असफलता है सफलता की मंजिल का पड़ाव : स्वामी दिव्यानंद
श्री मोहन जगदीश्वर आश्रम कनखल हरिद्वार के अनंत श्री विभूषित 100
By JagranEdited By: Updated: Fri, 29 Jan 2021 05:37 PM (IST)
संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब
श्री मोहन जगदीश्वर आश्रम कनखल हरिद्वार के अनंत श्री विभूषित 1008 महामंडलेश्वर स्वामी दिव्यानंद गिरि ने माघ महात्म्य कथा सुनाते हुए कहा कि सुख और दुख एक ही सिक्के के दो पहलु हैं। अगर आज कोई सुखी है तो वह अपने किए गए अच्छे कर्मों के कारण सुखी है। अगर कोई दुखी है तो वह अपने बुरे कर्मों के कारण दुखी है। मगर मनुष्य को दुख से घबराना नहीं चाहिए। दुख आने पर साहस का परिचय देते हुए इसका सामना करना चाहिए। दुख या मुसीबत के समय ही व्यक्ति के साहस की पहचान होती है। स्वामी जी ने ये विचार अबोहर रोड स्थित श्री मोहन जगदीश्वर दिव्य आश्रम में शुरु हुई माघ महात्म्य कथा के दौरान प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए श्रद्धालुओं के विशाल जनसमूह के समक्ष व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि सुख की कामना तो हर कोई करता है। मगर दुख की कामना कोई नहीं करता। मगर सुख पाना चाहते हो तो प्रभु सिमरन करो। अगर प्रभु को याद रखोगे तो सुखी रहोगे। हर असफलता, सफलता की ओर बढ़ने की प्रेरणा देती है। जो असफलताओं से निराश हो जाते हैं वह कभी भी सफलता के शिखर की ओर नहीं बढ़ पाते। मनुष्य को अपनी हर असफलता को सफलता की मंजिल का पड़ाव समझना चाहिए।
जिस प्रकार मंजिल तक पहुंचने के लिए हर पड़ाव को पार करना बेहद जरूरी है उसी प्रकार सफलता पाने के लिए विफलताओं का सामना भी करना पड़ता है। स्वामी दिव्यानंद गिरि जी ने कहा कि सफलता घर बैठे ही नहीं मिलती। सफलता तो संघर्ष और कठिन परिश्रम के बाद ही मिलती है। सफलता हासिल करने के लिए मनुष्य को जितनी ज्यादा कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, सफलता उतना ही श्रेष्ठ होता है। बगैर कोशिशों के कामयाबी नहीं मिलती। कामयाबी पाने के लिए हर दम प्रयास करते रहें। स्वामी विवेकानंद जी ने कहा कि श्रद्धा वह चमत्कारिक शक्ति है जो भक्त को पत्थर में भी प्रभु के दिव्य रुप का दर्शन कराती है। अगर दिल में सच्ची श्रद्धा है तो कठिन से कठिन कार्य भी सहज ही हो जाते हैं। इसलिए मनुष्य को प्रभु के प्रति सच्ची श्रद्धा बनाए रखनी चाहिएं। विवेकानंद जी ने कहा कि भक्त को मुश्किल घड़ी में भी प्रभु पर विश्वास बनाए रखना चाहिए। जो भक्त प्रभु का दामन नहीं छोड़ते प्रभु भी उनका साथ कभी नहीं छोड़ते। मुश्किल की हर घड़ी से निकलने का रास्ता खुद-ब-खुद बना देते हैं। इसलिए मुश्किल घड़ी में दुनिया के लोगों के आगे हाथ फैलाने से अच्छा है सीधे प्रभु के आगे हाथ जोड़ें और विनती करें। प्रभु सभी संकट व मुश्किलें पल में दूर कर देंगे।
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