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सिविल अस्पताल की फुली आटोमेटिक मशीन ठीक हुई, पर एक्स-रे व अल्ट्रासाउंड मशीन अभी भी खराब

उधर पिछले दस दिन से खराब एक्स-रे मशीन भी इंजीनियर के आने का इंतजार कर रही है। एक्स-रे मशीन से छोटे अंगों के एक्स-रे तो हो रहे हैं लेकिन रीढ़ की हड़्डी कुल्हे जैसे बड़े अंगों के एक्स-रे नहीं हो रहे। वहीं पिछले दो महीने पहले आई ईसीजी मशीन भी पेपर रोल न होने के कारण बंद पड़ी है।

By JagranEdited By: Updated: Thu, 09 Jun 2022 05:56 PM (IST)
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सिविल अस्पताल की फुली आटोमेटिक मशीन ठीक हुई, पर एक्स-रे व अल्ट्रासाउंड मशीन अभी भी खराब

संवाद सहयोगी, पठानकोट: सिविल अस्पताल में बुधवार को फुली आटोमैटिक मशीन ठीक होने के बाद मरीजों के अस्पताल में ही टेस्ट होना तो शुरू हो गए हैं, मरीजों की परेशानियों अभी भी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई हैं। अभी भी सिविल में एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड मशीन खराब है।

बता दें कि बढ़ती गर्मी के साथ-साथ सिविल अस्पताल में मरीजों की संख्या भी दिन प्रति दिन बढ़ रही है। 600 के करीब रोजाना ओपीडी पहुंच रही है। वहीं, डाक्टर के द्वारा लिखे गए टेस्ट, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, ईसीजी करवाने के लिए भी मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ता है। अधिकतर मशीनें खराब होने के चलते मरीज निजी केंद्रों से जांच कराने को मजबूर हैं। फुली आटोमैटिक मशीन तो पंद्रह दिन के इंतजार के बाद रिपेयर हो गई, लेकिन अस्पताल में दो महीने से अधिक समय से गर्भवती महिलाओं की अल्ट्रासाउंड स्कैनिंग नहीं हो पा रही है। पहले अस्पताल प्रशासन की ओर से नई मशीन खरीदने की बात कही जा रही थी, लेकिन फंड की कमी के चलते पुरानी मशीन भी रिपेयर नहीं करवाई जा सकी। जानकारी के लिए बता दें कि करीब दस वर्ष पुरानी मशीन अन्य मरीजों के तो अल्ट्रासाउंड कर रही है, लेकिन गर्भवती महिलाओं के अल्ट्रासाउंड करने में असक्षम हैं।

उधर, पिछले दस दिन से खराब एक्स-रे मशीन भी इंजीनियर के आने का इंतजार कर रही है। एक्स-रे मशीन से छोटे अंगों के एक्स-रे तो हो रहे हैं, लेकिन रीढ़ की हड़्डी, कुल्हे जैसे बड़े अंगों के एक्स-रे नहीं हो रहे। वहीं पिछले दो महीने पहले आई ईसीजी मशीन भी पेपर रोल न होने के कारण बंद पड़ी है। टेस्ट तो हुए पर रिपोर्ट के लिए करना पड़ा लंबा इंतजार

बता दें कि बुधवार को लैब की फुली आटोमैटिक मशीन के ठीक होने से मरीजों को टेस्ट की सुविधा एक बार फिर से मिलनी शुरू तो हुई, लेकिन रिपोर्ट के लिए फिर भी लंबा इंतजार करना पड़ा। लैब के बाहर टेस्ट के लिए सैंपल देने व रिपोर्ट लेने वाले मरीज परेशान नजर आए। राकेश निवासी ढांगू ने बताया कि पत्नी के टेस्ट करवाने हैं। सुबह नौ बजे के सैंपल दिए हुए हैं, लेकिन लंबा इंतजार करने के बाद भी रिपोर्ट नहीं मिल रही है। बार-बार लाइट जाने से रिपोर्ट के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। वहीं, कंटवाल से आई लाडो ने बताया कि उसके बेटे को तेज बुखार है। डाक्टर द्वारा लिखे हुए टेस्ट करवाने हैं। शनिवार से अस्पताल में भटक रहे हैं, लेकिन न तो टेस्ट हो रहे हैं न ही बेटे को भर्ती किया जा रहा है। बुधवार को टेस्ट के लिए सैंपल दिया है, लेकिन रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। चक्की बैंक से आई रूपवति व ज्योति ने बताया कि दोनों देवरानी-जेठानी ने टेस्ट के लिए सुबह दस बजे के सैंपल दिए हुए हैं, लेकिन एक बजे तक भी रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं।

अस्पताल में डिस्टिल्ड वाटर का प्लांट नहीं, बाहर से ख्रीदकर लाना पड़ता है: लैब इंचार्ज

इस संबंध में लैब इंचार्ज डाक्टर तानिया का कहना है कि मशीन को ठीक करवा लिया गया है। जब तक अस्पताल में डिस्टिल्ड वाटर का प्लांट नहीं लग जाता तब तक बाहर से खरीदे हुए डिस्टिल्ड वाटर को उपयोग में लाया जाएगा। वहीं, मरीजों की संख्या ज्यादा होने के चलते इंतजार करना पड़ रहा है।

नई मशीनें इंस्टाल होने के इंतजार में

सिविल की ब्लड बैंक यूनिट में तीन महीने पहले आई एसडीपी मशीन को अभी तक इंस्टाल नहीं किया गया है। वहीं, पीआरपीसी मशीन भी पिछले दो दिन से बंद पड़ी है।

स्टाफ की कमी: 24 घंटे खुली रहने वाली लैब अब सात बजे हो जाती है बंद

सिविल अस्पताल में 24 घंटे खुली रहने वाली लैब भी अब सात बजे तक खुली रहती है। इसके बाद लैब को बंद कर दिया जाता है। कोरोना काल में लैब को 24 घंटे खुला रखा जाता था। वहीं, स्टाफ की कमी के चलते अब लैब को सात बजे तक ही खुला रखा जा रहा है। जानकारी के लिए बता दें कि लैब में दो बजे तक सात मुलाजिमों की ओर से काम किया जाता है। उपरांत तीन आउटसोर्स स्टाफ मेंबरों की ओर से इमरजेंसी टेस्ट किए जाते हैं।

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