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अल्ट्रासाउंड, फुली आटोमैटिक मशीन के बाद अब डायलिसिस मशीनों के यूपीएस खराब, मरीज परेशान

सिविल अस्पताल में मरीजों की मुश्किलें कम होने के बजाय बढ़ती जा रहीं हैं। अल्ट्रासाउंड टेस्ट करने वाली फुली आटोमैटिक मशीनें खराब होने के बाद अब मरीजों को डायलिसिस करवाने के लिए परेशान होना पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Updated: Tue, 23 Aug 2022 11:17 PM (IST)
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अल्ट्रासाउंड, फुली आटोमैटिक मशीन के बाद अब डायलिसिस मशीनों के यूपीएस खराब, मरीज परेशान

संवाद सहयोगी, पठानकोट : सिविल अस्पताल में मरीजों की मुश्किलें कम होने के बजाय बढ़ती जा रहीं हैं। अल्ट्रासाउंड, टेस्ट करने वाली फुली आटोमैटिक मशीनें खराब होने के बाद अब मरीजों को डायलिसिस करवाने के लिए परेशान होना पड़ रहा है। डायलिसिस यूनिट में मशीनों के यूपीएस खराब हो गए हैं। इस कारण मरीजों के डायलिसिस नहीं हो रहे हैं। पांच अगस्त को सिविल में पानी भर जाने के चलते अस्पताल के रिकार्ड व मशीनरी को काफी नुकसान हुआ था। लेकिन, इस नुकसान का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। मरीजों को महंगे दामों पर प्राइवेट अस्पतालों में डायलिसिस करवाने पड़ रहे हैं। डायलिसिस यूनिट में मशीनों के यूपीएस में पानी चले जाने के कारण यूपीएस खराब हो गए हैं व डायलिसिस मशीनें नहीं चल रहीं। मरीजों की सुविधा के लिए हैं चार मशीनें

सिविल अस्पताल में मरीजों की सुविधा के लिए चार मशीनें हैं। इनमें से एक पाजीटिव व तीन निगेटिव मशीने हैं। पाजीटिव मशीन काला पीलिया के मरीजों के डायलिसिस के लिए है जबकि निगेटिव अन्य मरीजों के लिए। लेकिन, इन मशीनों के खराब हो जाने के चलते मरीजों को अब भटकना पड़ रहा है। आयुष्मान कार्ड धारकों के होते हैं निश्शुल्क डायलिसिस

जानकारी के लिए बता दें कि सिविल अस्पताल में आयुष्मान कार्ड धारकों के निश्शुल्क डायलिसिस किए जाते हैं। जबकि अन्य मरीजों के लिए मात्र 60 रुपये फाइल का खर्च है। लेकिन, मशीनें न चलने के कारण मरीजों को प्राइवेट में दो से ढाई हजार तक खर्च करने पड़ रहे हैं। कई मरीजों को सप्ताह में दो बार भी डायलिसिस करवाना पड़ता है। ऐसे में मरीजों के लिए निजी अस्पतालों में महंगे दाम पर डायलिसिस करवाना मुश्किल हो रहा है।

कुछ माह पहले 76 हजार रुपये में करवाई थी रिपेयर

सिविल में डायलिसिस मशीनों की रिपेयर कुछ माह पहले 76 हजार रुपये की लागत से करवाई गई थी। उस समय आरओ फिल्टर खराब हो जाने के चलते मशीनें काम नहीं कर रही थीं। जनवरी में खराब हुए आरओ फिल्टर की रिपेयर मार्च में करवाने के बाद मरीजों को फिर से डायलिसिस की सुविधा मिलनी शुरू हुई थी। लेकिन वर्षा के पानी से यूपीएस खराब हो जाने के चलते अब फिर से मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है।

फुली आटोमैटिक मशीन पहले से ही खराब

वर्षा का पानी भर जाने के कारण लैब में फुली आटोमैटिक मशीन पहले से ही खराब चल रही है। ऐसे में मरीजों के कई तरह के टेस्ट नहीं हो पा रहे हैं। मजबूरन प्राइवेट लैब में टेस्ट करवाने पड़ रहे हैं। अस्पताल प्रबंधन की मानें तो फुली आटोमैटिक मशीन को ठीक करवाने के लिए इंजीनियर की ओर से करीब तीन लाख रुपये का खर्च बताया गया है। फंड की कमी से जूझ रहे अस्पताल प्रबंधन के लिए मशीन को रिपेयर करवाना मुश्किल हो रहा है। एक दो दिन में आएंगे नए यूपीएस: एसएमओ

डायलिसिस मशीनों के यूपीएस खराब हो जाने पर कार्यकारी एसएमओ डाक्टर सुनील चंद का कहना है कि वर्षा का पानी यूपीएस में चले जाने के कारण मशीनें नहीं चल रहीं। एक दो दिन में नए यूपीएस आ जाने पर मरीजों को एक बार फिर डायलिसिस की सुविधा मिलेगी।

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