Prakash Singh Badal Death Anniversary: फिर याद आए पूर्व CM प्रकाश सिंह बादल, कई बड़े नेताओं ने दी श्रद्धांजलि
Prakash Singh Badal Death Anniversary पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की पहली बरसी पर कई बड़े नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। प्रकाश सिंह बादल की रविवार को पहली बरसी उनके पैतृक गांव बादल में मनाई जा रही है। सुबह 10 बजे श्री सुखमणि साहिब का शुरू किया गया। पूर्व मुख्यमंत्री स्व प्रकाश सिंह बादल की बरसी को लेकर तीन एकड़ में पंडाल लगाया गया है।
जागरण संवाददाता, श्री मुक्तसर साहिब। Prakash Singh Badal Death Anniversary: अकाली राजनीति का कहा जाए या पंजाब की राजनीति का या फिर देश की राजनीति का...प्रकाश सिंह बादल इसके पुरोधा थे। आज उनकी पहली बरसी है।
1957 से लेकर 2017 तक वह किसी न किसी विधानसभा या लोकसभा का हिस्सा हमेशा ही रहे हैं। बेशक वह 2022 में हुए अपने अंतिम चुनाव को नहीं जीत सके लेकिन सबसे लंबे समय तक राजनीतिक जीवन में रहने वाले कुछ चुनिंदा शख्सियतों में प्रकाश सिंह बादल का नाम सबसे ऊपर की पायदान पर आएगा।
पैतृक गांव बादल में मनाई गई बरसी
प्रकाश सिंह बादल की रविवार को पहली बरसी उनके पैतृक गांव बादल में मनाई जा रही है। सुबह 10 बजे श्री सुखमणि साहिब का शुरू किया गया। इसका दोपहर 12 बजे भोग डाला गया। समारोह में भाजपा के पंजाब प्रधान सुनील जाखड़, पूर्व मुख्यमंत्री हरियाणा ओम प्रकाश चौटाला, परमजीत सिंह सरना प्रधान अकाली दल बादल दिल्ली, पूर्व विधायक कंवरजीत सिंह रोजी बरकंदी,तेजिंदर सिंह मिडडू खेड़ा, जगजीत सिंह हनी फतनवाला, पूर्व विधायक हरप्रीत सिंह कोटभाई, हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों सहित विभिन्न राजनीतिक शख्सियतों ने पहुंच कर पूर्व मुख्यमंत्री को श्रद्धांजलि दी।तीन एकड़ में लगाया पंडाल
पूर्व मुख्यमंत्री स्व प्रकाश सिंह बादल की बरसी को लेकर तीन एकड़ में पंडाल लगाया गया है। बरसी समारोह में सुबह से ही अकाली भाजपा लीडरशिप पहुंचनी शुरू हो गई थी।कई सालों तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहे विराजमान
2024 का संसदीय चुनाव जब ऐन सिर पर है। ऐसे में यह 77 सालों बाद यह एक पहला मौका होगा जब प्रकाश सिंह बादल के बिना चुनाव हो रहे हैं। पिछली आधी सदी तक के कई साल तो वह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर ही विराजमान रहे हैं। आज उनकी बात करना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि जिस प्रकार से सामाजिक सौहार्द बिगड़ रहा है और अमृतपाल जैसी अलगाववादी ताकतें फिर से सिर उठाने लगी हैं, ऐसे में उनके जैसे नेता का न होना न केवल शिरोमणि अकाली दल के लिए बड़ी चुनौती है बल्कि पंजाब की लीडरशिप के लिए भी उतनी ही बड़ी है।
एक बार जब उनसे उनके 85वें जन्म दिन पर बधाई देने पत्रकारों का एक ग्रुप गया और उनसे पूछा कि आपके जीवन की और एक राजनेता के रूप में सबसे बड़ी उपलब्धि क्या है? तो बादल ने कहा कि जब भी पंजाब में सौहार्द कायम करने के लिए कोई नाम आएगा तो उनका नाम ही आएगा।
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