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श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है जगराओं पुल का दुर्गा माता मंदिर, जरूरतमंदों की सेवा में भी तत्पर

जगराओं पुल के श्री दुर्गा माता मंदिर में भक्तों की असीम आस्था है। मान्यता है कि यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। दूर-दूर से श्रद्धालु यहां नतमस्तक होने पहुंचते हैं। इसके साथ ही यह मंदिर जरूरतमंदों की सेवा में भी तत्पर रहता है।

By Rajiv Pal sharma Edited By: DeepikaUpdated: Sat, 19 Nov 2022 09:50 AM (IST)
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जगराओं पुल के पास स्थित दुर्गा माता मंदिरl (जागरण)

जागरण संवाददाता, लुधियाना। करीब 67 वर्ष पहले सीमित जगह में जगराओं पुल के पास बनाया गया श्री दुर्गा माता मंदिर आज श्रद्धालुओं की आस्था का बड़ा केंद्र बन गया है। लुधियाना के अलावा अन्य शहरों सें भी भक्त इस मंदिर में दुर्गा माता के स्वरूपों के दर्शनों और उनका आशीर्वाद लेने के लिए पूरे श्रद्धा भाव से पहुंचते हैं।

नवरात्र में यहां भक्तों को मां के दर्शनों के लिए लंबी लाइनों में इंतजार करना पड़ता है। भक्तों का ऐसा विश्वास है कि यहां पर मां से जो मांगा जाए वह जीवन में अवश्य मिलता है। इसके अलावा 7 जून 2009 को मंदिर में डायग्नोस्टिक सेंटर, डेंटल चेयर लोगों की सुविधा के लिए लगाई गई। आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग के लोगों के लिए यहां एक अस्पताल बना है। ऐसे में श्रद्धालुओं का आस्था का केंद्र यह मंदिर जरूरतमंदों की सेवा में भी तत्पर है।

विधि-विधान के साथ संपन्न होती है पूजा

मंदिर में श्री दुर्गा मां की भव्य मूर्ति के अलावा मां के नौ स्वरूप और शिव दरबार में भव्य शिवलिंग स्थापित है। इसके अलावा भी मंदिर परिसर में अन्य देवी देवता भी विराजमान हैं और उनकी भी पूरे विधि विधान के साथ पूजा अर्चना होती है। 26 अप्रैल 1955 को स्वर्गीय मुनी लाल मित्तल के सदप्रयत्नों से पावन धाम श्री दुर्गा माता मंदिर का निर्माण कार्य आरंभ हुआ। तब इस मंदिर के चारों ओर अभी उस भव्यता का निर्माण नहीं हुआ था, जो अब है।

लगतार तीन चार वर्षों के प्रयासों से मंदिर का स्वरूप उभर कर सामने आया। वर्ष 1955 में शरदीय नवरात्रों पर साधु गणेश दत्त, एवं पंडित जगन्नाथ के पावन सानिध्य में एक सप्ताह तक मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा के धर्म कार्य, हवन यज्ञ इत्यादि संपन्न होते रहे। वर्ष 1960 में श्री दुर्गा माता मंदिर के विस्तार का काम शुरू हुआ। तब श्री लक्ष्मी नारायण जी, श्री राधा कृष्ण जी, श्री हनुमान जी, भगवान शिवजी और शिव परिवार की प्राण प्रतिष्ठा की गई।

मूर्ति कलाकार बंता सिंह ने किया है कला का प्रदर्शन

लुधियाना के मूर्ति कलाकार बंता सिंह ने अपनी कला का प्रदर्शन करते हुए दुर्गा माता और मां सरस्वती के भव्य मूर्तियों के स्वरूप निर्मित किए। वर्ष 1976 में सुदेश गुप्ता की देखरेख में लखनऊ के शिल्पी कलाकार सोहन लाल के साथ संपर्क करके वर्तमान गुबंद का माडल तैयार कराया।

सात साल में पूरा हुआ निर्माण कार्य

1977 में डीपी शर्मा की देखरेख में नव गुंबज का निर्माण किया। सात साल में इसका निर्माण कार्य पूरा हुआ। इस गुबंद पर शिव भोले के गण दर्शाए गए हैं। सर्पों का जाल और शंख चक्र के उपर से उठाए हुए दिखाया गया है। श्री सूर्य भगवान व भारत के नक्शे को भी इस पर दर्शाया गया है।

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