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कैंट और सिटी स्टेशन के स्टेशन मास्टर के कार्यालय से ही मिलती हैं व्हीलचेयर

सिटी और कैंट रेलवे स्टेशन पर रोजाना करीब 15 हजार यात्री आवागमन करते हैं।

By JagranEdited By: Updated: Mon, 10 Feb 2020 06:12 AM (IST)
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कैंट और सिटी स्टेशन के स्टेशन मास्टर के कार्यालय से ही मिलती हैं व्हीलचेयर

विनोद कुमार, पठानकोट : सिटी और कैंट रेलवे स्टेशन पर रोजाना करीब 15 हजार यात्री आवागमन करते हैं। यात्रियों की सुविधा के लिए वैसे तो स्टेशन पर सुविधाओं की कमी कम है लेकिन दिव्यांग और बुजुर्ग यात्रियों के लिए दोनों स्टेशनों पर कुल तीन व्हीलचेयर हैं। व्हीलचेयर की उपलब्धता होने के बावजूद भी लोगों को जानकारी नही होती जिस कारण जरूरतमंद फायदा नहीं उठा पाता। लोकल दिव्यांग यात्री अथवा उनके अभिभावक स्टेशन मास्टर के कार्यालय से जाकर व्हील चेयर ले आते हैं लेकिन बाहरी क्षेत्रों से आने वाले परेशान होते रहते हैं।

सिटी स्टेशन : 1923 में बने सिटी रेलवे स्टेशन पर चार प्लेटफार्म बनाए गए हैं। प्लेटफार्म नंबर 1 से लेकर 3 तक सभी प्लेटफार्म समतल और एक ही लाइन में हैं। जबकि, प्लेटफार्म 4 पठानकोट से हिमाचल प्रदेश जाने वाले यात्रियों के लिए हैं। प्लेटफार्म नंबर 1 पर एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव किया जाता है। जबकि, प्लेटफार्म नंबर 1 पर जालंधर और प्लेटफार्म नंबर 2 पर अमृतसर जाने वाली पैसेंजर ट्रेनों का ठहराव बनाया गया है। तीनों प्लेटफार्म पर दिव्यांग यात्री आसानी से व्हील चेयर पर बैठ कर जा सकते हैं। प्लेटफार्म नंबर-4 पर जाने के लिए दो रास्ते हैं। आम यात्री सीढि़यों के रास्ते प्लेटफार्म पर पहुंचते हैं ओर दिव्यांगों के लिए प्लेटफार्म नंबर 3 और 4 को मिलाने वाला पक्का भी रास्ता है।

कैंट स्टेशन : 1967 में बने कैंट स्टेशन पर यात्रियों के लिए तीन प्लेटफार्म बनाए गए हैं। तीनों प्लेटफार्म पर जाने के लिए यात्रियों को सीढि़यों का सहारा लेना पड़ता है। हालांकि, विभाग ने एस्कलेटर का निर्माण करवाया जा रहा है लेकिन कई महीनों से काम अधर में लटक जाने की वजह से यात्रियों को सीढि़यां चढ़नी पड़ती है। प्लेटफार्म नंबर-1 पर जम्मूतवी, उधमपुर व कटड़ा से देश के विभिन्न राज्यों को जाने वाली ट्रेनों का ठहराव है। प्लेटफार्म नंबर-2 पर देश के विभिन्न राज्यों से कटड़ा व जम्मूतवी जाने वाली ट्रेनें रुकती हैं। प्लेटफार्म नंबर तीन मालगाड़ियों के लिए रिजर्व रखा गया है। ------------------------------

जानकारी न मिलने से चलना पड़ा पैदल

सिटी स्टेशन पर आए बुजुर्ग यात्री किशन चंद के पौत्र ने बताया कि वह जालंधर से आने वाली डीएयमू से उतरे हैं। दादा जी को पैदल चलने में बड़ी दिक्कत होती है। पठानकोट में व्हील चेयर की सुविधा से अंजान रहे। ऑटो वाले ने बताया कि स्टेशन मास्टर के कार्यालय में व्हील चेयर है उसका सहारा ले लेना चाहिए था। पैदल ही बाहर आना पड़ा

कैंट स्टेशन से बाहर आए सीनियर सिटीजन इंद्र देव शर्मा ने कहा कि व्हील चेयर का कोई डिस्पले बोर्ड न लगा होने के कारण वह धीरे-धीरे पैदल चल कर बाहर आए। यदि सूचना लगी होती तो इसका फायदा उठाते। सीढि़यां चढ़ना मजबूरी

स्वराज सुपरफास्ट से पठानकोट कैंट उतरी बुजुर्ग महिला कौशल्या देवी ने कहा कि विभाग ने इलेक्ट्रिक सीढि़यां बनाने का काम दो साल पहले शुरू किया था जो अभी तक पूरा नहीं हो पाया। मजबूरी में आज भी यात्रियों को सीढि़यों के रास्ते जाना पड़ता है। जिस कारण बुजुर्ग यात्रियों की सांसे फूल जाती हैं। हालांकि, दिव्यांग यात्रियों को उनके अभिभावक पार्सल एंड अथवा फाटक वाली साइड से बने रास्ते से लेकर जाते हैं।

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सिटी स्टेशन से रोजाना आने-जाने वाले यात्री : आठ हजार

बुजुर्ग : 50

बुजुर्ग : 15

व्हीलचेयर : 1

जरूरत : दो व्हीलचेयर की

सिटी स्टेशन से रोजाना आने-जाने वाले यात्री : सात हजार

बुजुर्ग : 70 बुजुर्ग

बुजुर्ग : दिव्यांग

व्हीलचेयर : 2

जरूरत : दो व्हीलचेयर की

व्हीलचेयर की मांग कम : स्टेशन अधीक्षक

सिटी रेलवे स्टेशन के स्टेशन अधीक्षक चंद्रमोहन का कहना है कि व्हील चेयर की बहुत कम यात्री मांग करते हैं इसलिए एक ही व्हील चेयर रखी गई है। व्हील चेयर की संख्या बढ़ाने के लिए स्वयं सेवी संस्थाओं से बात की जाएगी। व्हील चेयर की स्टेशन पर डिस्पले बोर्ड के लिए वह संबंधित विभाग को बोर्ड लिखने के लिए कहेंगे।

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