ड्राइवरों की कमी से जूझ रहा बस डिपो के जम्मू, दिल्ली सहित 30 से अधिक रूट बंद
वर्ष 2008 में बसों की कमी से जूझ रहे पठानकोट बस डिपो में पूरी कहानी पलट गई है।
जागरण संवाददाता, पठानकोट : वर्ष 2008 में बसों की कमी से जूझ रहे पठानकोट बस डिपो में पूरी कहानी पलट गई है। डिपो के पास आवश्यकता अनुसार बसें तो उपलब्ध हैं, पर अब इन बसों को चलाने के लिए डिपो के पास ड्राइवर उपलब्ध नहीं। बस डिपो में 130 से अधिक बसें हैं। पर इन्हें चलाने के लिए करीब 98 ड्राइवर ही उपलब्ध हैं। जबकि 30 से अधिक बसों के लिए ड्राइवर नहीं होने के कारण यह बसें डिपो में खड़ी रहती हैं। डिपो स्टाफ से मिली जानकारी के मुताबिक 2008 में डिपो के पास बसों की कमी के कारण जम्मू और हिमाचल के एक दर्जन से अधिकतर रूट बंद करने पड़े थे। पर उस समय डिपो के पास ड्राइवर पर्याप्त संख्या में थे। अब डिपो में बसों की संख्या बढ़कर 130 से अधिक हो गई है, पर इन बसों को चलाने के लिए ड्राइवर ही नहीं हैं। इसके चलते जम्मू, दिल्ली, चंडीगढ़ सहित हिमाचल प्रदेश के अधिकतर रूट बंद पड़े हैं। इसके चलते लंबे समय से लोगों को सरकारी बसों में सफर करने की सुविधा नहीं मिल पा रही है। डिपो स्टाफ की मानें तो फिलहाल डिपो को तत्काल प्रभाव से कम से कम 40 ड्राइवरों की आवश्यकता है। रोडवेज स्टाफ की मानें तो डिपो से बीते करीब छह महीनों से लगातार ड्राइवरों की कमी की विभाग के उच्च अधिकारियों को जानकारी दिए जाने के साथ ही विभाग और सरकार से लगातार ड्राइवरों की कमी पूरी करने की मांग की जा रही है। पर अभी तक उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया गया है। इसके चलते 30 से अधिक बसें डिपो में ही खड़ी हैं और लगभग 30 से अधिक रूट भी बंद पड़े हैं। रोडवेज कर्मियों की मानें तो 2008 से बंद पड़े जम्मू के कुछ रूट शुरू करने के लिए कुछ लोकल रूट बंद करने पड़े हैं। इसके बावजूद अभी भी जम्मू के करीब आधे रूट बंद ही पड़े हैं। जबकि 2008 से बंद हिमाचल के भी आधा दर्जन से अधिक रूट अभी भी बंद ही हैं। रोडवेज कर्मियों का कहना है कि यदि जल्द ही डिपो में खड़ी बसों के लिए ड्राइवर मुहैया नहीं कराए गए तो बसों में खड़े-खड़े जंग लग जाएगा और लाखों रुपये मूल्य की बसें कबाड़ हो जाएंगी। ----------
उच्च अधिकारियों के साथ बैठक में बस ड्राइवरों की कमी का मसला उठाया जाता है। विभाग को लिखित में भी अवगत कराया जा चुका है, जल्द ही समस्या के समाधान की उम्मीद है।