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Lok Sabha Election 2024: किसे मिलेगी जीत, किसे हार... पंजाब की तीन सीटों पर मुक्तसर के चार बड़े नेताओं का भाग्य दांव पर

Punjab Lok Sabha Election 2024 पंजाब की 13 लोकसभा सीटों पर सभी पार्टियों ने लगभग सभी प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। दिलचस्प बात है कि मुक्तसर के रहने वाले चार बड़े नेता चुनाव में भाग ले रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राजा वड़िंग जो लुधियाना से चुनाव लड़ेंगे वह भी मुक्तसर के निवासी हैं। वहीं फिरोजपुर से आप ने जगदीप सिंह काका बराड़ को चुनावी मैदान में उतारा है।

By Jagran News Edited By: Prince Sharma Updated: Tue, 30 Apr 2024 12:23 PM (IST)
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पंजाब की तीन सीटों पर मुक्तसर के चार बड़े नेताओं का भाग्य दांव पर
राजिंदर पाहड़ा, श्री मुक्तसर साहिब। Punjab Lok Sabha Election 2024: राज्य की तीन लोकसभा सीटों पर आप, कांग्रेस और शिअद ने मुक्तसर के चार बड़े नेताओं को चुनावी रण में उतारा है। इसमें बठिंडा सीट से शिअद से निर्वतमान सांसद हरसिमरत कौर बादल (Harsimrat Kaur) व आम आदमी पार्टी (आप) से कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां आमने-सामने हैं। दोनों मुक्तसर के रहने वाले हैं।

आप ने फिरोजपुर से इस नेता पर लगाया दांव

वहीं, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व गिद्दड़बाहा से विधायक अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग (Amrinder Singh Raja Warring) को कांग्रेस ने लुधियाना सीट से उतारा है। वड़िंग भी मुक्तसर के निवासी हैं। वहीं, फिरोजपुर सीट पर आप ने मुक्तसर के विधायक जगदीप सिंह काका बराड़ को उतारा है।

दरअसल चालीस मुक्तों की इस धरती मुक्तसर साहिब ने पंजाब की राजनीति में बड़े-बड़े नेताओं को पैदा किया है। अकाली राजनीति के बाबा बोहड़ कहे जाने वाले पांच बार मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल और पूर्व मुख्यमंत्री हरचरण बराड़ भी इसी जिले से थे। वहीं, हरसिमरत कौर बादल केंद्रीय मंत्री भी रह चुकी हैं।

राजा वड़िंग कांग्रेस सरकार में परिवहन मंत्री रहे। गुरमीत सिंह खुड्डियां वर्तमान में आप सरकार में कृषि मंत्री हैं। जगदीप सिंह काका बराड़ मुक्तसर से आप के विधायक होने के साथ-साथ पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष भी हैं। यही नहीं, आवाज-ए-पंजाब के नाम से प्रसिद्ध जगमीत बराड़ भी इसी जिले से हैं।

गुरमीत सिंह बराड़ अकाली दल के दिग्गज नेता

उनके पिता गुरमीत सिंह बराड़ जाने माने अकाली नेता रहे हैं। इतनी जानी-मानी हस्तियां देने के बावजूद मुक्तसर साहिब की गिनती आज भी राज्य के पिछड़े जिलों में होती है जहां कोई बड़ी इंडस्ट्री नहीं है।

हालांकि, इस जिले में बड़े किसानों का दबदबा है, लेकिन इसके बावजूद कोई बड़ा एग्रो प्रोसेसिंग यूनिट भी नहीं हैं। पढ़ाई के लिए भी कोई ऐसा कॉलेज नहीं है, जिसकी अच्छी-खासी पहचान हो।

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