Patiala News: पीयू के सेंटर फॉर डिस्टेंस एंड ऑनलाइन एजुकेशन विभाग को नहीं मिली दाखिले की अनुमति
पंजाबी यूनिवर्सिटी (पीयू) की ओर से कोशिश करने के बाद भी यूजीसी ने यूनिवर्सिटी के सीसी विभाग को दाखिले की अनुमति नहीं दी है। इसका फायदा निजी यूनिवर्सिटी उठा रही है। उधर सीसी के जरिये एडमिशन की अनुमति न मिलने से अंदाजा यह लगाया जा रहा है कि अगले तीन वर्ष तक यूनिवर्सिटी को करीब 20 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ेगा।
By Jagran NewsEdited By: Nidhi VinodiyaUpdated: Fri, 08 Sep 2023 12:06 AM (IST)
पटियाला, जागरण संवाददाता। पंजाबी यूनिवर्सिटी (Punjabi University) की ओर से कोशिश करने के बाद भी यूजीसी ने यूनिवर्सिटी के सीसी विभाग को दाखिले की अनुमति नहीं दी है। इसका फायदा निजी यूनिवर्सिटी उठा रही है। उधर, सीसी के जरिये एडमिशन की अनुमति न मिलने से अंदाजा यह लगाया जा रहा है कि अगले तीन वर्ष तक यूनिवर्सिटी को करीब 20 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ेगा।
हालांकि, पंजाबी यूनिवर्सिटी पहले ही वित्तीय संकट से गुजर रही है। उधर, यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. अरविंद इस मामले पर कुछ बोलने को तैयार नहीं है।
बीए और एमए में भी लड़कों की दाखिला दे सकती है
पंजाबी यूनिवर्सिटी की ओर से लंबे समय से निजी तौर पर बीए और एमए में लड़कियों का दाखिला दिया जा रहा है, पर लड़कों का दाखिला बंद है। जानकार बताते है कि सेंटर फॉर डिस्टेंस एंड ऑनलाइन एजुकेशन विभाग द्वारा वाइस चांसलर को पत्र भेजकर लड़कों का निजी तौर पर दाखिला करने की सलाह दी है। फिलहाल इस संबंधी फाइल अधिकारियों के टेबल पर ही घूम रही है।आने वाले दिनों में यूनिवर्सिटी निजी तौर पर बीए और एमए में भी लड़कों की दाखिला दे सकती है। हालांकि, यूनिवर्सिटी को इसका ज्यादा लाभ नहीं होगा। क्योंकि काफी हद तक स्टूडेंट्स का दाखिला अन्य निजी यूनिवर्सिटियों में हो चुका है।Also Read - NEET एसएस की परीक्षा में विद्यार्थियों को डेढ़ घंटे पहले पहुंचने होगा, ढाई घंटे में 150 प्रश्न करने होंगे हल
समय पर फीस न भरने पर विभागीय हेड हो चुके है सस्पेंड
बता दें कि सेंटर फॉर डिस्टेंस एंड ऑनलाइन एजुकेशन विभाग द्वारा इस वर्ष विभिन्न कोर्सों के पहले भाग में स्टूडेंट्स की एडमिशन करने के लिए यूजीसी से परमिशन लेनी थी। पर विभाग के अधिकारियों द्वारा यूजीसी के पास फीस नहीं भरी गई। इसके चलते यूजीसी द्वारा 2023 में विभाग को दाखिले की अनुमति नहीं दी। इस गलती के लिए यूनिवर्सिटी के प्रशासन ने विभागीय हेड डॉ. सतनाम सिंह संधू को सस्पेंड कर दिया था। इसके बाद डा. हरिंदर कौर को हेड नियुक्त किया गया।
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