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Surya Grahan 2022: साल का दूसरा सूर्य ग्रहण दीपावली के बाद, 26 को मनाया जाएगा गोवर्धन पूजा और भाईदूज

Surya Grahan 2022 साल का दूसरा और आखिरी सूर्यग्रहण इस बार दीपावली के दूसरे दिन 25 अक्टूबर को लगेगा। इस कारण गोवर्धन पूजा और भाई दूज का पर्व 26 अक्टूबर को मनाया जाएगा। सूर्यग्रहण के दौरान खाने पीने की वस्तु में तुलसी पत्र या कुश डाल दें।

By Krishan Gopal Edited By: DeepikaUpdated: Mon, 17 Oct 2022 10:51 AM (IST)
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सूर्यग्रहण दीपावली के दूसरे दिन 25 अक्टूबर को लगेगा। (सांकेतिक)
जागरण संवाददाता, लुधियाना। दीपावली के अगले दिन जब आप उठेंगे, तो सूर्य ग्रहण का सूतक शुरू हो चुका होगा। दरअसल इस बार 25 अक्टूबर को साल का दूसरा और आखिरी सूर्यग्रहण लग रहा है। दीपावली कार्तिक अमावस्या को मनाई जाती है। अगर अमावस्या तिथि की बात करें तो वह 24-25 अक्टूबर को दोनों दिन रहेगी।

अमावस्या तिथि 24 अक्टूबर को शाम 5.27 बजे शुरू हो रही है, जो 25 अक्टूबर दोपहर 4:18 बजे तक रहेगी। सूर्य ग्रहण 25 अक्टूबर मंगलवार को लगेगा। सामान्य तौर पर दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है। परंतु इस बार सूर्य ग्रहण के कारण गोवर्धन पूजा, अन्नकूट, भाईदूज 26 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

भारत में दिखेगा सूर्य ग्रहण

ज्योतिषाचार्य डा. पुनीत गुप्ता के अनुसार यह ग्रहण ग्रस्तास्त खंडग्रास सूर्य ग्रहण है। भारतीय समय के अनुसार 25 अक्तूबर को ग्रहण का प्रारंभ:- दोपहर 2.29, ग्रहण का मध्य- 4.30 सायं, ग्रहण की समाप्ति- 6.32 सायं पर अरब सागर में खत्म होगा। लुधियाना शहर की बात करें तो भारतीय समयानुसार सूर्य ग्रहण 25 अक्टूबर मंगलवार को दोपहर 4.22 मिनट से शाम 5.42 मिनट तक यानी लगभग 1 घंटा 20 मिनट रहेगा। 

सूतक काल में न करें मांगलिक कार्य

ज्योतिषाचार्य राहुल हांडा के अनुसार ग्रहण लगने से पहले के समय को अशुभ माना जाता है और इसे ही सूतक काल कहते हैं। सूतक काल में कोई भी मांगलिक काम नहीं होते। न ही किसी व्यक्ति को इस समय में नए काम शुरू करना चाहिए। सूतक काल में न ही खाना बनाएं और न ही खाना बनाएं। अगर खाना बना हुआ रखा है तो उसमें कुशा घास या तुलसी के पत्ते डालकर रखें। सूतक काल में दांतों की सफाई, बालों में कंघी नहीं करने और नाखुन काटने की भी मनाही होती है। सूतक काल में मंदिर के कपाट बंद कर देने चाहिए।

तुला राशि और नक्षत्र के जातक रखें ध्यान

ज्योतिष नीतिश वर्मा के अनुसार खंडग्रास सूर्य ग्रहण कार्तिक अमावस्या दिन मंगलवार स्वाति नक्षत्र में प्रीति योग का तुला राशि में घटित हो रहा है। अत: इस राशि एवं नक्षत्र में पैदा हुए जातकों को विशेष ध्यान रखना होगा। इस राशि वालों को ग्रहण में विशेष रूप से दान, जाप, आदित्य हृदय स्तोत्र, सूर्यअष्टक आदि का पाठ करना चाहिए।

सूर्यग्रहण की कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य ग्रहण की कथा समुद्र मंथन से जुड़ी है। ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल में देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था, जिसमें 14 रत्न निकले। समुद्र मंथन में जब अमृत निकला तो देवताओं और दानवों के बीच युद्ध होने लगा। तब श्री हरि ने मोहिनी अवतार धारण किया और और देवताओं को अमृत पान करवाने लगे। उस समय राहु नाम के असुर ने भी देवताओं का वेश धारण करके अमृत पान कर लिया।

चंद्र और सूर्य ने राहु को पहचान लिया और भगवान विष्णु को बता दिया। तब विष्णु ने क्रोधित होकर राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया। राहु ने भी अमृत पान किया था इसलिए वह अमर हो गया। तभी से राहु चंद्र और सूर्य को अपना शत्रु मानता है। सूर्य और चंद्र ग्रहण के दिन उन्हें प्रभावित करता है।

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