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Sanskarshala: प्रिंसिपल जसविंदर कौर सिद्धू बोलीं, संचार क्रांति के खतरों से हमेशा रहना होगा सावधान

Sanskarshala डीएवी पब्लिक स्कूल प्राचार्या जसविंदर कौर सिद्धू ने कहा कि तकनीक के फायदे और नुकसान दोनों ही नजर आ रहे हैं। संचार क्रांति के जिस दौर में हम पहुंच गए हैं वहां से वापस मुड़ना तो संभव नहीं है लेकिन इसके खतरों से सावधान रहा जा सकता है।

By Jagran NewsEdited By: DeepikaUpdated: Fri, 28 Oct 2022 10:29 AM (IST)
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Sanskarshala: डीएवी पब्लिक स्कूल प्राचार्या जसविंदर कौर सिद्धू। (जागरण)

जागरण संवाददाता, लुधियाना। Sanskarshala: एक छोटी- सी कहानी जहन में आती है। स्कूल से घर आया हुआ बच्चा बड़ी तेजी से मोबाइल पर कुछ देखने लगता है तो दादा जी उसे डांट कर बिठा देते हैं। बच्चा मुंह फुला कर बैठा है और उसके पिता के आने पर दादाजी ने पोते की शिकायत की। बच्चे ने अपनी सफाई देते हुए कहा कि वह तो केवल आनलाइन टेस्ट देख रहा था। किंतु दादाजी ने समझा कि बच्चा मोबाइल में आंखें गड़ाए बैठा है।

पिता ने अब समझ लिया कि दादाजी को तकनीक की समझ न होने की वजह से यह गलतफहमी हुई है। उसे अब बुजुर्ग पिता को कुछ नई तकनीक की जानकारी और बेटे को डिजिटल संस्कार देने होंगे। इसमें कोई दो राय नहीं है कि रफ्तार हमारे युग का सच है। शिक्षा, ज्ञान- विज्ञान, चिकित्सा, व्यापार हर जगह तकनीक एवं संचार साधनों ने लोगों के जीवन को बदला है। कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई और दफ्तरी कामकाज तकनीक के सहारे ही चलते रहे हैं किंतु आज जब हम उस दौर से धीरे-धीरे बाहर निकल आए हैं। प्राचार्या होने के नाते मैं महसूस कर पा रही हूं कि बच्चे अब भी तकनीक पर हद से ज्यादा निर्भर हैं जिस के फायदे और नुकसान दोनों ही नजर आ रहे हैं।

यूं देखा जाए तो शिक्षा का त्रिकोण अभिभावकों, छात्रों और समाज के मिले-जुले सहयोग पर ही आधारित है। इसके तीनों ही कोण शिक्षा को सुगम बनाने के लिए एक-दूसरे के साथ हाथ से हाथ मिला कर चलते हैं। संचार क्रांति के जिस दौर में हम पहुंच गए हैं वहां से वापस मुड़ना तो संभव नहीं है लेकिन इसके खतरों से सावधान रहा जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि हम अध्यापक व माता-पिता नई पीढ़ी को जागरूक करें। हमें बच्चों को जानकारी देनी होगी कि वे मोबाइल जैसे माध्यमों का जरूरत भर इस्तेमाल करें व ज्यादा से ज्यादा वक्त वास्तविक दुनिया को दें।

अभिभावकों से मेरा निवेदन है कि अगर आपका बच्चा साइबर बुलिंग, आनलाइन गेमिंग और ब्लैक मेलिंग का शिकार है तब अपराध रोकने के लिए बनाए गए नंबर 1930 पर तुरंत शिकायत दर्ज करवाएं। हम तकनीक को अपना गुलाम बनाएं, उसके गुलाम न बनें। साथ ही साथ हम अपने बुजुर्गों को भी यह तकनीकी ज्ञान दें। अक्सर देखा जाता है कि फर्जी काल करके दूरदराज बैठे रिश्तेदारों के नाम पर शातिर ठग उन्हें लूट रहे हैं।

यहां तक कि जानकारी अपडेट करने के झांसे में रखकर उनसे निजी सूचनाएं/ओटीपी नंबर मांग कर उनकी जीवन भर की कमाई को साफ कर दिया जाता है। मैं समझती हूं कि उंगली पकड़कर चलना सिखाने वाले मां-बाप को अब हमें उसी उंगली से तकनीक के सहारे स्मार्ट होना सिखाना होगा। शायद यही पितृ ऋण उतारने का सबसे बढ़िया तरीका रहेगा। -जसविंदर कौर सिद्धू, प्राचार्या डीएवी पब्लिक स्कूल, बीआर एस नगर, लुधियाना।

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