कारपोरेट का मिला साथ तो पंजाब में किसानों की बदल गई तकदीर, खेती-किसानी का तरीका भी बदला
पंजाब में किसानों को कारपोरेट क्षेत्र का साथ मिला तो उनकी तकदीर बदलने लगी और इसके साथ ही उनकी खेती का तरीका बदल गया है। पंजाब के मालवा क्षेत्र के किसानों की नेस्ले मिल्क प्लांट से जुड़कर आय कई गुना बढ़ गई है।
By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Tue, 22 Dec 2020 05:02 PM (IST)
मोगा, [सत्येन ओझा]। Farmers and Corporate: पंजाब में कारपोरेट क्षेत्र से जुड़ने के बाद काफी संख्या में आत्मनिर्भर हुए हैं और बिचौलियों के चंगुल से भी निकले हैं। इन किसानों की तकदीर तो बदल ही रही है, उनकी किसानी का तरीका भी बदल गया है। काफी संख्या में पंजाब के किसान कभी आर्थिक जरूरतों की पूर्ति के लिए आढ़तियों पर निर्भर थे लेकिन अब दूध के बिक्री करके नई इबारत लिख रहे हैं। 1961 में मोगा में लगाए गए नेस्ले के प्लांट ने किसानों की सोच बदली तो किसान भी कृषि के इस सहायक व्यवसाय को अपनाने के लिए आगे आए।
मालवा के किसानों ने लिखी श्वेत क्रांति की इबारत, आढ़तियों के चक्कर नहीं लगाते ये किसान, हुए आत्मनिर्भर
किसानों ने नेस्ले प्लांट में दूध देना शुरू किया तो उन्हें हर 15 दिन के बाद नकद राशि का भुगतान होने लगा। किसानों को लगा कि आढ़तियों के चक्कर लगाकर ब्याज पर पैसा लेने के बजाय दूध बेचकर घर चलाया जाए। किसानों का इस ओर रुझान बढ़ा तो नेस्ले ने भी उन्हें गाय व भैंस खरीदने के लिए बिना ब्याज पर ऋण उपलब्ध करवाया।
12 हजार से अधिक किसानों से नेस्ले रोज खरीद रहा 9.5 लाख लीटर दूध
पंजाब की मालवा बेल्ट में नेस्ले की ओर से करीब 12 हजार किसानों से साढ़े नौ लाख लीटर दूध की रोजाना खरीद की जाती है। राज्य के अलग - अलग जिलों के अलावा अब राजस्थान से भी किसान दूध यहां लाने लगे हैं। दूध उत्पादन के लिए आगे आए किसानों की खेती भी अब पशु आधारित हो गई है।
पारंपरिक खेती के चक्र से निकल कर किसानों ने अपने खेत में अन्य फसलों के अलावा एक निश्चित रकबा पशुओं के लिए चारा उगाने के लिए तय कर दिया। इसी बीच कंपनी की ओर से बीच में दूध के दाम नहीं बढ़ाए गए, लेकिन तब तक किसान जान चुके थे कि दूध उत्पादन उनकी जिंदगी बदल सकता है। कुछ किसानों ने तो खुद डेयरियां खोल दूध की सीधी बिक्री तक करनी शुरू कर दी।
'अच्छा है दूध का व्यवसाय'
बहोना चौक के किसान हरजिंदर सिंह का कहना है कि दूध का व्यवसाय बहुत बेहतर है। इस समय उनके पास 50 दुधारू पशु हैं। दूध की बिक्री ने नया रास्ता खोला है। यह व्यवसाय बेहतर चल रहा है।
'दूध के मिल रहे हैं अच्छे दाम'
गांव मैहरों के दूध उत्पादक किसान सतनाम सिंह सत्ता ने कहा कि खेती के साथ ही दुधारू पशुओं से मिलने वाले दूध से उनके परिवार की गाड़ी अच्छे से चल रही है। वह अब स्थानीय डेयरी में भी दूध की सप्लाई दे रहे हैं और निजी स्तर पर भी दूध की बिक्री करते हैं। दूध के अच्छे दाम मिल रहे हैं।
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