चरित्र, संस्कार व जज्बे से हर मंजिल आपके कदमों में होगी : मालविका
देवीदास केवल कृष्ण चेरिटेबल ट्रस्ट के राजनंदिनी हाल में चले चरित्र निर्माण शिविर का समापन आचरण की शुद्धता समर्पण और जज्बे के संकल्प के साथ समाप्त हुआ।
By JagranEdited By: Updated: Tue, 15 Jun 2021 11:30 PM (IST)
जागरण संवाददाता.मोगा
देवीदास केवल कृष्ण चेरिटेबल ट्रस्ट के राजनंदिनी हाल में चले चरित्र निर्माण शिविर का समापन आचरण की शुद्धता, समर्पण और जज्बे के संकल्प के साथ समाप्त हुआ। शिविर में फिल्म अभिनेता सोनू सूद की बहन मोटीवेटर मालविका सूद सच्चर ने चरित्र निर्माण पर बड़ा ही मार्मिक व प्रभावशाली भाषण दिया। उन्होंने फिल्म अभिनेता सोनू सूद के जीवन के तमाम अनछुए प्रेरक प्रसंगों का उदाहरण देते हुए कहा कि लक्ष्य स्पष्ट हो, चरित्र ऊंचा हो, मन में कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तो कोई भी सफलता असंभव नहीं है।
शिविर में ट्रस्ट की संचालिका अर्थशास्त्री इंदु पुरी ने फूलों का गुलदस्ता भेंटकर सम्मानित किया। इस मौके पर शिविर में भाग ले रही छात्राओं को संबोधित करते हुए मालविका सूद सच्चर ने कहा कि कालेज के समय से उनके भाई सोनू सूद का एक ही लक्ष्य था कलाकार बनना है। हालांकि मोगा में प्लस-टू की पढ़ाई के बाद इंजीनियरिग की पढ़ाई के लिए नागपुर चले गए थे, लेकिन मन में लक्ष्य स्पष्ट था, इंजीनियरिग की पढ़ाई पूरी की लेकिन लक्ष्य से नहीं भटके, मुंबई में जब आम कलाकारों की तरह काम पाने के लिए संघर्ष कर रहे थे, तब ऐसा नहीं था कि परिवार आर्थिक रूप से कमजोर थे, बस सोनू ने मां-बाप को वादा किया था कि वे समय बर्बाद नहीं करेंगे, धन बर्बाद नहीं करेंगे। अपने लक्ष्य को हासिल करेंगे, सफलता नहीं मिली तो लौट आएंगे। सोनू चाहते थे कि पिता उन्हें मुंबई में कैब में चलने का खर्चा उठा सकते थे, लेकिन सोनू ने फिर भी संघर्ष के दिनों में 'मुंबई लोकल' में भीड़ के बीच खड़े होकर सफर किया, ये सोनू का चरित्र था, लक्ष्य पहले ही स्पष्ट था, इन्हीं दो गुणों ने मोगा की गलियों से निकलकर सोनू सूद को माया नगरी का हीरो बना दिया, रील लाइफ के हीरो से कोराना के वैश्विक संकट के दौरान सोनू रीयल लाइफ के हीरो बने तो बहन के रूप में उनके लिए ये कोई आश्चर्य चकित कर देने वाली बात नहीं थी, ये मां-बाप के संस्कार थे, जो भाई के साथ उन्हें भी मिले थे, इन्हीं तीन गुणों चरित्र, जज्बा व संस्कार ने आज सोनू ने देश का चहेता बना दिया। ये तीन गुण हों तो कोई भी सफलता के किसी भी मुकाम को हासिल कर सकता है।
मोटीवेटर मालविका सूद के इस संबोधन से ट्रस्ट की संचालिका ही नहीं छात्रों भी काफी भावुक नजर आईं। आचार्य सुनील शास्त्री ने कैंप की सफलता के लिए सभी का आभार व्यक्त किया।
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