पंजाब में एसएमएस के जरिए स्टील के दामों में किया जा रहा बदलाव, परेशान कारोबारियों ने हाईकोर्ट में दायर की पीआईएल
कारोबारियों का कहना है कि इसको लेकर कई बार राज्य सरकार को कहा गया है। पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को शिकायत करने के बाद यह सिलसिला बंद हो गया था लेकिन अब दोबारा यह तेजी से अग्रसर होने लगा है। इसके चलते काम करना मुश्किल हो रहा है।
मुनीश शर्मा, लुधियाना। पंजाब में तेजी से बढ़ रहे स्टील के एसएमएस सट्टे बाजारी को लेकर 200 के करीब कारोबारियों ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। इसमें पंजाब व पड़ोसी राज्यों में एसएमएस के जरिए स्टील के दामों में किए जा रहे आर्टिफिशियल कारोबार को बंद करवाने की अपील की गई है।
कारोबारियों का कहना है कि इसको लेकर कई बार राज्य सरकार को कहा गया है। पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को शिकायत करने के बाद यह सिलसिला बंद हो गया था, लेकिन अब दोबारा यह तेजी से अग्रसर होने लगा है। इसके चलते काम करना मुश्किल हो रहा है। आए दिन स्टील के दामों में उठापठक से कारोबारियों का नुक्सान सहना पड़ता है और सट्टेबाज इसके एवज में पैसे कमा रहे हैं। इसको लेकर कारोबारियों ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में पीआइएल दायर की है। साथ ही वह सीएम मिलकर इस समस्या के समाधान की मांग करेंगे।
फर्नेस एलायंस लुधियाना वेल्फेयर सोसायटी के प्रधान महेश गुप्ता ने कहा कि स्टील का कारोबार पंजाब में तरक्की की राह पकड़ सकता है। पंजाब का कलस्टर बेहतर क्वालिटी प्रोडक्ट के लिए जाना जाता है। यहीं की इंजीनियरिंग इंडस्ट्री, साइकिल एवं साइकिल पार्टस, हैंडटूल, मशीन टूल इंडस्ट्री में इसकी खासी खपत होने के चलते पंजाब के रैवन्यू में भारी बढ़ोतरी की जा सकती है।
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पिछले कई सालों से एसएमएस के जरिए स्टील के दामों में उतार चढ़ाव का सिलसिला जारी है। इस नेक्सस को चलाने वाले लोग बिना किसी प्रोडक्शन के ही दामों को एसएमएस के जरिए बढ़ा और घटा देते हैं। इससे कारोबार करने में परेशानी होती है। इंडक्शन स्टील फर्नेस एसोसिएशन के भारत भूषण टोनी ने कहा कि यह नेक्सस लगातार बढ़ रहा है। अब यह टिप्स देने के लिए भी पैकेज देने लगे हैं और दामों को कंट्रोल करने के दावे तक कर रहे हैं।
फर्नेस एलायंस लुधियाना वेल्फेयर सोसायटी के चेयरमैन मोहन तायल ने कहा कि हमारे लिए यह एक बड़ी चुनौती है। इससे केवल इंडस्ट्री को नहीं बल्कि रोजाना प्रभावित होने वाले कारोबार से सरकार को टैक्स के रुप में भी नुक्सान सहना पड़ रहा है।