अस्पताल में एक ही मेडिकल स्पेशलिस्ट है जबकि ओपीडी के हिसाब से अस्पताल में चार एमडी डाक्टर होने चाहिए। वहीं अस्पताल में स्किन स्पेशलिस्ट व रेडिलाजिस्ट डाक्टर के पद खाली हैं। करीब दो माह पहले चार डाक्टर्स का तबादला हो जाने से डाक्टर्स की ओर कमी आ गई है।
By JagranEdited By: Updated: Mon, 08 Aug 2022 06:52 AM (IST)
नेहा, पठानकोट: स्वतंत्रता दिवस वाले दिन जिलावासियों के लिए मोहल्ला क्लीनिक तो खुल जाएंगे, लेकिन उपचार कैसा मिलेगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा। उससे पहले जिले में स्थित अन्य सरकारी अस्पतालों की स्थिति के बारे में जानना भी जरूर है। इस बारे में सभी जानते हैं कि जिला अस्पताल सहित चार सीचएसी में दवाइयों व अन्य सुविधाओं के साथ-साथ स्टाफ और डाक्टरों की भारी कमी है। जिला अस्पताल व सीएचसी में दवाइयों, सुई, सिरिज व ग्लूकोज की कमी करीब दो महीने से चल रही है। ड्रग हाउस वेरका खाली होने के कारण अस्पताल को दवाइयों की सप्लाई नहीं हो पा रही है। वहीं, 200 बेड के अस्पताल में 50 प्रतिशत स्टाफ से ही काम चलाया जा रहा है। अस्पताल में एक ही मेडिकल स्पेशलिस्ट है, जबकि ओपीडी के हिसाब से अस्पताल में चार एमडी डाक्टर होने चाहिए। वहीं अस्पताल में स्किन स्पेशलिस्ट व रेडिलाजिस्ट डाक्टर के पद खाली हैं। करीब दो माह पहले चार डाक्टर्स का तबादला हो जाने से डाक्टर्स की ओर कमी आ गई है। स्किन स्पेशलिस्ट का तबादला होने के बाद से अभी तक नए डाक्टर की तैनाती नहीं हो पाई है। सिविल में अल्ट्रासाउंड मशीन तो है, लेकिन डाक्टर की पोस्ट खाली है। नरोट जैमल सिंह से डाक्टर खेम राज की सप्ताह में चार दिन सिविल अस्पताल में ड्यूटी लगाई गई है जो कि सोमवार से वीरवार मरीजों के अल्ट्रासाउंड करते है। अस्पताल में 40 के करीब डाक्टर व 45 के करीब पैरामेडिकल स्टाफ है। अस्पताल में 33 स्टाफ नर्स है वहीं 12 स्टाफ नर्स को आउटसोर्स के जरिये रखा गया है। पैरामेडिकल स्टाफ की कमी के चलते प्राइवेट संस्था की ओर से अस्पताल परिसर में बनाए गए निजी कमरे अभी भी मरीजों के लिए खोले नहीं गए हैं। मशीनों का हाल देखिये
- सेल चढ़ाने वाली मशीन इंस्टाल ही नहीं की, अल्ट्रसाउंड मशीन गर्भवती महिलाओं की स्कैनिंग नहीं कर रही
सिविल अस्पताल में मशीनें तो है लेकिन मशीनें खराब हो जाने पर फंड की कमी के चलते लंबे समय तक रिपेयर नहीं करवाई जाती। अस्पताल में मार्च माह से 25 लाख की लागत की एसडीपी मशीन भेजी गई है जो कि मरीजों को सेल चढ़ाने के लिए उपयोग की जाती है। इस मशीन को चलाने के लिए स्टाफ को ट्रेनिग भी करवाई गई है, लेकिन अभी तक मशीन को इंस्टाल नहीं किया गया है। डेंगू के सीजन में अकसर लोगों को सैल कम हो जाने की समस्या का सामना करना पड़ता है। ऐसे में मरीज को सैल चढ़ाए जाते है। प्राइवेट अस्पताल में 11 से 12 हजार में सेल चढ़ाए जाते हैं। वहीं करीब चार माह से अल्ट्रासाउंड मशीन खराब पड़ी है। मशीन गर्भवती महिलाओं के अल्ट्रासाउंड करने में सक्षम नहीं है। ऐसे में महिलाओं को 700 से 1500 तक खर्च कर बाहर के अल्ट्रसाउंड सेंटर से अल्ट्रासांउड करवाने पड़ रहे है। बसायूं बाड़वां व खोजकी चक्क में खुलेंगे मोहल्ला क्लीनिक जिले में नरोट जैमल सिंह के बसायू बाड़वां व खोजकी चक्क में 15 अगस्त को मोहल्ला क्लिनिक खोला जा रहा ह । खोजकी चक्क नरोट जैमल सिंह के सरकारी अस्पताल से 15 किलोमीटर की दूरी पर है वहीं बसायू बाड़वां की दूरी आठ किलोमीटर है। इसके अलावा यह दोनों स्थान सरकारी डिस्पेंसरी से क्रमश चार व तीन किलोमीटर की दूरी पर है। वहीं पुरानी एसडीएम कोर्ट, घियाला,तारागढ़ में भी सेहत विभाग की ओर से मोहल्ला क्लिनिक खोलने की बात की गई थी, लेकिन इन स्थानों पर 15 अगस्त को मोहल्ला क्लीनिक खुलने है या नहीं इसके बारे में सेहत विभाग को कोई भी जानकारी नहीं है। कैबिनेट मंत्री की ओर से सुजानपुर व भोआ में मोहल्ला क्लीनिक खोलने की घोषणा की गई थी, लेकिन सेहत विभाग को इसकी भी जानकारी नहीं है।
एसएमओ बोले- स्टाफ की भारी काम, किसी तरह काम चला रहे कार्यकारी एसएमओ डाक्टर सुनील चंद का कहना है कि स्टाफ की भारी कमी के बीच किसी तरह काम चलाया जा रहा है। प्राइवेट संस्था की ओर से खोले गए कमरे भी स्टाफ की कमी के चलते बंद पड़े है। उच्च अधिकारियों को अवगत करवाया गया है जैसे की समस्या का हल होता है कमरे खुलवा दिए जाएगे। इंस्पेक्शन के बाद मशीन को करवाएंगे इंस्टाल
एसडीपी मशीन इंचार्ज डाक्टर मधुर मटृटू का कहना है कि मशीन इंस्टाल होने से पहले इंस्पेक्शन होनी है। पहले की गई इंस्पेक्शन के दौरान कुछ खामियां सामने आई थी। अस्पताल प्रबंधन की ओर से उन खामियों को पूरा कर लिया गया है। अब एक बार ओर इंस्पेक्शन होगी, उपरांत मशीन को इंस्टाल करवा दिया जाएगा।
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