Sanskarshala: प्रिंसिपल सतवंत भुल्लर बोलीं, किसी भी सूचना पर विश्वास करने से पहले जानें लें उसकी सत्यता
Sanskarshala आज के युग में इंटरनेट मीडिया का इस्तेमाल बहुत बढ़ गया है। ऐसे में डीएवी पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल डा. सतवंत भुल्लर ने सलाह दी है कि किसी भी सूचना पर विश्वास करने से पहले उसकी सत्यता अवश्य जान लें।
By Jagran NewsEdited By: DeepikaUpdated: Thu, 10 Nov 2022 09:33 AM (IST)
जागरण संवाददाता, लुधियाना। Sanskarshala: सतयुग, द्वापर और त्रेता के बाद कलयुग के वर्तमान दौर को अगर हम डिजिटल युग कहें तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। डिजिटल युग आम लोगों के जीवन में बहुत बड़ी क्रांति लेकर आया है। इंटरनेट की सहायता से आज के मनुष्य ने समय और दूरी पर विजय प्राप्त कर ली है। डिजिटल दुनिया का अर्थ हम यूं भी लगा सकते हैं कि दुनिया आज हमारी अंगुलियों पर है।
समय के साथ धार्मिक, सामाजिक, वैश्विक, पारिवारिक और सांस्कृतिक मूल्यों के आयाम और रूपरेखाएं बदलती जा रही हैं। दुनिया में दो तरह की सभ्यताओं का दौर शुरू हो चुका है। एक वर्चुअल या आभासी और दूसरी फिजिकल या भौतिक सभ्यता। इंटरनेट वर्तमान समय में एक ऐसी तकनीक के रूप में हमारे सामने आया है जो उपयोग के लिए सबको उपलब्ध है। यह संचार व सूचना का एक सशक्त जरिया है, जिसके माध्यम से लोग अपनी बात बिना किसी रोकटोक के रख पाते हैं। इंटरनेट मीडिया के कई स्वरूप विकसित हुए हैं।
यह एक करिश्माई योग ही है कि पलक झपकते ही हम दुनिया के किसी भी कोने के व्यक्ति से जुड़ सकते हैं, कोई भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। कोरोना महामारी ने समय में शिक्षा के क्षेत्र में भी इंटरनेट एक बहुत बड़ी क्रांति लेकर आया। शिक्षा जगत को इसने जोड़ दिया। दुनिया जब अपने घरों में कैद होकर रह गई थी, उस समय इस डिजिटल दुनिया ने इस चिंता का निवारण किया। आनलाइन कक्षाओं के माध्यम से बच्चों की पढ़ाई और घर पर बैठकर भी अपने काम बिना बाधा होने लगे। कोरोना काल में ही इंटरनेट पर उपलब्ध या यूं कहें कि डिजिटल सामग्री का प्रयोग सर्वाधिक युवा पीढ़ी ने किया।
उन्होंने सीखा कि किसी भी जानकारी के लिए कहीं दूर जाने की जरूरत नहीं या अन्य साधनों पर निर्भरता नहीं। इंटरनेट पर एक बटन दबाइए और तुरंत विषय से संबंधित अनेक जानकारियां स्क्रीन पर उपलब्ध हो जाएंगी। अब न तो किसी विश्वकोष को देखने की जरूरत है और न ही संदर्भ पुस्तकों को खंगालने की। यह एक ऐसी सूचना का स्रोत है जिसमें सामग्री डिजिटल फाइलों में संग्रहित होती है। इंटरनेट पर प्रत्येक विषय से संबंधित अनगिनत जानकारियां उपलब्ध हैं। इंटरनेट मीडिया पर हर व्यक्ति अपनी राय व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र है।
इसमें प्रश्न यह उठता है कि उनके विचारों व उपलब्ध करवाई जा रही सामग्री के सत्यापन का आधार क्या है? क्या दी गई हर जानकारी को सत्य स्वीकार कर लिया जाना चाहिए? उनकी प्रमाणिकता का आधार क्या है? इस पर किसी भी प्रकार का नियंत्रण न होना कहीं न कहीं इस सामग्री, विचारों और जानकारी की सत्यता पर प्रश्नचिन्ह लगता है। इसका सर्वोत्तम समाधान यही है कि किसी भी जानकारी पर अपनी राय व विश्वास कायम करने से पहले डिजिटल के साथ अन्य स्रोतों से भी जानकारी प्राप्त की जाए।
किसी भी उपलब्ध सामग्री पर अपनी राय बनाने से पहले उस जानकारी को प्रमाणित करना जरूरी हो जाता है। निसंदेह डिजिटल माध्यम से सूचना किसी वरदान से कम नहीं है, जिससे समय और परिश्रम दोनों की बचत होती है। इसका सही व विवेकतापूर्ण प्रयोग इसके उपयोग को सार्थक बना देगा। - डा. सतवंत भुल्लर, प्रिंसिपल डीएवी पब्लिक स्कूल पक्खोवाल रोड।यह भी पढ़ेंः- Sanskarshala: प्रिंसिपल गिरीश कुमार बोले, डिजिटल वर्ल्ड से लें जानकारियां; पर विवेक का करें इस्तेमाल
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