पटियाला रियासत के राजाओं ने बनवाया है मां काली माता मंदिर, बंगाल से लाई गई पावन ज्योति; आज भी चढ़ते हैं बकरे, मुर्गे व शराब
पटियाला में स्थित प्राचीन व एतिहासिक व प्रसिद्ध श्री काली देवी मंदिर को पटियाला रियासत के महाराजा भूपिंदर सिंह ने 1936 में बनवाया था। इसी मंदिर में विराजमान रियासत की कुलदेवी मां राज राजेश्वरी का मंदिर मां काली देवी के पीछे है।
By Vinay KumarEdited By: Updated: Sun, 19 Jun 2022 08:57 AM (IST)
पटियाला [सुरेश कामरा]। पटियाला शहर के माल रोड पर स्थित प्राचीन व एतिहासिक व प्रसिद्ध श्री काली देवी मंदिर को पटियाला रियासत के महाराजा भूपिंदर सिंह ने 1936 में बनवाया था। भले मंदिर का नींवपत्थर उन्होंने रखा लेकिन मंदिर को पूरा करने का काम महाराजा कर्म सिंह ने किया। मंदिर में पटियाला रियासत की कुलदेवी मां राज राजेशवरी के साथ साथ छह फीट उंची मां काली देवी जी की मूर्ति स्थापित है। उस समय माता श्री काली देवी जी की मूर्ति का मुख शहर के बाहर की तरफ यानी बारांदरी गार्डन की तरफ रखा गया। जैसे-जैसे शहर के बाहरी हिस्सों में यानी बारांदरी की तरफ आबादी बढ़ ती गई तो देवी मां की नजरों के प्रभाव से उनको बचाने के लिए मंदिर में दीवार कर दी गई। इसी मंदिर में विराजमान रियासत की कुलदेवी मां राज राजेश्वरी का मंदिर मां काली देवी के पीछे है।
पटियाला के श्री काली देवी मंदिर में विराजमान मां काली देवी (जागरण)
मंदिर का इतिहास
श्री काली देवी जी का मंदिर करीब 86 वर्ष पुराना हो चला है। यहां पर केवल पटियाला शहर, पंजाब बल्कि देशभर से भक्त माथा टेकने आते हैं। यहां पर स्थापित मां काली देवी जी की मूर्ति कलकत्ता से खास तौर पर लाई गई और यहां पर जलने वाली ज्योति बंगाल से लाई गई जो आज भी अखंड तौर पर जल रही है। मंदिर में नवरात्र के दिनों में यानि नौ दिनों में भक्तों का लाखों की संख्या में आना जाना होता है। मंदिर सुबह पांच बजे खुलता है और रात नौ बजे तक खुला रहता है। रोजाना सुबह मंदिर के पुजारी देवी मां को स्नान करवाते हैं और श्रंगार किया जाता है। नवरात्र के समय नौ देवियों की पूजा भी विधी विधान के साथ संपन्न होती है। मंदिर के आसपास मेला लगता है और लाखों की संख्या में श्रद्धालु माथा टेकने के लिए आते हैं। इस लिए माल रोड से नौ दिन के लिए वाहनों का गुजरना रोक दिया जाता है।
शराब, बकरे व मुर्गे भी चढ़ते हैंमंदिर में नवरात्र में बकरे, मुर्गे सहित शराब का प्रसाद चढ़ता है। इसके अलावा कड़ाह प्रसाद व मीठा पान का भी मां के चरणों में भोग लगाया जाता है। खासियत यह है कि नवरात्र में भक्त गांवों से अधिक संख्या में आते हैं। हजारों की संख्या में आने वाले भक्तअष्टमी के दिन सुबह से लेकर दोपहर तक कतार में लगकर मां के दर्शन होते हैं। मंदिर में एक सरोवर है जहां पर किसी समय आने वाले श्रद्धालु प्रवेश करते समय स्नान करके भीतर आते थे। शहर के बुजुर्ग कन्यैया लाल के मुताबिक पहले मंदिर में आने का रास्ता पीछे का द्वार था। जहां से लोग भीतर आते ही श्री गणेश जी के दर्शन करते हुए माथा टेककर वापिस इसी द्वार सा जाते थे। उसके बाद फिर मां काली जी का मंदिर बना और धीरे धीरे इसका रास्ता माल रोड की तरफ से कर दिया गया।
पटियाला के माल रोड पर स्थित श्री काली देवी मंदिर (जागरण)
कैसे पहुंचे मंदिर मेंश्री काली देवी जी का मंदिर बस स्टैंड एवं रेलवे स्टेशन से मात्र आधा किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बस स्टैंड एवं रेलवे स्टेशन से पैदल 15-20 मिनट एवं रिक्शा अथवा तीन पहिया वाहन के जरिये मात्र 10 मिनट में मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। भक्तों के लिए रोजाना मंदिर में लंगर का इंतजाम है। माल रोड पर मंदिर स्थित होने के कारण लोग मंदिर के बाहर खड़े होकर भी माथा टेक सकते ह
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।