गिद्दड़बाहा के चुनावी रण से कहां गायब है SAD? पहली बार प्रकाश सिंह बादल ने भी यहीं से लड़ा था चुनाव
शिरमोणि अकाल दल इस समय कई परेशानियों से गुजर रहा है। तनखैया घोषित होने के बाद सुखबीर सिंह बादल ने फिलहार राजनितिक गलियारों से दूरी बनाई हुई है। श्री मुक्तसर साहिब की गिद्दड़बाहा सीट प्रकाश सिंह बादल का गढ़ रही है। यहीं से चुनाव जीतने के बाद वे पंजाब के सीएम भी बने। हालांकि अब पार्टी के पास यहां से उतारने के लिए कोई खास चेहरा नहीं है।
गुरप्रेम लहरी, बठिंडा। श्री मुक्तसर साहिब जिले का विधानसभा क्षेत्र गिद्दड़बाहा एक समय शिरोमणि अकाली दल की राजनीति का केंद्र रहा है। इसी सीट से पूर्व मुख्यमंत्री स्व. प्रकाश सिंह बादल पांच बार विधायक बने और दो बार मुख्यमंत्री बने।
यही नहीं, इसके बाद उन्होंने यह क्षेत्र अपने भतीजे मनप्रीत बादल को सौंपा और वे भी यहां से लगातार चार बार विधायक चुने गए। मनप्रीत बादल के शिअद को छोड़ने के बाद हल्के की जिम्मेदारी पार्टी ने हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों को सौंपी लेकिन वे पार्टी की साख नहीं बचा पाए।
इस बार डिंपी ढिल्लों भी पार्टी को अलविदा कहकर आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए और आप ने उन्हें उन्हें अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। ऐसे हालात में अब शिअद के समक्ष इस सीट से पार्टी प्रत्याशी खड़ा करने के लिए कोई चेहरा ही नहीं बचा है।
पार्टी की ओर से इस सीट पर सुखबीर बादल को प्रत्याशी बनाए जाने की चर्चा तो चली लेकिन श्री अकाल तख्त के जत्थेदार की ओर से बुधवार को लिए गए फैसले के बाद शिअद के समक्ष बड़ा संकट खड़ा हो गया है।
बादल परिवार का गढ़ रही है गिद्दड़बाहा सीट
गिदड़बाहा विधानसभा हल्के से प्रकाश सिंह बादल 1969,1972,1977,1980 व 1985 में विधायक बने। गिदड़बाहा से विधायक बनने के बाद प्रकाश सिंह बादल 1970 पहली बार मुख्यमंत्री बने। जबकि इसी हल्के से जीतने के बाद दूसरी बार 1977 में वे मुख्यमंत्री बने।1969 से लेकर 2012 तक बादल परिवार का इस सीट पर कब्जा रहा। हालांकि 1992 में शिअद के चुनाव न लड़ने फैसले के बाद कांग्रेस के टिकट पर रघुबीर सिंह चुनाव जीत कर विधायक बने थे। इसके बाद मनप्रीत बादल अकाली दल के टिकट से चुनाव जीतकर विधायक चुने जाते रहे लेकिन पिछले तीन चुनाव से कांग्रेस के टिकट पर अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग चुनाव जीत रहे हैं।
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