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आंसुओं में बयां हुई प्यार की गाथा, 67 साल बाद पाक में रह रही बहन व पंजाब के भाई की यूं हुई मुलाकात

Brother Sister Love पाकिस्‍तान में रह रही बहन 67 साल बाद भारत के पंजाब में रह रहे भाई से वीडियो काल के जरिये रूबरू हुई तो दोनों की आंखों से आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। आंसुओं में दर्द के के संग प्‍यार की गाथा बयां हो गई।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Mon, 10 Oct 2022 07:58 AM (IST)
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व‍ीडियो काल के जरिये एक-दूसरे से रूबरू होती बहन शकीना और भाई गुरमेल सिंह।

दिलबाग दानिश, लुधियाना। सरहद की पाकिस्‍तान में रह रही बहन और भारत के पंजाब निवासी भाई के बीच दीवार बन गई। लेकिन, 67 साल बाद जब दोनों रूबरू हुए तो आंंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। इन आंसुओं ने पीड़ा के संंग प्‍यार की गाथा को भी बयां कर दिया। दोनों की 'मुलाकात' भी अनोखे अंदाज में हुई। दोनों एक-दूसरे के यहां नहीं जा सके तो वीडियो काल से रूबरू हुए। इस दौरान उनके परिवार के सदस्‍य भी भावुक हो गए।   

उम्र के अंतिम पड़ाव में एक दूसरे को देख भावुक हुए भाई गुरमेल सिंह व बहन शकीना

पंजाब के जस्सोवाल निवासी गुरमेल सिंह जब पाकिस्तान के शोखूपुरा में रह रहे शकीना के यहां नहीं पहुंच पाए तो वीडियो काल के जरिए दोनों ने एक-दूसरे का दीदार किया। 67 साल बाद दोनों एक दूसरे से इंटरनेट मीडिया के जरिए मिले तो दोनों की आंखों से आंसुओं की धारा बहने लगी। कुछ पल के लिए दोनों तरफ परविार के लोग भी भावुक हो गए, लेकिन फिर खु‍शियों का समां कायम हो गया।

भाई गुरमेल सिंह से वीडियो काल पर बात करतीं पाकिस्‍तान की शकीना। 

 दोनोंं के परिवार के सदस्‍य भी एक-दूसरे से रूबरू हुए 

अकेले गुरमेल और शकीना ने ही आपस में सुख दुख नहीं किया बल्कि रिश्तेदार भी एक दूसरे के रू ब रू हुए हैं। भाई बहन ने एक दूसरे से करीबन 20 मिनट तक बात की है और एक दूसरे का दुख-सुख किया। इन 20 मिनटों में ही मानो 67 साल की जुदाई की कसर पूरी हो गई।

जस्सोवाल के कुलविंदर सिंह के फोन पर पाकिस्तान के ब्‍लागर नासिर ढिल्लों का व‍ीडियो काल आया। इसके बाद गुरमेल सिंह ने बहन शकीना को देखा तो वह एक पल के लिए स्‍तब्‍ध रह गए और फिर आंखों से अश्रुधारा बहने लगी। दोनों ने एक दूसरे का हाल चाल जाना और बाद में परिवार की बातें करने लगे।

वीडियो काल पर भाई गुरमेल सिंह ये बात करतीं शकीना व उनके परिवार के सदस्‍य। 

गुरमेल ने अपनी बहन से कहा कि काश, देश का बंटवारा ही न होता और जब पुलिस वाले मां को लेने आए तो मैं खेलने नहीं गया होता तो हम सभी साथ होने थे। गुरमेल ने बताया कि उन्‍होंंने बेहद तंगी के बीच बिना परिवार के एक-एक दिन जिंदा रहते हुए भी मरकर जिया है। अगर गांव के लोग नहीं संभालते तो शायद वह भी गलत रास्ते पड़ गए होते। उसने कहा कि मुझे पता चला है कि वह सड़क के रास्ते महज 200 किलोमीटर दूर है मगर सरहद की बंदिशें दीवार बनकर खड़ी हैं।

बंटवारे के समय परिवार से बिछड़ गए थे गुरमेल

दरअसल भारत पाक बंटवारे के वक्त गुरमेल का परिवार बिछड़ गया था। अब पाकिस्तान में रहती बहन शकीना बीबी ने लुधियाना के गांव जस्सोवाल में रह रहे अपने भाई गुरमेल सिंह को इंटरनेट मीडिया के जरिए ढूंढा। गुरमेल सिंह का जन्म बंटवारे से पहले लुधियाना के नूरपुर गांव में हुआ था, जबकि शकीना बीबी का जन्म पाकिस्तान के शेखुपुरा में 1955 में हुआ।

बंटवारे के वक्त गुरमेल एवं उनकी मां अपने पुश्तैनी गांव में ही रह गए। पिता पाकिस्‍तान चले गए थे और उन्‍होंने  पत्‍नी एवं बेटे को लाने के लिए आवेदन किया तो पुलिस घर आई तो केवल पत्‍नी यानि गुरमेल की मां मिलीं। उस समय गुरमेल कहीं खेलने गए थे। पुलिस वाले गुरमेल की मां को ले गए और गुरमेल भारत में ही रह गए।   मां का कुछ साल बाद निधन हो गया। उस समय शकीना दो वर्ष की थी। कुछ साल बाद पिता वली मोहम्मद का भी निधन हो गया।

ऐसे मिले भाई - बहन

दरअसल जुलाई माह में पाकिस्तान के एक ब्‍लागर नासिर ढिल्लों ने शकीना खान की फोटो समेत जानकारी इंटरनेट मीडिया पर शेयर की थी और उन्‍होंंने शकीना के भाई गुरमेल के भारत के पंजाब के गांव जस्सोवाल में होने की बात कही। इसके बाद यहां के सरपंच जगतार सिंह ने गुरमेल सिंह की तलाश शुरू कर दी और पुराने बुजुर्गों से ही गुरमेल सिंह का पता चला था।

गुमरेल सिंह इस समय 75 वर्ष के हैं और व्हीलचेयर पर ही जीवन बसर कर रहे हैं। उनका कहना है कि उनकी तरफ से वीजा लेने का भी प्रयास किया गया था यह संभव नहीं हो सका है। जीवन  का क्या पता कब समाप्त हो जाए और वह एक दफा फोन पर ही सही मगर अपनी बहन को देखना चाहते थे और दोनों मुल्कों के युवाओं ने पूरा कर दिया है। अब अगर मौत आ भी जाए तो कोई टीस नहीं रहेगी।

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