Move to Jagran APP

Snatching in Ludhiana: झपटमारी की वारदातों से बढ़ रहा तनाव, युवाओं और महिलाओं का टूट जाता है मनोबल

Snatching in Ludhiana शहर में झपटमारी के मामले बढ़ने से लाेग तनाव का शिकार हाे रहे हैं।झपटमारी के बाद बच्चों व महिलाओं को उनके साथ हुए हादसों से उभरने में काफी समय के साथ-साथ मेहनत भी करनी पड़ती है।

By Rajan Kumar Edited By: Vipin KumarUpdated: Mon, 21 Nov 2022 07:51 AM (IST)
Hero Image
Snatching in Ludhiana: शहर में बढ़ रही स्नेचिंग की वारदातें। (सांकेतिक तस्वीर)
राजन कैंथ, लुधियाना। Snatching in Ludhiana: शहर में सक्रिय मोटरसाइकिल सवार बदमाश खुलेआम झपटमारी की वारदातें कर रहे हैं। ज्यादातर मामलों में पुलिस उन्हें पकड़ने में विफल साबित होती है। मगर झपटमारों का शिकार हो रहे युवा और महिलाओं में तनाव के मामले बढ़ रहे हैं। ऐसी वारदाताें के बाद पीड़ितों का न केवल मनोबल टूटता है, बल्कि वह भय से भी ग्रस्त हो जाते हैं। पिछले दिनों में ऐसे मामले बढ़े हैं, जिनमें झपटमारी का शिकार हुए बच्चों व महिलाओं को उनके साथ हुए हादसों से उभरने में काफी समय के साथ-साथ मेहनत भी करनी पड़ी।

केस-1: माडल टाउन निवासी तनिव मल्होत्रा ने बताया कि शुक्रवार शाम माडल टाउन इलाके में उनके 15 वर्षीय बेटे देवस्यु मल्होत्रा का नया मोबाइल फोन मोटरसाइकिल सवार झपट कर ले गए। उस हादसे के बाद उनका बेटा इस कदर तनावग्रस्त हो गया कि उसे संभालने में उन्हें बेहद मशक्कत करनी पड़ी। घटना के दो दिन बाद भी वो उस घटना को लेकर दहशत में है।

केस-2: बिंद्रा कालोनी निवासी राम स्वामी के 13 वर्षीय बेटे कमल के साथ तो बहुत बुरा हुआ था। वो घर से पैदल अपनी दुकान की और जा रहा था। उसी दौरान मोटरसाइकिल पर आए दो बदमाशों ने उसके सिर पर किसी चीज से वार कर दिया और उसके हाथ में पकड़ा मोबाइल झपट कर ले गए। उस हादसे के बाद एक सप्ताह तक कमल दहशतजदा रहा।

केस-3: साहनेवाल के माडल टाउन निवासी सतवंत कौर (83) गत 9 सितंबर को बैंक से नगदी निकलवा कर घर लौट रही थी। उसी दौरान पीछे से आए झपटमार ने उन्हें धक्का मार कर गिरा दिया। उनके हाथ में पकड़ा पर्स झपट कर फरार हो गया। पर्स में 15 हजार रुपये की नगदी व अन्य सामान था। वृद्धा घायल तो हुई ही, उसके साथ ही डिप्रेशन का शिकार हो गई।

घर में भी खुद को महसूस करते हैं असुरक्षित

ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं। बच्चों व महिलाओं को ऐसी घटनाएं किसी धमकी की तरह से लगती है। उन्हें लगता है कि उसमें तो उनकी जान भी जा सकती थी। वह घर में भी खुद को असुरक्षित महसूस करने लगते हैं। भय बढ़ने की वजह से वो तनावग्रस्त हो जाते हैं। ऐसे में सब की जिम्मेदारी है कि उनकी पूरी बात को ध्यान से सुनें, ताकि वो अपने डर का इजहार कर पाएं। उन्हें सावधानी रखने के लिए समझाएं। उन्हें घर में बैठा न रहने दिया जाए। उन्हें अपने साथ ले जाकर घुमाएं फिराएं। समय के साथ वो नार्मल हो जाते हैं। उन्हें बताएं कि रोड पर चलते फोन का इस्तेमाल न करें। पर्स को सावधानी से पकड़ें। -डा. रविंदर काला, मनोचिकित्सक, डायरेक्टर माइंड प्लस।

नई तकनीक पर काम कर रही पुलिस

वारदातों पर लगाम कसने के लिए पीसीआर व साइबर क्राइम टीम को एक्टिवेट किया गया है। साइबर टीम की मदद से झपटे गए फोन के आन होते ही लोकेशन व नंबर पता चल जाता है। सेफ सिटी वाले कैमरे चेक करवा रहे हैं। बदमाशों को पकड़ने में उनसे काफी सफलता मिली है। वारदातों की रोकथाम के लिए कदम उठाए जाने बेहद जरूरी है। उसके लिए नई तकनीक पर काम किया जा रहा है। ज्यादा वारदातों वालों प्वाइंट्स को चिन्हित किया जा रहा है। कुछ बदमाश नशे की पूर्ति के लिए और कुछ आदतन वारदातें करते हैं। पुलिस लगातार उन्हें पकड़ती रही है, आने वाले दिनों में भी किसी को बख्शा नहीं जाएगा। -वरिंदर सिंह बराड़, डीसीपी इन्वेस्टीगेशन

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।