आखिर मंत्री आशु को क्यों आता है गुस्सा?, तरेरी आंखों वाली फोटो होती है सबसे ज्यादा वायरल
कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु का गुस्सा काफी चर्चा में रहता है। उनकी तरेरी आंखों वाली फोटो सबसे ज्यादा वायरल होती है। लंबी दाढ़ी और बड़ी-बड़ी आंखों वाले आशु जब गुस्से में आते हैैं तो किसी को नहीं बख्शते।
By Vinay KumarEdited By: Updated: Sat, 10 Apr 2021 09:37 AM (IST)
लुधियाना [भूपेंदर सिंह भाटिया]। कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु का गुस्सा काफी चर्चा में रहता है। उनकी तरेरी आंखों वाली फोटो सबसे ज्यादा वायरल होती है। लंबी दाढ़ी और बड़ी-बड़ी आंखों वाले आशु जब गुस्से में आते हैैं तो किसी को नहीं बख्शते। जब गुस्से में होते हैैं तब वहां ठहरना मुश्किल होता है। यही वजह है कि उनके करीबी भी ऐसा कोई काम नहीं करते जिससे उन्हें मंत्री जी के गुस्से का सामना करना पड़े। हां, आशु जितना गुस्सा करते हैैं उतना ही लोगों से प्यार भी करते हैैं। उनके गुस्से में ही उनका प्यार छिपा होता है। दैनिक जागरण ने सियासत को छोड़कर उनसे बातचीत में यह जानने की कोशिश की कि आखिर उनको इतना गुस्सा क्यों आता है?
कैबिनेट मंत्री आशु अपने गुस्से को हमेशा सकारात्मक रूप में लेते हैं।
कैबिनेट मंत्री आशु अपने गुस्से को हमेशा सकारात्मक रूप में लेते हैं।
गुस्सा करने के सवाल पर मुस्कुराते हुए कहते हैं, 'ऐसा नहीं है, कोई काम गलत लगे तो बर्दाश्त नहीं होता और गुस्सा आ जाता है। ऐसे काम को करने से अपनों को न रोका जाए तो बड़ा नुकसान होता है। शहर के दो मंत्रियों (अब एक दिवंगत) का उदाहरण देते हुए कहते हैं 'जब वे मंत्री थे तो अपने करीबियों को संभाल नहीं पाए जिसका उन्हें नुकसान उठाना पड़ा। हालांकि दोनों मंत्री ईमानदार और लोकप्रिय थे। इसलिए मैं नहीं चाहता कि मेरे करीबी ऐसा कोई काम करें जो लोगों को उचित न लगे। अगर मैं उन्हें डांटता हूं तो प्यार भी करता हूं।
36 घंटे करते हैं काम :
यह अटपटा लग सकता है कि एक दिन में 24 घंटे होते हैं तो ऐसे में मंत्री 36 घंटे कैसे काम कर सकते हैं। आशु कहते हैं, 'मैैं पहले पार्षद और फिर विधायक बना। उस समय 18 घंटे काम करता था। मंत्री बनने के बाद चंडीगढ़ में भी रहना पड़ता है। मैं 18 घंटे काम करता हूं और पत्नी ममता आशु लुधियाना में मुझसे ज्यादा काम संभालती है। अगर मैं कहूं कि मैं 36 घंटे काम करता हूं तो कुछ गलत नहीं होगा। वे कहते हैैं कि कई बार लोग उनसे मुलाकात न होने पर मायूस हो जाते हैं। वे कोशिश करते हैं कि पार्षद रहते हुए लोगों से जैसे संबंध थे उन्हें बरकरार रखा जाए। पूरे प्रदेश की जिम्मेदारी है। चार दिन चंडीगढ़ में रहना पड़ता है। कई बार चंडीगढ़ में शाम पांच बजे काम खत्म कर लुधियाना पहुंचकर लोगों से मिलता हूं ताकि यह जुड़ाव हमेशा बना रहे।
मंत्री जी को आम पसंद है...
मंत्री आशु को फलों का राजा आम बहुत पसंद है। वह कहते हैं कि उन्हें सभी फल अच्छे लगते हैं, लेकिन अगर सामने आम हो तो उनका मन नहीं मानता। आफ सीजन में जब आम मिल जाए तो उसका लुत्फ जरूर उठाते हैं।
बच्चों को अपनी फील्ड चुनने की पूरी आजादी
अक्सर नेताओं के बच्चों का दायरा भी अच्छा खासा हो जाता है। वह भी पिता के नक्शे कदम पर चलने लगते हैं। मंत्री आशु के बच्चों के मामले में ऐसा नहीं है। उनके बेटे और बेटी को बहुत कम लोग जानते हैं। घर तक पहुंच रखने वाले लोग भी बच्चों से घुलमिल नहीं पाते। आशु कहते हैं कि बच्चों को उनकी मर्जी पर छोड़ा है। वह जिस फील्ड में जाना चाहें जाएं। वह खुद नहीं जानते थे कि कभी राजनीति में आएंगे। पिता के निधन के बाद राजनीति में कदम रखा। लोगों के काम करता गया और आज मंत्री की जिम्मेदारी मिली है।
36 घंटे करते हैं काम :
यह अटपटा लग सकता है कि एक दिन में 24 घंटे होते हैं तो ऐसे में मंत्री 36 घंटे कैसे काम कर सकते हैं। आशु कहते हैं, 'मैैं पहले पार्षद और फिर विधायक बना। उस समय 18 घंटे काम करता था। मंत्री बनने के बाद चंडीगढ़ में भी रहना पड़ता है। मैं 18 घंटे काम करता हूं और पत्नी ममता आशु लुधियाना में मुझसे ज्यादा काम संभालती है। अगर मैं कहूं कि मैं 36 घंटे काम करता हूं तो कुछ गलत नहीं होगा। वे कहते हैैं कि कई बार लोग उनसे मुलाकात न होने पर मायूस हो जाते हैं। वे कोशिश करते हैं कि पार्षद रहते हुए लोगों से जैसे संबंध थे उन्हें बरकरार रखा जाए। पूरे प्रदेश की जिम्मेदारी है। चार दिन चंडीगढ़ में रहना पड़ता है। कई बार चंडीगढ़ में शाम पांच बजे काम खत्म कर लुधियाना पहुंचकर लोगों से मिलता हूं ताकि यह जुड़ाव हमेशा बना रहे।
मंत्री जी को आम पसंद है...
मंत्री आशु को फलों का राजा आम बहुत पसंद है। वह कहते हैं कि उन्हें सभी फल अच्छे लगते हैं, लेकिन अगर सामने आम हो तो उनका मन नहीं मानता। आफ सीजन में जब आम मिल जाए तो उसका लुत्फ जरूर उठाते हैं।
बच्चों को अपनी फील्ड चुनने की पूरी आजादी
अक्सर नेताओं के बच्चों का दायरा भी अच्छा खासा हो जाता है। वह भी पिता के नक्शे कदम पर चलने लगते हैं। मंत्री आशु के बच्चों के मामले में ऐसा नहीं है। उनके बेटे और बेटी को बहुत कम लोग जानते हैं। घर तक पहुंच रखने वाले लोग भी बच्चों से घुलमिल नहीं पाते। आशु कहते हैं कि बच्चों को उनकी मर्जी पर छोड़ा है। वह जिस फील्ड में जाना चाहें जाएं। वह खुद नहीं जानते थे कि कभी राजनीति में आएंगे। पिता के निधन के बाद राजनीति में कदम रखा। लोगों के काम करता गया और आज मंत्री की जिम्मेदारी मिली है।
भगवान शिव के उपासक हैं आशुआशु भले की लोगों के बीच व्यस्त रहते हैं लेकिन उतने ही धार्मिक भी हैं। भगवान शिव के उपासक हैं। श्री अमरनाथ यात्रा हो या फिर शिवरात्रि में उज्जैन उत्सव, विशेष दिनों में भोलेनाथ के चरणों में जाने से खुद को नहीं रोक पाते हैं।
काम करते जाओ... रिजल्ट खुद मिल जाएगा
कैबिनेट मंत्री कहते हैं कि उनके जीवन का सिद्धांत है 'करते जाओ, करते जाओ, करते जाओ.... रिजल्ट अपने आप मिलेगा। इसी थ्योरी पर काम करता हूं और ईश्वर हर सपने का पूरा कर रहा है।