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पठानकोट में 70 करोड़ से तैयार होगा चक्की पड़ाव का रेलवे पुल, रेलवे बोर्ड से मिली हरी झंडी

20 अगस्त की सुबह पठानकोट-जोगिंदरनगर नैरोगेज रेलवे सेक्शन पर बने चक्की पड़ाव पुल के दो पिल्लर पानी में बह गए थे। इसके बाद से यहां ट्रेन ट्रैफिक बंद है। नए पुल को रेलवे की ब्रिज वर्कशाप और इंजीयरिंग ब्रांच इसे दो अलग-अलग पार्ट्स में तैयार करेंगी।

By Vinod kumarEdited By: Pankaj DwivediUpdated: Sun, 16 Oct 2022 04:44 PM (IST)
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पठानकोट-जोगिंद्रनगर नैरोगेज रेल सेक्शन पर क्षतिग्रस्त रेलवे पुल। जागरण

विनोद कुमार, पठानकोट। चक्की पड़ाव रेलवे पुल को नए सिरे से बनाने के लिए बड़ौदा हाउस नई दिल्ली से हरी झंडी मिल गई है। संभवता अगले महीने विभाग इसका टेंडर जारी कर देगा। पुल बनाने पर लगभग 70 करोड़ रुपये खर्च आएगा। रेलवे की ब्रिज वर्कशाप और इंजीयरिंग ब्रांच इसे दो अलग-अलग पार्ट्स में तैयार करेंगी।

पुल को बनाने में कितना समय लगेगा, इस बात का पता टेंडर की प्रक्रिया में ही चल सकेगा, लेकिन तब तक रेलवे नूरपुर से बैजनाथ तक रेल सेवा बहाल कर यात्रियों को सुविधा प्रदान करेगा। पुल बनने के बाद दोबारा पठानकोट से जोगिंदरनगर तक रेल सेवा बहाल होगी।

20 अगस्त को बह गए थे पुल के दो पिल्लर

गत 20 अगस्त की सुबह पठानकोट-जोगिंदरनगर नैरोगेज रेलवे सेक्शन पर ब्रिटिश काल में बने चक्की पड़ाव रेलवे पुल के दो पिल्लर चक्की दरिया में बह गए थे। इस कारण देश के विभिन्न हिस्सों को हिमाचल से जोड़ने वाला इकलौता रेल मार्ग ठप हो चुका है। रेलवे पुल के पिल्लर नंबर 3, 4 और 5 बुरी तरह क्षतिग्रस्त हैं।

1927 में अस्तित्व में आया था जोगिंदरनगर रेल सेक्शन

रेलवे रिकार्ड के मुताबिक हिमाचल प्रदेश में बनाए जाने वाले हाइड्रोलिक पावर के निर्माण कार्य में सामग्री पहुंचाने के लिए पठानकोट-जोगिंदर नगर नैरोगेज ट्रैक का निर्माण कार्य 1927 में शुरू किया गया था। दो वर्ष में ही अप्रैल 1929 में बिना मशीनों का प्रयोग किए मैनपावर से 164 किलोमीटर लंबे रेल ट्रैक का निर्माण पूरा कर लिया गया। 1929 में ही अंग्रेजों ने पठानकोट से जोगिंदरनगर तक एक साल के भीतर कई छोटे बड़े पुलों का निर्माण कर रेल लाइन भी बिछा दी और रेलगाड़ी भी चला दी थी।

जब तक डैम का काम चलता रहा तब तक इस ट्रैक पर मालगाड़ी ही चलाई जाती रही, लेकिन डैम बनने के बाद ट्रैक पर पैसेंजर ट्रेन को बैजनाथ तक स्टीम इंजन से चलाया गया। लिहाजा, 94 साल पुराने इस पुल पर लंबे समय से रोजाना 14 ट्रेनों का आवागमन होता है। 1972 में फिरोजपुर मंडल की ओर से स्टीम इंजन बंद कर इस मार्ग पर डीजल इंजन की मदद से ट्रेनें शुरू की गईं।

इसी हफ्ते नूरपुर से बैजनाथ तक बहाल होगी रेल सेवा

उधर, करीब चार महीनों से बंद चल रही नैरोगेज रेल सेवा भी इसी सप्ताह शुरू होने का एलान हो सकता है। रेल सेवा पठानकोट के बजाय नूरपुर से बैजनाथ के बीच मिलेगी। इसके लिए शनिवार को रेलवे द्वारा नूरपुर से बैजनाथ तक ट्रेन का ट्रायल भी ले लिया गया है, जिसे विभागीय अधिकारी सफल बता रहे हैं। रेल सेवा बहाल होने के बाद सेक्शन पर सफर करने वाले करीब दस हजार लोगों को बस के पांच गुणा किराये से भारी निजात मिलेगी।

76 मीटर होगी प्रत्येक पिल्लर की दूरी

डिवीजनल रेल मैनेजर डा. सीमा शर्मा ने कहा कि ब्रिज नंबर-32 (चक्की पड़ाव) पुल को नए सिरे से बनाने का प्रोजेक्ट मंजूर हो गया है। संभवता अगले महीने इसे बनाने के लिए विभाग द्वारा टेंडर जारी कर दिया जाएगा। पुल पर करीब 70 करोड़ रुपये खर्च आएगा। इसे रेलवे की इंजीनियरिंग ब्रांच व ब्रिज वर्कशाप मिल कर बनाएगी। नया पुल 17 पिल्लरों की बजाय सात पिल्लरों वाला होगा जो उसी स्थान पर बनाया जाएगा। प्रत्येक पिल्लर की दूरी लगभग 76 मीटर की होगी।

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