Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Punjab Water Crisis: मुक्तसर में पीने योग्‍य नहीं बचा पानी, 45 में से 33 सैंपल फेल; 15 साल पहले लगाए गए थे RO प्लांट

Punjab Water Crisis पंजाब के मुक्‍तसर में पानी पीने योग्‍य नहीं बचा है। इस साल 45 में 33 सैंपल फेल आए हैं। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक लगातार सार्वजनिक स्थानों से सैंपल लिए जा रहे हैं। बस स्टैंड से भी सैंपल लिए गए हैं जिसकी अभी रिपोर्ट आना बाकी है। अगर पानी का सैंपल असफल पाए जाए तो वह पानी के स्रोत पर क्लोरीकरण करते हैं दोबारा सैंपल लेते हैं।

By Jagran News Edited By: Himani Sharma Updated: Fri, 23 Aug 2024 03:35 PM (IST)
Hero Image
मुक्‍तसर में पीने योग्‍य नहीं बचा पानी

राजिंदर पाहड़ा, श्री मुक्तसर साहिब। जिला मुक्तसर के अधिकांश हिस्सों में पानी पीने योग्य नहीं है, जोकि बेहद चिंताजनक बात है। इसकी एक ताजा उदाहरण इस बात से मिलती है कि सेहत विभाग की ओर से इस वर्ष जनवरी से जून तक सार्वजनिक स्थानों से लिए गए पानी के 45 सैंपलों में से 33 फेल पाए गए हैं।

फेल पाए गए सैंपलों में डीसी ऑफिस, कोटकपूरा रोड पर स्थित शहर का मुख्य वाटर वर्क्स, जहां से आधे शहर के घरों में पानी सप्लाई होता है, सिविल अस्पताल सहित अन्य सार्वजनिक स्थल शामिल हैं।

30 में से पांच फेल

वहीं अगस्त में लिए गए 30 सैंपलों में से भी पांच फेल पाए गए हैं, इनमें मुक्तसर का एक होटल और विधानसभा हलका लंबी के ब्लाक चक्क शेरेवाला में तीन सैंपल शामिल है। बता दें कि जिले में वर्ष 2024 में अब तक 217 पानी के सैंपल लिए गए हैं जिनमें से 38 फेल पाए जा चुके हैं जबकि शेष की रिपोर्ट आना अभी बाकी है।

उधर, जिला एपिडिमोलाजिस्ट डॉ. हरकीर्तन सिंह का कहना है कि सिविल अस्पताल व वाटर वर्क्स के पानी के स्रोत पर क्लोरीकरण कर दोबारा सैंपल लेने पर इनकी रिपोर्ट अभी सही पाई गई है। जबकि डीसी आफिस में दूसरी बार लिए गए सैंपल की रिपोर्ट आना बाकी है।

बस स्टैंड से भी लिए गए सैंपल

स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक लगातार सार्वजनिक स्थानों से सैंपल लिए जा रहे हैं। जून तक 45 सैंपल लिए गए थे जिनकी रिपोर्ट आ चुकी है। वहीं जुलाई से अगस्त में अब तक पानी के जिले भर से 172 सैंपल लिए जा चुके हैं। जिनमें से अभी तक कुछ की रिपोर्ट आई है। वहीं इन्ही में से पांच के सैंपल फेल पाए गए हैं।

अधिकांश सैंपल लंबी क्षेत्र से संबंधित है। डॉ. हरकीर्तन सिंह ने बताया कि उनकी टीमें सार्वजनिक स्थानों से पानी के सैंपल लेती है। बस स्टैंड से भी सैंपल लिए गए हैं, जिसकी अभी रिपोर्ट आना बाकी है। अगर पानी का सैंपल असफल पाए जाए तो वह पानी के स्रोत पर क्लोरीकरण करते हैं दोबारा सैंपल लेते हैं। उन्होंने बताया कि वह के स्रोत को बदलने की सलाह भी देते हैं।

डीसी ऑफिस में प्रतिदिन जाते हैं एक हजार लोग

डीसी ऑफिस में प्रतिदिन करीब एक हजार लोग कामकाज के सिलसिले में आते हैं। इसी तरह सिविल अस्पताल में दो हजार के करीब लोग इलाज और अन्य कार्य के लिए आते हैं। गर्मी का मौसम होने के चलते पानी का उपयोग अधिक हो रहा है। ऐसे में उक्त स्थानों से पानी के सैंपल फेल पाए जाना काफी हैरान करता है।

यह भी पढ़ें: Punjab News: संगरूर में कपड़े की दुकान में लगी भयानक आग, आसमान में छाया धुएं का गुबार; मची अफरा-तफरी

भले ही सेहत विभाग सिविल अस्पताल की रिपोर्ट सही आने की बात कर रहा है लेकिन इतनी जल्दी खराब पानी को सही कैसे किया जा सकता है। इसी तरह शहर का मुख्य वाटर वर्क्स आधे शहर को पानी सप्लाई करता है। इसके सैंपल भी अब ठीक आने का विभाग ने दावा किया है। उक्त स्थानों से पानी का सेवन करने वाले लोगों में बीमारी का खतरा बना हुआ है।

यहां से भरे जाते हैं पानी के सैंपल

डॉ. हरकीर्तन सिंह के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग की ओर से तमाम क्षेत्रों से ही पानी के सैंपल भरे जाते हैं जिनमें गांव और शहरों के स्थान शामिल हैं। इन स्थानों में घर, स्कूल, कालेज,बैंक,सरकारी और प्राइवेट सभी तरह के दफ्तर, अस्पताल, वाटर वर्क्स, आरओ प्लांट आदि शामिल हैं।

60 प्रतिशत सैंपल वाटर वर्क्स के नहरी पानी और 40 फीसद जमीनी पानी के सैंपल भरे जाते हैं। फेल पाए जाने वाले इन सैंपलों में बैक्टिरियल कटेमीनेशन, हाइ टीडीएस, हार्डनेस तथा सीवरेज के पानी की मिक्सिंग मिल रही है।

सैंपल लगातार हो रहे फेल

जानकारी के अनुसार 2021 अप्रैल से 2022 मार्च तक विभाग ने 168 सैंपल भरे थे। जिनमें से 126 सैंपल फेल पाए गए थे। इसी तरह 2022 अप्रैल से वर्ष 2023 तक करीब 200 सैंपल भरे गए थे। इनमें भी सौ के करीब सैंपल फेल पाए गए थे। अब वर्ष 2024 में भी 217 सैंपल भरे गए हैं जिनमें से 38 फेल पाए जा चुके हैं।

अधिकांश हिस्सों में भूजल मानव उपभोग के लिए अयोग्य

उल्लेखनीय है कि जिले के अधिकांश हिस्सों में भूजल मानव उपभोग के लिए अयोग्य है। वहीं बड़ी संख्या में रिवर्स आस्मोसिस (आरओ) वाटर ट्रीटमेंट प्लांटों में कई गड़बड़ियों के कारण बंद पड़े हैं। बता दें कि 15 वर्ष पहले आरओ प्लांट राज्य सरकार ने निजी कंपनियों के सहयोग से लगाए थे। वहीं गांव वासियों ने कहा कि आरओ वाटर ट्रीटमेंट प्लांटों को फिर से चालू करवाया जाए क्योंकि दूषित पानी पीने से कई तरह की बीमारियों का खतरा है ।

जून तक लिए अधिकांश सैंपल फेल पाए गए-सीएस

सिविल सर्जन जगदीप चावला से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जनवरी से जून तक लिए गए पानी के सैंपलों में से अधिकांश फेल पाए गए हैं। अधिकतर जगहों पर पानी पीने योग्य नहीं है। दूषित पानी का सेवन करने से लोग हेपेटाइटिस सी, टाइफाइड, डायरिया से ग्रस्त हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि कुछ प्रोसेस वाटर वर्क्स में होते हैं अगर अच्छी तरह से फॉलो किया जाए तो पानी को पीने योग्य किया जा सकता है।

यह भी पढ़ें: Punjab News: रूपनगर में डायरिया का कहर, अब तक 26 मामले आए सामने; स्वास्थ्य विभाग का अलर्ट जारी 

जिसमें सैंड,ग्रैवल फिल्टर होते हैं उसमें से पानी फिल्टर किया जाता है। इससे क्लोरीन के सिलेंडर अटैच्ड हो जाते हैं। जिससे पानी में नुकसान पहुंचाने वाले बैकटीरिया समाप्त हो जाते हैं और पानी पीने योग्य हो जाता है।उन्होंने कहा कि लगातार विभाग की टीम द्वारा पानी के सैंपल लिए जा रहे हैं। उन्होंने लोगों से जागरूक होने की अपील की।

आपके शहर की तथ्यपूर्ण खबरें अब आपके मोबाइल पर