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Kathua Case Verdict: कठुआ दुष्‍कर्म मामले में तीन को आजीवन कारावास, तीन को 5-5 साल कैद

Kathua Case Verdict पठानकोट अदालत में जम्‍मू-कश्‍मीर के कठुआ दुष्‍कर्म कांड में फैसला सुना दिया है। जज ने तीन को आजीवल करावास व तीन को पांच-पांच साल कैद की सजा दी है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Tue, 11 Jun 2019 09:33 AM (IST)
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Kathua Case Verdict: कठुआ दुष्‍कर्म मामले में तीन को आजीवन कारावास, तीन को 5-5 साल कैद
पठानकोट, जेएनएन|  Kathua Case Verdict जम्‍मू-कश्‍मीर के बहुचर्चित कठुआ दुष्कर्म और हत्याकांड मामले में सेशन कोर्ट ने दोषी करार तीन लाेगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। पठाकनकोट की अदालत ने छह आरोपितों को दोषी ठहराया और एक को बरी कर दिया है। कोर्ट में सजा का ऐलान इस पर सुनवाई के बाद किया गया। अदालत ने सांझी राम, प्रवेश कुमार और दीपक खाजुरिया को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। उन पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। तीन अन्‍य दोषियों को पांच-पांच साल कैद की सजा सुनाई गई है। उन पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

सांझी राम, प्रवेश कुमार और दीपक खाजुरिया को आजीवन कारावास व एक-एक लाख जुर्माना

सरकारी अधिवक्ता एसएस बत्रा ने बताया कि दोषी सांझी राम, प्रवेश कुमार दीपक खाजुरिया को उम्रकैद व एक - एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई है। उनको जेल में 25 साल बिताने होंगे। अन्य दोषिश तिलक राज, आनंद दत्ता और सुरिंद्र कुमार को पांच-पांच साल कैद व 50-50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई है।   दूसरी ओर, राष्‍ट्रीय म‍हिला आयोग की अध्‍यक्ष रेखा शर्मा ने कहा है कि दो‍षियों को मृत्‍युदंड दिए जाने की उम्‍मीद थी। जम्‍मू-कश्‍मीर सरकार इसके लिए हाई कोर्ट में अपील करे।    

सजा सुनाए जाने के बाद दोषियों को ले जाती पुलिस।

तिलक राज, आनंद दत्ता और सुरिंद्र कुमार को पांच-पांच साल कैद व 50-50 हजार रुपये जुर्माने की सजा

इससे पहले पठानकोट के सेशन कोर्ट में जज डॉ. तेजविंदर सिंह सभी सात आरोपितों की मौजूदगी में छह को दोषी करार दिया। इस फैसले पर पूरे देश की निगाहेँ लगी थी। अदालत सात आरोपितों पर फैसला सुना दिया है। अदालत ने एक आरोपित विशाल जंगोत्रा को बरी कर दिया। छह आरोपित दीपक कुमार, प्रवेश कुमार, सुरेंद्र कुमार, आनंद दत्ता, तिलक राज तथा सांझी राम दोषी करार दिए गए।

इन धाराओं के तहत आरोपितों को दोषी करार दिया गया, सजा पर सुनवाई जारी

जिला एवं सत्र अदालत में न्यायाधीश डाॅ. तेजविंद्र सिंह ने अभियोजन और बचाव पक्षों की दलीलों के आधार पर सायं पांच बजे दोषियों की सजा का ऐलान किया। जज डॉ. तेजिंदर सिंह ने छह आरोपितों को विभिन्‍न धाराओं के तहत दोषी करार दिया और सजा सुनाई।

सुबह 10:38 बजे पंजाब पुलिस की गाड़ी सातों आरोपितों को लेकर अदालत परिसर पहुंची। न्यायाधीश डॉ. तेजविंदर सिंह की जिला एवं सत्र अदालत में 11:05 बजे आरोपितों को अदालत में पेश किया गया और बंद कमरे में कार्यवाही शुरू हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने सात में से छह आरोपितों को दोषी करार दिया। विशाल जंगोत्रा को बरी कर दिया। छह दोषियों के लिए अदालत ने पहले दो बजे सजा सुनाने का समय तय किया, लेकिन बाद में सजा पर वकीलों की बहस के कारण शाम करीब साढ़े चार बजे फैसला सुनाया गया। दोषियों को अलग-अलग धाराओं में सुनाई गईं सजाएं एक साथ चलेंगी।

सजा सुनाए जाने के बाद दोषियों को ले जाती पुलिस।

विशाल जंगोत्रा को कठुआ में बच्ची की हत्या के दिन ही मुज्जफरनगर के एक एटीएम में पैसे की निकासी के दौरान सीसीटीवी फुटेज के आधार पर बरी किया। संवदेनशील मामला होने के कारण सुबह से ही कोर्ट परिसर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। इस केस से जुड़े लोगों को भी अदालत परिसर में जाने दिया गया।


इन धाराओं में पाए गए दोषी और यह मिली सजा
- दीपक खजूरिया, सांझी राम, प्रवेश कुमार को दुष्कर्म, हत्या व अपहरण का दोषी पाया गया। इसमें दीपक खजूरिया, प्रवेश कुमार व सांझी राम को धारा 302, 376, 120 बी, 511, 328, 363, 201, 343 के तहत दोषी करार दिया गया। इसके लिए उन्हें धारा 376 के लिए 25 साल की कैद, 328 के लिए 10 साल, धारा 363 के लिए सात साल कैद, 201 के लिए पांच साल कैद, 343 के लिए दो साल और 302 और 120 बी के लिए उमकैद की सजा दी गई। उनकी सभी सजाएं एक साथ चलेंगी। उनको एक -एक लाख रुपये जुर्माना भी सुनाया गया। जुर्माना नहीं भरने पर अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।

- आनंद दत्ता, सुरिंद्र कुमार व तिलक राज को सुबूतों को खुर्दबुर्द करने का दोषी पाया गया। तीनों को धारा 201 के तहत पांच- पांच साल कैद दी गई। उनको 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। जुर्माना नहीं भरने पर उनको अतिरिक्‍त कारावास भुगतना होगा।

किन धाराओं के तहत क्या सजा

सांझी राम :

धारा (आरपीसी) और सजा : (376डी) सामूहिक दुष्कर्म के लिए 25 साल कैद, (302) हत्या और (120बी) आपराधिक षड्यंत्र के लिए उम्रकैद, (201) सुबूत मिटाने के लिए पांच साल, (328) स्त्री पर हमला या बल प्रयोग करने के लिए 10 साल कैद, (363) किसी की मदद से अपहरण करने के लिए सात साल कैद, (343) तीन या अधिक दिन के लिए किसी को बंधक बनाने के लिए दो साल कैद की सजा सुनाई।

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दीपक खजूरिया : 

धारा (आरपीसी) और सजा : (376डी) सामूहिक दुष्कर्म के लिए 25 साल कैद, (302) हत्या और (120बी) आपराधिक षड्यंत्र के लिए उम्रकैद, (201) सुबूत मिटाने के लिए पांच साल, (328) स्त्री पर हमला या बल प्रयोग करने के लिए 10 साल कैद, (363) किसी की मदद से अपहरण करने के लिए सात साल कैद, (343) तीन या अधिक दिन के लिए किसी को बंधक बनाने के लिए दो साल कैद की सजा सुनाई।

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प्रवेश कुमार:

धारा (आरपीसी) और सजा : (376डी) सामूहिक दुष्कर्म के लिए 25 साल कैद, (302) हत्या और (120बी) आपराधिक षड्यंत्र के लिए उम्रकैद, (201) सुबूत मिटाने के लिए पांच साल, (328) स्त्री पर हमला या बल प्रयोग करने के लिए 10 साल कैद, (363) किसी की मदद से अपहरण करने के लिए सात साल कैद, (343) तीन या अधिक दिन के लिए किसी को बंधक बनाने के लिए दो साल कैद की सजा सुनाई। 

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आनंद दत्ता (एसपीओ) :

धारा (आरपीसी) और सजा : (201) सबूत मिटाने के दोष में पांच साल कैद और 50 हजार रुपये जुर्माना।

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सुरेंद्र वर्मा (एसपीओ) :

धारा धारा (आरपीसी) और सजा : (201) सबूत मिटाने के दोष में पांच साल कैद और 50 हजार रुपये जुर्माना।

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तिलक राज (कांस्टेबल) :

धारा (आरपीसी) और सजा : (201) सबूत मिटाने के दोष में पांच साल कैद और 50 हजार रुपये जुर्माना।

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हाईकोर्ट में करवाएंगे बरी : विक्रांत

बचाव पक्ष के वकील विक्रांत महाजन, अंकुर शर्मा और एचएस पठानिया का कहना है कि सांझी राम को न्याय दिलाने और फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए वे हाईकोर्ट में अपील करेंगे। उन्हें यकीन है कि उन्हें न्याय मिलेगा। नए सिरे से लड़ाई लड़ी जाएगी।

विशाल जंगोत्रा को सजा दिलाने के लिए करेंगे अपील

अभियोजन पक्ष के वकील जेके चोपड़ा, मवीन फारूकी ने कहा कि जिस तरह से केस की पैरवी की गई वैसे ही आरोपितों को सजा मिली है। विशाल जंगोत्रा को बरी करने के फैसले से सहमत नहीं हैं। कोर्ट ने किन दलीलों के आधार पर यह निर्णय दिया है, फैसले की कॉपी आने के बाद उसकी समीक्षा होगी। दोषियों को लगाया गया जुर्माना भी संतोषजनक नहीं है। दोनों विषयों को हाईकोर्ट में उठाया जाएगा।
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टाइमलाइन
- 10:38 बजे पर सातों आरोपितों को वाहन के माध्यम से कोर्ट लाया गया।
- 10:47  न्यायाधीश डाॅ. तेजविंद्र सिंह कोर्ट परिसर पहुंचे।
- 11:00 बजे कोर्ट में फैसले को लेकर प्रक्रिया शुरू हुई ।द
- 11:28 बजे अभियोजन पक्ष के वकील मवीन फारूकी कोर्ट से बाहर और छह आरोपितों को दोषी करार देने और एक को बरी किए जाने के बारे जानकारी दी।
- 12 बजे न्यायालय ने दो बजे सजा तय करने के लिए सुनवाई शुरू करने का फैसला दिया।
- दो बजे सजा को लेकर बचाव व अभियोजन पक्षों की दलील को लेकर चार बजे सुनवाई का फैसला टाला।
- सायं चार बजे न्यायाधीश डॉ तेजविंदर सिंह ने सजा को लेकर दलीलें सुनी व पांच बजे दोषियों को सजा का ऐलान कर दिया।

फैसले के दौरान सातों आरोपित, अभियोजन व बचाव पक्ष के वकील मौजूद रहे। मामला संवेदनशील होने पर कोर्ट परिसर में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई थी। इसे पहले आरोपित आनंद दत्ता के ससुर ने कहा कि उनके दामाद को झूठा फंसाया गया है। बचाव पक्ष के वकील अंकुर शर्मा ने कहा कि आरोपितों  को कोर्ट से न्याय मिलेगा। कोर्ट परिसर मे संबंधित पक्षों को छोड़कर अन्य किसी को जाने की अनुमति नहीं थी।   कोर्ट परिसर के बाहर आरोपितों के परिजन भी मौजूद हैं। उनके चेहरे पर मायूसी साफ दिख रही थी , लेकिन उनका कहना है कि हमें इंसाफ की आस है। सातों आरोपितों को वाहन से कोर्ट परिसर ले जाया गया। 

एक ही परिवार के दो लोगों को सजा

इस मामले में एक की परिवार के चार लोगों पर आरोप लगे थे। केस में बरी हुआ विशाल जंगोत्रा दोषी सांझी राम का बेटा है। प्रवेश कुमार जिसे उम्रकैद की सजा हुई है वह सांझी राम का भतीजा है। इस मामले में एक नाबालिग भी आरोपित है, जो कि सांझी राम का भांजा है।

फैसला सुनते ही अदालत में रो पड़े बाप-बेटा

अदालत की ओर से बेटे विशाल जंगोत्रा को बरी किए जाने का फैसला सुनते ही पिता सांझी राम रो पड़ा। हालांकि, जब सांझी राम को उम्र कैद की सजा सुनाई गई उस वक्त भी वह बहुत मायूस था, लेकिन बेटे के बरी होने का फैसला सुनते ही उसके आंसू निकल आए। पिता को रोते देख विशाल जंगोत्रा भी अदालत में रो पड़ा। सजा सुनने के बाद जब सांझी राम कोर्ट से बाहर आया तब उसने हाथ भी हिलाया।

रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस नहीं

बचाव पक्ष के वकील एके साहनी का कहना है कि अदालत में बताया गया कि ये केस रेयरेस्ट ऑफ रेयर नहीं है। इसमें कोई चश्मदीद गवाह नहीं है। एक आरोपित बरी हो रहा है। तीन आरोपितों की भूमिका में अब भी शक की गुंजाइश है। ऐसे में दोषियों को अधिकतम सजा नहीं दी जा सकती।

पठानकोट में सुनवाई शुरू होने के 380 दिन बाद आया फैसला 

पठानकोट में मामले की सुनवाई शुरू होने के 380 दिन बाद फैसला आया है। अहम केस के फैसले को देखते हुए जिला पुलिस भी अदालत परिसर में अतिरिक्त जवान तैनात रहा। गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर के कठुआ की हीरानगर तहसील के एक गांव में 10 जनवरी 2018 को आठ साल की बच्ची पशु चराते वक्त गायब हो गई थी।

13 जनवरी 2018 को बच्ची का शव एक धार्मिक स्थल के पास मिला था। परिवार की शिकायत पर दीपक कुमार, प्रवेश कुमार, विशाल जंगोत्रा, एसपीओ सुरेंद्र कुमार, एसपीओ आनंद दत्ता, कांस्टेबल तिलक राज, सांझी राम व एक नाबालिग पर दुष्कर्म, हत्याकांड, षड्यंत्र रचने, सुबूत मिटाने मिटाने की धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया था। मामले के सांप्रदायिक रंग लेने, माहौल बिगड़ने और सुरक्षा की दृष्टि से सुप्रीम कोर्ट ने केस को कठुआ से जिला एवं सत्र न्यायालय पठानकोट में शिफ्ट कर दिया था। जज डॉक्टर तेजविंदर सिंह ने इस केस की एक साल तक लगातार सुनवाई की है। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने 114, जबकि बचाव पक्ष ने मात्र 18 गवाह पेश किए।

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राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ने कहा, दोषियों को मृत्‍युदंड मिलने की उम्‍मीद थी

दूसरी ओर, राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा  ने कठुआ दुष्‍कर्म और हत्या के दाेषियों को दी गई सजा को कम बताया है। रेखा शर्मा ने कहा कि ऐसी जघन्‍य घटना के दोषियों के लिए मैं मृत्युदंड की उम्मीद कर रही थी। जम्मू -कश्मीर सरकार को इसके लिए उच्च न्यायालय में अपील के लिए जाना चाहिए।

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