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रिपोर्ट आने से पहले ही कोरोना संदिग्ध लिखकर मरीज को कर दिया रेफर

सिविल अस्पताल अबोहर ने कोरोना रिपोर्ट आए बिना डीएवी कॉलेज ऑफ एजूकेशन के प्रोफेसर डॉ. परविदर कंबोज को संदिग्ध कोरोना मरीज लिखकर फरीदकोट रेफर कर दिया। फरीदकोट में उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई।

By JagranEdited By: Updated: Tue, 28 Jul 2020 06:13 AM (IST)
रिपोर्ट आने से पहले ही कोरोना संदिग्ध लिखकर मरीज को कर दिया रेफर

प्रवीण कथूरिया, अबोहर : सिविल अस्पताल अबोहर ने कोरोना रिपोर्ट आए बिना डीएवी कॉलेज ऑफ एजूकेशन के प्रोफेसर डॉ. परविदर कंबोज को संदिग्ध कोरोना मरीज लिखकर फरीदकोट रेफर कर दिया। फरीदकोट में उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई। मृतक डॉ. कंबोज की पत्नी डॉ. नीता कंबोज ने अपने पति की मौत के लिए स्वास्थ्य विभाग और उसके सिस्टम को जिम्मेवार ठहराते अपने पति के लिए न्याय की गुहार लगाई है। सोशल मीडिया के माध्यम से डॉ. नीता ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन तक भी अपनी बात पहुंचाने का प्रयास किया है।

डॉ. नीता ने बताया कि उनके पति को 16 जुलाई को हल्का बुखार और 18 जुलाई को गले में हल्का दर्द महसूस हुआ। 20 जुलाई को दोनों ने अपना सैंपल दिया। बताया गया कि 22 जुलाई को हमें रिपोर्ट मिल जाएगी। उस दोपहर तक पति की हालत बिगड़ गई। रिपोर्ट उस दिन नहीं मिली। अस्पताल जाने पर आपातकालीन वार्ड के प्रवेश द्वार पर ही रोक दिया गया। जांच के बाद उन्हें मेडिकल कॉलेज फरीदकोट रेफर कर दिया गया। वहां पहुंच कर डॉक्टर ने पति के लक्षणों के बारे में पूछा। उन्होंने कहा कि कोरोना के लक्षण नहीं हैं। इस पर डॉक्टर ने कहा कि आपके पति की सिविल अस्पताल अबोहर से आई रेफरल स्लिप पर लिखा है कि वह कोरोना संदिग्ध है। कोरोना रिपोर्ट मांगी लेकिन उनके पास रिपोर्ट नहीं थी। उनसे अपने पति को तत्काल आपातकालीन उपचार देने का अनुरोध किया। सिविल अस्पताल अबोहर से एंबुलेंस चालक और मेडिकल कॉलेज फरीदकोट के एक अन्य कर्मी ने स्ट्रेचर खींचा। एक निश्चित जगह तक खींचने के बाद एम्बुलेंस चालक घटनास्थल से भाग गया। उन्होंने स्ट्रेचर को धक्का दिया। जहां हम पहुंचे वह आपातकालीन वार्ड नहीं था। वह चिल्लाने लगी कि मेरा पति कोरोना पॉजिटिव नहीं है। उसे इमरजेंसी वार्ड में ले जाना चाहती थी लेकिन सामान्य वार्ड में भर्ती करवाया गया। दो घंटे बाद धैर्य खोते हुए हमने डॉक्टरों से मिलने के लिए जोर दिया। फिर दो डॉक्टर आए और कहा कि फाइल लाओ। उन डॉक्टरों ने भी इलाज शुरू करने में देरी की। इस बीच मैंने कोरोना रिपोर्ट प्राप्त करने की भी कोशिश की लेकिन नहीं मिली। कुछ देर बाद वार्ड के अंदर जाकर देखा कि कमरे में उचित रोशनी नहीं थी। पति अकेले लेटे हुए थे और जोर से साँस ले रहे थे। बहुत अनुरोध के बाद मेरे पति को वेंटिलेटर पर रखा गया। वहां रात को किसी समय उनकी मौत हो गई। बाद में जब कोरोना जांच की रिपोर्ट आई तो वह निगेटिव निकली। रिपोर्ट नेगेटिव आई : गगनदीप सिंह

सिविल अस्पताल के प्रभारी डॉ. गगनदीप सिंह ने माना कि डॉ. परिवंदर की रिपोर्ट नेगेटिव आई है। उन्होंने कहा कि बेहतर उपचार के लिए हमने फरीदकोट रेफर किया था क्योंकि उनमें ऐसे लक्षण थे।

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लापरवाही बरतने वाले स्वास्थ्य अमले के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए : विधायक

विधायक अरूण नारंग ने कहा कि कोरोना जांच व उपचार को लेकर पंजाब का स्वास्थ्य विभाग गंभीर नहीं है। हर स्तर पर लापरवाहियां सामने आ रही हैं। सरकार को गंभीरता से लेना चाहिए और डॉ. परिवंदर के उपचार में स्थानीय व फरीदकोट में लापरवाही बरतने वाले स्वास्थ्य अमले के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। हालत गंभीर थी : सिविल सर्जन

इस मामले में जब सिविल सर्जन डॉ. चंद्र मोहन कटारिया से पूछा तो उन्होंने बताया कि हालांकि मरीज की तब तक रिपोर्ट नहीं आई थी लेकिन उनकी हालत गंभीर थी। बीपी बढा हुआ था, टेंपरेचर भी अधिक था इसलिए उन्हें रेफर किया गया था।

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