू कर्मचारी संगठन भी वीसी के पक्ष में आगे आएपीएयू इंप्लाइज के विभिन्न संगठन वीसी के पक्ष में आगे आ गए हैं। पीएयू टीचर्स एसोसिएशन के प्रेजिडेंट डा. एचएस किंगरा ने कहा कि वीसी की नियुक्ति पीएयू बोर्ड करता है। अगर बोर्ड की सहमति नहीं बने, तब पावर राज्यपाल के पास चली जाती है। किंगरा ने कहा कि वीसी की नियुक्ति को लेकर अब सियासत नहीं होनी चाहिए क्योंकि एक साल से अधिक समय बाद यूनिवर्सिटी को वीसी मिला। डा. गोसल की नियुक्ति को लेकर पीएयू के बोर्ड ऑफ मेनेजमेंट के सभी सदस्यों की सहमति थी।
पीएयू इंप्लाइज यूनियन के प्रेसीडेंट बलदेव सिंह वालिया और पीएयू फोर्थ क्लास वर्कर्स यूनियन के प्रेसीडेंट वरिंदर सिंह पंडोरी ने वीसी की पोस्टिंग पर सियासत को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि एक ईमानदार और बेदाग छवि वाले वीसी को हटाने को लेकर जो सियासत हो रही है, वह गलत है। डा. गोसल को पूरे नियमों के मुताबित पीएयू का वीसी नियुक्त किया गया है। दोनोंं यूनियन वीसी का समर्थन करती हैं और राज्यपाल से आग्रह करती हैं कि वह इस मुद्दे को अच्छे तरीके से हल करवाएं।
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