अवैध कनेक्शनों को वैध करने का मामला, जांच रिपोर्ट में विभाग दोषी, कार्रवाई की सिफारिश
। जांच अधिकारी निगम के सचिव कम निगरान इंजीनियर आपरेशन एंड मेंटीनेंस किशोर बंसल ने विभाग के अधिकारियों को दोषी ठहराते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है।
By JagranEdited By: Updated: Thu, 09 Sep 2021 10:47 PM (IST)
सत्येन ओझा.मोगा
नोटिफिकेशन से पहले ही 938 पानी व सीवरेज के अवैध कनेक्शनों को वैध कर निगम के खजाने को करीब 50 लाख रुपये से ज्यादा का नुकसान पहुंचाने के मामले में जांच अधिकारी निगम के सचिव कम निगरान इंजीनियर आपरेशन एंड मेंटीनेंस किशोर बंसल ने विभाग के अधिकारियों को दोषी ठहराते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है, लेकिन जांच रिपोर्ट में किस अधिकारी के निर्देश पर बिना देखे ये आदेश लागू किया गया, ये बात बड़ी चालाकी से छुपाकर गोल मोल ढंग से तत्कालीन निगम कमिश्नर की जगह उच्चाधिकारियों के आदेश पर लागू करने की बात कही गई है। निगम को 50 लाख रुपये से ज्यादा का नुकसान पहुंचाने जैसे गंभीर मामले में जहां एक ओर विभाग के अधिकारियों को दोषी ठहराया गया है तो वहीं उन्हें विधायक व पार्षदों का हवाला देकर बचाने का भी प्रयास किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटिफिकशन से पहले ही इस योजना का लाभ पाने के लिए विधायक व निगम के पार्षदों ने भी समाचार पत्रों के माध्यम से खूब प्रचार किया था, साथ ही लोगों से योजना का लाभ उठाने की अपील की थी, उस समय तक सरकार की योजना का फाइनल नोटिफिकेशन नहीं आया था। हाउस की कार्रवाई रिपोर्ट में चला था पता
इस मामले का पता नगर निगम हाउस की बैठक की कार्रवाई की रिपोर्ट से पता चला है जो सरकार को मंजूरी के लिए भेजी गई है। रिपोर्ट में विभागीय अधिकारियों को दोषी माना है, लेकिन किसी के नाम का उल्लेख नहीं किया गया है, लेकिन दैनिक जागरण के पास जो दस्तावेज उपलब्ध हैं, उसमें सुपरिंटेंडेंट के हस्ताक्षर के बाद सरकार के 15 मार्च के पत्र पर अवैध कनेक्शन को वैध करने की सिफारिश सुपरिटेंडेंट के बाद एसई रंजीत सिंह ने की है, जिस पर बाद में अंतिम आदेश तत्कालीन निगम कमिश्नर अनीता दर्शी ने जारी किया था। जांच रिपोर्ट में कुल वैध किए गए अवैध कनेक्शनों की संख्या 938 बताई गई है। ये तथ्य छिपाया गया करीब दो लाख से ज्यादा की आबादी वाले शहर में 40 हजार से ज्यादा परिवार, कामर्शियल दफ्तर, दुकानें आदि हैं। पानी व सीवरेज के कनेक्शन की संख्या 22 हजार के लगभग है, सरकार की मंशा थी कि वर्षों से जो लोग अवैध कनेक्शन के माध्यम से पानी ले रहे हैं, या सीवरेज कनेक्शन जोड़े हैं, आर्थिक मजबूरी के चलते वे निर्धारित फीस जमा नहीं कर पा रहे हैं। उनके कनेक्शन बिना रोड कटिग 200 से 500 रुपये लेकर रेगुलर कर दिए जाएं ताकि भविष्य में उनसे नियमित रूप से पानी व सीवरेज का बिल आना शुरू हो जाए। सूत्रों का कहना है कि अवैध कनेक्शन को वैध ज्यादातर ऐसे कनेक्शन किए गए जिन्होंने हाल ही में नया मकान, दुकान या अन्य दफ्तर बनाया है, वे निर्धारित फीस जमा कराकर नया कनेक्शन लेना चाहते थे। नए कनेक्शन की तब फीस करीब पांच हजार रुपये से ज्यादा थी, रोड कटिग आदि अलग थी। रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र नहीं है कि जो कनेक्शन वैध किए गए हैं वे हाल में मिले आवेदन वाले थे, या फिर बस्तियों में कई दशकों से चल रहे अवैध कनेक्शन थे। सूत्रों का कहना है कि जांच में अगर ये तथ्य उजागर होता है तो सच्चाई सामने आ सकती है कि आखिर अवैध को वैध करने के पीछे की मंशा क्या थी? जांच रिपोर्ट में इस तथ्य को छुआ ही नहीं गया है।
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