सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन: 52 दिन में केवल सिर्फ दो चालान, निगम औपचारिकता भी नहीं कर रहा
बता दें कि प्रतिबंध लागू होने के बाद से 52 दिनों में अब तक केवल दो चालान काटे गए हैं। निगम अधिकारियों का दावा है लोगों को लगातार इसके प्रति जागरूक किया जा रहा है लेकिन इसका असर कहीं पर भी दिखाई नहीं देता है। यह कहना गलत नहीं होगा कि निगम सिगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने में पूरी तरह नाकाम साबित हुआ है।
जागरण संवाददाता, पठानकोट: एक जुलाई 2022 से सिगल यूज प्लास्टिक फर पूर्ण रूप से पाबंदी लगने के बाद भी जिले में इसका कोई असर नहीं दिखाई दे रहा। बाजारों में पालीथीन का धड़ल्ले से उपयोग किया जा रहा है। शहरी एरिया में पालीथिन पर नकेल कसने के लिए प्रशासन द्वारा हेल्थ ब्रांच की ड्यूटी लगाई गई है। इसके तहत तीन टीमों का गठन भी किया गया, लेकिन, हेल्थ ब्रांच की तीनों टीमें हाथ पर हाथ धरे अब तक सिर्फ मूकदर्शक की भूमिका में हैं। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि अधिकारी औपचारिकता भी नहीं कर रहे हैं। बता दें कि प्रतिबंध लागू होने के बाद से 52 दिनों में अब तक केवल दो चालान काटे गए हैं। निगम अधिकारियों का दावा है लोगों को लगातार इसके प्रति जागरूक किया जा रहा है, लेकिन इसका असर कहीं पर भी दिखाई नहीं देता है। यह कहना गलत नहीं होगा कि निगम सिगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने में पूरी तरह नाकाम साबित हुआ है। शहर में प्रतिदिन करीब 5 टन सिगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग हो रहा है। यह होता है सिगल यूज प्लास्टिक :
ऐसा प्लास्टिक जिसका इस्तेमाल हम सिर्फ एक बार करते हैं और फिर वह डस्टबिन में चला जाता है। सीधे शब्दों में कहें तो इस्तेमाल कर फेंक दिए जाने वाला प्लास्टिक ही सिगल यूज प्लास्टिक है। इसका इस्तेमाल रोजमर्रा के काम में हो रहा है। इसमें प्लास्टिक बैग, प्लास्टिक की बोतलें, स्ट्रा, कप, प्लेट्स, फूड पैकिग में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक, गिफ्ट रैपर्स और डिस्पोजेबल कप आदि शामिल हैं। प्रतिबंध लगाना आवश्यक