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Lok Sabha Election 2024: पंजाब में बागियों ने बढ़ाई कांग्रेस की 'टेंशन', मुक्तसर के पार्षद ने थामा भाजपा का दामन

लोकसभा चुनाव के दौरान बागियों ने कांग्रेस की मुश्किल बढ़ा दी है। मुक्तसर से बागी चल रहे 10 पार्षदों में से एक पार्षद जगमीत सिंह गोरा कांग्रेस को छोड़ कर भाजपा में शामिल हो गए। जानकारी के मुताबिक मुक्तसर से बागी चल रहे 10 पार्षदों को कांग्रेस पार्टी के सीनियर नेताओं की ओर से मनाया नहीं गया। जिस कारण वे पार्टी के चुनावी गतिविधियों से लगातार दूरी बनाए हुए हैं।

By Rajinder Kumar Edited By: Rajiv Mishra Updated: Wed, 29 May 2024 04:24 PM (IST)
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कांग्रेस पार्षद जगमीत सिंह गोरा ने थामा भाजपा का दामन

जागरण संवाददाता, श्री मुक्तसर साहिब। लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) के दौरान नेताओं के दल बदलने का सिलसिला जारी है। मुक्तसर से एक कांग्रेस पार्षद ने भाजपा का दामन थाम लिया। जानकारी के मुताबिक बागी चल रहे 10 पार्षदों को कांग्रेस पार्टी के सीनियर नेताओं की ओर से मनाया नहीं गया।

जिस कारण वे फिरोजपुर से प्रत्याशी शेर सिंह घुबाया के चुनाव प्रचार से लगातार दूरी बनाए हुए हैं। दो दिन पहले मुक्तसर में पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग के पक्ष में निकाले गए रोड शो में भी यह पार्षद शामिल नहीं हुए थे।

कांग्रेस पार्षद जगमीत सिंह गोरा ने थामा भाजपा का दामन

मुक्तसर से बागी चल रहे 10 पार्षदों में से एक और पार्षद जगमीत सिंह गोरा कांग्रेस को छोड़ कर भाजपा में शामिल हो गए। उन्हें भाजपा प्रत्याशी राणा गुरमीत सिंह सोढी ने पार्टी की सदस्यता दिलाई।

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जगमीत सिंह गोरा वार्ड नंबर एक से पार्षद हैं। उधर, कांग्रेस के नेता जैसे बागियों को दरकिनार किए हुए हैं इससे लोकसभा चुनाव में पार्टी को नुकसान पहुंच सकता है। बता दें कि कांग्रेस के अब तक दो पार्षद पार्टी छोड़ चुके हैं। जबकि आठ अभी भी बागी हैं। वहीं कांग्रेस का और नेता सुधीर शर्मा भी भाजपा में शामिल हो गए हैं।

पार्टी अध्यक्ष से शिकायत के बाद भी नहीं हो रही सुनवाई

पूर्व पार्षद गुरमीत सिंह जीता ने कहा कि उनका नगर कौंसिल के प्रधान कृष्ण कुमार शम्मी तेरिया के साथ मतभेद हैं। प्रधान जो भी काम करना हो अपने स्तर पर करते हैं। उनकी कोई राय नहीं ली जा रही और न ही उनकी वार्डों में कोई काम हो रहा है। इसकी उन्होंने शिकायत पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग से की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

अंतत: उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया जिसे अभी तक मंजूर नहीं किया गया है। नगर कौंसिल के प्रधान के लिए उनकी परवाह नहीं की जा रही जिस कारण 10 पार्षद नाराज होकर घर बैठ गए हैं। दो तो पार्टी छोड़ गए हैं। उन्होंने कहा कि वे पार्टी के प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार का हिस्सा नहीं बन रहे हैं।

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