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शहीद भगत सिंह की 116वीं जन्म शताब्दी आज, मुख्यमंत्री भगवंत मान ने खकड़कलां में दी श्रद्धांजलि

सीएम मान ने शहीद सरदार भगत सिंह की 116वीं जन्म शताब्दी पर उनके पैतृक गांव खटकड़ कलां में उनको श्रद्धांजलि दी। इस दौरान अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि आज के दिन अंग्रेजों के राज को खत्म करने के लिए भगत सिंह ने जन्म लिया। अंग्रेजों ने सोचा भी नहीं था कि आज के दिन एक ऐसा बच्चा पैदा होगा जब उनकी जड़ को हिला कर रख देगा।

By Jagran NewsEdited By: Nidhi VinodiyaUpdated: Thu, 28 Sep 2023 04:06 PM (IST)
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शहीद भगत सिंह की 116वीं जन्म शताब्दी आज, फोटो ागरण
नवांशहर, जागरण संवाददाता। प्रदेश के मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Mann) ने शहीदे आजम सरदार भगत सिंह की 116 जन्म शताब्दी (116th Birth centenary of Shaheed Bhagat Singh)  पर शहीद ए आजम के पैतृक गांव खटकड़ कलां में उनको श्रद्धांजलि दी। इस दौरान अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि आज के दिन अंग्रेजों के राज को खत्म करने के लिए भगत सिंह ने जन्म लिया।

चलते फिरते इनसाईकलोपीडिया थे भगत सिंह

अंग्रेजों ने सोचा भी नहीं था कि आज के दिन एक ऐसा बच्चा पैदा होगा जब उनकी जड़ को हिला कर रख देगा। जिस उम्र में युवक अपने पिता से मोटरसाईकिल मांगते हैं, उस उम्र में भगत सिंह देश मांग रहे थे। उनके चाचा सरदार अजित सिंह ने देश निकाला तक देखा पर मौत डल्होजी में 15 अगस्त 1947 को हुई। आखिरी समय शब्द थे कि हम लोगों का मकसद पूरा हो गया। उन्होंने कहा कि भगत सिंह चलते फिरते इनसाईकलोपीडिया थे। हर बात का तर्क के साथ जबाब था।

कम समय के जीवन में कई किताबें लिखी

उन्होंने कहा कि शहीदे आजम को यह यकीन था कि आजादी तो आएगी पर चिंता थी कि आजादी के बाद देश किन हाथों में आएगा। चिंता सही थी। सिर्फ राज करने वालों का कलर ही बदला। मुख्यमंत्री ने कहा कि वो कलाकार के तौर पर कई जगह जाते थे तो बुजूर्ग कहते थे कि इनसे तो अंग्रेजों का ही राज बढ़िया था। उस समय उनको शहीद की आत्मा तड़पती हुई नजर आती थी। सरदार भगत सिंह का बड़ा छोटा सफर था पर उस सफर के बारे में जितनी किताबें लिखी जाए वो कम है।

भगत सिंह पढ़ते हुए आंसू पोछने के लिए रुमाल रखते थे 

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब भी वो नई कार लेते थे तो शोरूम से कार सीधे खटकड़ कलां आती थी। जब वो 2014 में पहली बार सांसद बने तो वो खटकड़ कलां माथा टेकने के लिए आए। संसद सदस्य बनने के बाद उन्होंने सरदार भगत सिंह के चरणों में एमपी का सर्टीफिकेट रख दिया था। उन्होंने कहा कि उम्र के साथ कोई बड़ा नही होता। आदमी बड़ा सालों से नही आदमी बड़ा ख्यालों से होता है। भगत सिंह को पढ़ते हुए वो रूमाल रखते थे, क्योंकि उनको पढ़ते समय आंखों में आंसू आ जाते हैं।

हमारी सरकार जब बनी तब हमने भगत सिंह का आशिर्वाद लिया 

जब हमारी सरकार बनी तो हमनें शहीद का आशीर्वाद लिया था। शहीद के गांव में शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया गया। परमात्मा के आगे रोज अरदास करते हैं कि जो जिम्मेदारी लोगों ने दी है,उनको पूरा किया जा सके। उन्होंने कहा कि हर माह युवाओं को नियुक्ति पत्र देते हैं। 36 हजार 548 युवाओं को नौकरी दी जा चुकी है। सिफारिश या पैसे से नौकरी लेने का काम खत्म हो चुका है। प्रदेश में शानदार स्कूल खुलने लगे, शानदार अस्पताल बनने लगे, नौकरियां मिलने लगीं।

पंजाब के लोग सेवा करने वाले हैं

वही अफसर है वहीं पैन हैं, अब डेढ़ वर्षों में सब कैसे बदल गया। बिजली के बिल कैसे माफ हो गए,ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उनकी नीयत साफ है। अगर किसी फसल को बीमारी लग जाए तो स्प्रे करना जरूरी होता है। सिलेबस में गुरुओं की कुर्बािनयों व शहीदों की कुर्बानियों को लेकर आया जाएगा। पंजाब के लोग सेवा करने वाले हैं। पूरी दुनिया में किसी भी देश में मुसीबत आने पर 20 रुपये वाला लंगर जरूर चलता है।

एसवाईएल की समस्या अकाली व कांग्रेस की देन

वो 3 करोड़ लोगों के परिवार के मुखिया है, सब का ख्याल रखा जाएगा। युवाओं को मुख्यमंत्री ने कहा कि विदेश नहीं जाना है,जो गए हैं उनको वापिस लेकर आएंगे। पंजाब को खेती, व्यापार, ईमानदारी, सरकार व नौकरी में नंबर वन बनाना है। किसानों को अब समय पर पैसा मिलता है। केंद्र सरकार से तर्क से बात करना जरूरी है। अगर आप किसी बात से काने होंगे तो कैसे तर्क रख सकेंगे। एसवाईएल की समस्या अकाली व कांग्रेस की देन है। पंजाब की रक्षा के लिए लड़ते रहेंगे।

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एक करोड़ रूपये का ड्राफ्ट शहीद के परिवार को देते

सरकारें समझौते करने के लिए नहीं बनती है। पंजाब का पुलिस का या फौज में भर्ती जवान अगर शहीद होता है तो पहले की सरकारें शहीद की विधवा का सिलाई मशीनें देती थीं। हम भोग से पहले एक करोड़ रूपये का ड्राफ्ट शहीद के परिवार को देते हैं।

सरदार भगत सिंह के नानके गांव मोरावांली मे उनकी यादगार बनाई जा रही है। उन्होंने लोगों से अपील की कि लोगों को किसी गरीब की सहायता जरूर करनी चाहिए। हम लोगों का न तो रेत में हिस्सा है, न चिट्टे में हिस्सा है व न ही ढाबों में हिस्सा है। उनका हिस्सा लोगों के सुख दुख में है।

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