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ब्लड सेल काउंटिंग मशीन की स्पीड कम, मरीज परेशान

सिविल अस्पताल की जनरल लैब में लोगों की सुविधा के लिए पौने तीन लाख की लागत से कंप्लीट ब्लड सेल काउंटिंग (सीबीसी) मशीन सेहत विभाग द्वारा भेजी गई है।

By JagranEdited By: Updated: Sun, 04 Apr 2021 04:48 PM (IST)
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ब्लड सेल काउंटिंग मशीन की स्पीड कम, मरीज परेशान

संवाद सहयोगी, पठानकोट :

सिविल अस्पताल की जनरल लैब में लोगों की सुविधा के लिए पौने तीन लाख की लागत से कंप्लीट ब्लड सेल काउंटिंग (सीबीसी) मशीन सेहत विभाग द्वारा भेजी गई है। यह मशीन की हालाकि पहली मशीन से थोड़ी स्लो बताई जा रही है। क्योंकि इससे पहले जो सिविल की जनरल लैब में मशीन थी वह एक मिनट में व्यक्ति के टेस्ट की रिपोर्ट दे देती थी, लेकिन अब जो नई मशीन लैब में लगाई गई है, वह एक व्यक्ति के टेस्ट को कम से कम चार मिनट का समय लगा रही है। अस्पताल प्रबंधन द्वारा लोगों को सुविधाएं तो दी जा रही हैं परंतु इसका लाभ बहुत कम लोग उठा पा रहे हैं।

रोजाना सौ से अधिक लोगों का हो रहा टेस्ट

जनरल लैब में जो पहले सीबीसी मशीन थी उससे एक दिन में सौ से अधिक लोगों के अलग-अलग प्रकार के टेस्ट किए जाते थे। वहीं, पुरानी सीबीसी मशीन में बार-बार तकनीकी खराबी आने से अस्पताल प्रबंधन द्वारा नई मशीन लाई गई है जो एक टेस्ट की रिपोर्ट में कम से कम चार से पांच मिनट का समय ले रही है। जबकि एक सप्ताह में एक हजार से अधिक लोग टेस्ट करवाने आते हैं।

धूल फांक रही है पहली मशीन

सिविल की जनरल लैब में विभाग द्वारा कुछ माह पहले जो फुलीआटोमैटिक टेस्टिग मशीन भेजी थी, वह वैसे की वैसे ही लैब में पड़ी है। उसके कुछ पार्ट खराब होने के कारण अस्पताल प्रबंधन द्वारा उसे अभी तक शुरू नहीं करवाया गया। फिलहाल विभाग द्वारा सेमीआटोमैटिक मशीन के जरिए ही काम चलाया जा रहा है। लीवर, किडनी, लीपरो प्रोफाइल, गायनी सहित आदि कई प्रकार के टेस्ट सेमीआटोमैटिक मशीन पर होते हैं। इस मशीन में एक एक करके सैंपल लगाए जाते है और फुलीआटोमैटिक में एक साथ पचास के करीब सैंपल टेस्टिग के लिए मशीन में लगाने की क्षमता रहती है। इससे मरीजों के समय की बचत भी होगी और समय पर रिपोर्ट भी मिलेगी।

इस प्रकार के सीबीसी मशीन पर होते टेस्ट

अगर किसी व्यक्ति के सेल कम होते, बुखार है या फिर डेंगू का संदेह हो तो डाक्टर द्वारा उसे सबसे पहले सीबीसी टेस्ट करवाने के लिए ही बोला जाता है। सीबीसी में प्लेटलेट्स सेल, डब्ल्यू पीसी, आरपीसी, हिमोग्लोबीन टेस्ट किए जाते हैं। फुलीआटोमैटिक मशीन के लिए विभाग को लिखा है : डा. राकेश

सिविल के एसएमओ डा. राकेश सरपाल ने बताया कि अस्पताल में पौने तीन लाख की लागत से सीबीसी मशीन विभाग द्वारा भेजी गई है। ऐसे में टेस्ट करवाने वाले लोगों की बढ़ती संख्या को देखते हुए विभाग को फुलीआटोमैटिक मशीन अस्पताल में भेजने के लिए लिखकर भेजा गया है। उम्मीद है जल्द विभाग द्वारा फुलीआटोमैटिक मशीन भेज लोगों को और बढि़या सेहत सेवाएं दिलाई जाएगी।

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