Move to Jagran APP

सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन: 52 दिन में केवल सिर्फ दो चालान, निगम औपचारिकता भी नहीं कर रहा

बता दें कि प्रतिबंध लागू होने के बाद से 52 दिनों में अब तक केवल दो चालान काटे गए हैं। निगम अधिकारियों का दावा है लोगों को लगातार इसके प्रति जागरूक किया जा रहा है लेकिन इसका असर कहीं पर भी दिखाई नहीं देता है। यह कहना गलत नहीं होगा कि निगम सिगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने में पूरी तरह नाकाम साबित हुआ है।

By JagranEdited By: Updated: Mon, 22 Aug 2022 09:55 PM (IST)
Hero Image
सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन: 52 दिन में केवल सिर्फ दो चालान, निगम औपचारिकता भी नहीं कर रहा

जागरण संवाददाता, पठानकोट: एक जुलाई 2022 से सिगल यूज प्लास्टिक फर पूर्ण रूप से पाबंदी लगने के बाद भी जिले में इसका कोई असर नहीं दिखाई दे रहा। बाजारों में पालीथीन का धड़ल्ले से उपयोग किया जा रहा है। शहरी एरिया में पालीथिन पर नकेल कसने के लिए प्रशासन द्वारा हेल्थ ब्रांच की ड्यूटी लगाई गई है। इसके तहत तीन टीमों का गठन भी किया गया, लेकिन, हेल्थ ब्रांच की तीनों टीमें हाथ पर हाथ धरे अब तक सिर्फ मूकदर्शक की भूमिका में हैं। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि अधिकारी औपचारिकता भी नहीं कर रहे हैं। बता दें कि प्रतिबंध लागू होने के बाद से 52 दिनों में अब तक केवल दो चालान काटे गए हैं। निगम अधिकारियों का दावा है लोगों को लगातार इसके प्रति जागरूक किया जा रहा है, लेकिन इसका असर कहीं पर भी दिखाई नहीं देता है। यह कहना गलत नहीं होगा कि निगम सिगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने में पूरी तरह नाकाम साबित हुआ है। शहर में प्रतिदिन करीब 5 टन सिगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग हो रहा है। यह होता है सिगल यूज प्लास्टिक :

ऐसा प्लास्टिक जिसका इस्तेमाल हम सिर्फ एक बार करते हैं और फिर वह डस्टबिन में चला जाता है। सीधे शब्दों में कहें तो इस्तेमाल कर फेंक दिए जाने वाला प्लास्टिक ही सिगल यूज प्लास्टिक है। इसका इस्तेमाल रोजमर्रा के काम में हो रहा है। इसमें प्लास्टिक बैग, प्लास्टिक की बोतलें, स्ट्रा, कप, प्लेट्स, फूड पैकिग में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक, गिफ्ट रैपर्स और डिस्पोजेबल कप आदि शामिल हैं। प्रतिबंध लगाना आवश्यक

जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के कारण बिगड़ता पर्यावरण देश के लिए इस समय सबसे बड़ी चिता है। ऐसे में प्लास्टिक से पैदा होने वाले प्रदूषण को रोकना और प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है। अकेले पठानकोट शहर में ही रोजाना पांच टन से अधिक प्लास्टिक कचरा निकलता है। महज कुछ ही कचरे की ही रिसाइक्लिग हो पाती है। शेष कचरा शहर के बाहर डंप किया जाता है। कचरे से निकलने वाले खतरनाक रसायन मिट्टी, पानी एवं पर्यावरण को प्रदूषित कर रहे हैं। प्लास्टिक के ग्लास, प्लेट और चम्मच का प्रयोग खतरनाक होता है। यह कई तरह से सेहत पर असर डालते हैं। पालीथीन का विकल्प

पालीथीन लिफाफों के विकल्प के तौर पर जूट के बैगों का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा अगर लोग घर से ही कपड़े का थैला लेकर निकलें तो लिफाफे की जरूरत ही नहीं रहेगी। डिस्पोजल के स्थान पर मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग किया जा सकता है। खुद की सेहत व पर्यावरण को बचाने के लिए लोगों को खुद ही आगे आने की जरूरत है। ईओ बोले- कार्रवाई कर रहे हैं

उधर, कौंसिल के ईओ हरबख्श सिंह का कहना है कि लगातार कार्रवाई की जा रही है। लोगों को जागरूक करने का भी प्रयास जारी है। सभी को इस मुहिम को सफल बनाने के लिए सहयोग देना होगा।

एमओ बोले- संगठनों ने पुराना स्टाक निकालने का समय मांगा है

निगम के मेडिकल अफसर (एमओ) डाक्टर एनके सिंह ने कहा कि चालान काटने के बाद व्यापार मंडल के संगठन मेयर से मिले थे। संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि थोड़ा समय दिया जाए, ताकि दुकानदार अपने स्टाक को निकाल सकें। इस पर उन्हें जल्द अपना पुराना स्टाक खत्म करने के लिए कहा था। करीब 25 दिन हो चुके हैं, इस बात को। हेल्थ ब्रांच जल्द इसके खिलाफ अभियान चलाकर कड़ी कार्रवाई करेगा।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।