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तबाही के निशान छोड़ गई बाढ़... ग्रामीण क्षेत्रों में जनजीवन अस्त-व्यस्त, लोग बोले- न खाने को रोटी, न सिर पर छत

मानसा जिले में बाढ़ ने भयंकर तबाही मचाई। ग्रामीण क्षेत्रों में बाढ़ से काफी नुकसान पहुंचा है। कई गांवों में अभी भी बाढ़ का पानी खड़ा हुआ है। वहीं जहां से पानी निकल चुका है वहां अब तबाही के निशान नजर आ रहे हैं। दैनिक जागरण ने बाढ़ के बाद के हालात जानने के लिए गांव साधुवाला का दौरा किया तो देखा कि गांव के हालात बदतर बने हुए हैं।

By Gurprem LehriEdited By: Rajat MouryaUpdated: Sun, 10 Sep 2023 03:32 PM (IST)
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तबाही के निशान छोड़ गई बाढ़... ग्रामीण क्षेत्रों में जनजीवन अस्त-व्यस्त
साधुवाला/मानसा, गुरप्रेम लहरी। Punjab Flood News सरदूलगढ़ क्षेत्र के गांव में आई बाढ़ को बेशक तीन माह बीत गए हैं। लेकिन गांव साधुवाला के लोगों के लिए बाढ़ के हालात आज भी ज्यों के त्यों बने हुए हैं। बेशक खेतों और घरों से पानी सूख गया है। लेकिन उनकी आंखों में बाढ़ आज भी बरकरार है। बाढ़ के तीन माह बाद भी उनके सिर पर छत नहीं है और वे खुले आसमान के नीचे जिंदगी किसी तरह काट रहे हैं।

साल भर के लिए जमा किया गया गेहूं भी बाढ़ में खराब हो चुका है और अब लोगों के सामने रोटी का संकट बन गया है। कहीं से भी कोई सहायता न मिलने के कारण अपनी बदतर हालत के चलते अक्सर उनकी आंखें भर आती हैं। दैनिक जागरण ने बाढ़ के बाद के हालात जानने के लिए गांव साधुवाला का दौरा किया तो देखा कि गांव के हालात बदतर बने हुए हैं।

बाढ़ ने मचाई तबाही

बाढ़ की त्रासदी के बाद जागरण टीम जब गांव साधुवाला के बनारसी दास के घर पर पहुंची। उनके घर में सिर्फ एक ही कमरा था और वह भी आधा बाढ़ के कारण गिर गया। इसके अलावा एक साइड की दीवार भी गिर चुकी है। अब उनके घर का आटा, बिस्तर, पेटी, बर्तन आदि सब कुछ बाहर पड़ा हुआ है। उनका कहना है कि उनको किसी प्रकार की कोई मदद नहीं मिली। उनके भाई के घर में भी बाढ़ ने बहुत नुकसान किया है। वे भी अपना पूरा सामान घर के वेहड़े में रख कर बैठे हुए हैं।

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'अब तक नहीं मिला मुआवजा'

शिंदर कौर के घर में कुल तीन कमरे हैं। इनमें से एक के कमरे की छत गिर गई जबकि दूसरे कमरे में भी पानी भर जाने के कारण पूरा सामान खराब हो गया था। आपाहिज शिंदर कौर के दो बेटे व एक पुत्रवधु की कुछ समय पहले मौत हो चुकी है। उन्होंने बताया कि बाढ़ का पानी पंद्रह मिनट में ही उनके घर तक पहुंच गया। हमसे जितना सामान उठाया गया, उतना ही उठा सके। उनको अब तक कोई मुआवजा नहीं मिला।

'घर में घुसा बाढ़ का पानी'

जगतार सिंह के घर में बाढ़ का पानी घुस गया, जिस कारण उनके एक कमरी की छत बिलकुल ही गिर गई जबकि एक कमरे की आधी छत गिर गई। उनकी माता का कमरा भी पानी के साथ भर गया था। उसकी भी आधी छत्त गिर गई थी। जगतार सिंह अपने घर का सामान अब एक तंबू में रख कर बैठा हुआ है। तंबू के नीचे ही बेड रखा हुआ है। कुछ सामान अन्य लोगों के घरों में रखा हुआ है। उनको अभी तक कोई मुआवजा नहीं मिला,लेकिन उनको उम्मीद है कि सरकार उनके नुकसान की भरपाई करेगी।

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गांव फूस मंडी को जाती सड़क पर ढाणी में नछत्तर सिंह का घर है। उनकी पत्नी शिंदर कौर ने बताया कि बाढ़ के पानी से उनके घर का पूरा फर्श बैठ गया है। एक कमरे के लैंटर में दरार आ गई। लेकिन उनके पास कोई मुआवजा राशि नहीं पहुंची। बुजुर्ग शिंदर कौर बताती है कि उनके दो बेटे थे, दोनों की काफी साल पहले मौत हो गई। जब 1993 में बाढ़ आई थी तो उनके दोनों बेटों ने घर के चारों ओर बांध मार दिया था। जिस कारण पानी घर में नहीं घुस पाया था। लेकिन इस बार तो उनको घर छोड़ कर भागना पड़ा था। अब अगर उनके दोनों बेटे जिंदा होते तो घर में पानी दाखिल नहीं हो सकता था।

कैंप लगा कर बांट रहे हैं मुआवजा- एसडीएम

बाढ़ प्रभावित गांवों की गिरदावरियां करा कर घरों की रिपोर्ट बीएंडआर से लेकर पीड़ित लोगों को मुआवजा दे रहे हैं। अब तक 45 फीसद पीड़ितों को मुआवजा वितरित कर दिया गया है। हम मुआवजा बांटने के लिए गांवों में कैंप लगा रहे हैं। ताकि पीड़ितों को परेशानी न हो। - अमरिंदर सिंह मल्ही, एसडीएम, सरदूलगढ़

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