Farmers Protest: किसानों के खिलाफ HC जाएं या लगाएं जाम? शंभू बॉर्डर पर आंदोलन से परेशान 30 गांव के लोग 26 जून को लेंगे फैसला
शंभू बॉर्डर (Shambhu Border) पर बीते 13 फरवरी से किसानों के धरना प्रदर्शन (Farmers Protest) के चलते आम जनजीवन को काफी नुकसान हो रहा है। इसके चलते 30 गांवों के लोगों ने 10 सदस्यीय कमेटी को बनाया है। जो बुधवार को बैठक कर निर्णय लेंगे कि किसानों के खिलाफ HC जाएं या जाम लगाएं। वहीं किसानों ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की घोषणा की।
गुरप्रीत धीमान, पटियाला। शंभू बॉर्डर पर गत 13 फरवरी से किसान संगठनों के चल रहे धरने के कारण आसपास के लगभग 30 गांवों के लोगों का जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है। हरियाणा बॉर्डर से लगते इन गांवों का अधिकतर काम व व्यापार हरियाणा से जुड़ा हुआ है, जो पूरी तरह बर्बाद हो चुका है।
मानसून सिर पर है, ऐसे में ग्रामीणों की चिंता बढ़ती जा रही है। किसानों के धरने को देखते हुए आसपास के ग्रामीणों ने आवाजाही के लिए घग्गर नदी पर अस्थायी पुल बनाए हैं। बरसात में नदी में उफान आने पर अस्थायी पुलों के बह जाने का खतरा है। ऐसा हुआ तो आसपास के गांवों का संपर्क हरियाणा से पूरी तरह कट जाएगा। आसपास के गांवों के लोग रविवार को धरने पर बैठे किसानों से रास्ता मांगने पहुंचे थे, लेकिन बात बनने की बजाय स्थिति तनावपूर्ण हो गया था।
बुधवार को रखी बैठक
ग्रामीणों ने बुधवार को बैठक रखी है, जिसमें तय किया जाएगा कि नेशनल हाईवे पर रास्ता खुलवाने के लिए हाई कोर्ट जाना है या फिर बनूड़ रोड पर जाम लगाकर विरोध प्रदर्शन करना है। शंभू के निकट स्थित गांव शंभू, महमदपुर, राजगढ़, तेपला, बासमा, संजरपुर, बपरौर, नन्हेड़ा, गदापुरा, नंदगढ़, रामनगर सैनिया के ग्रामीणों ने रास्ता खोले जाने के लिए किसानों को फिर से मांगपत्र सौंपा है।
30 गांवों की 10 सदस्यीय कमेटी बनेगी
शंभू बॉर्डर (Shambhu Border) पर रास्ता खुलवाने के लिए ग्रामीणों ने 30 गांवों की 10-सदस्यीय कमेटी बनाने की घोषणा भी की है। सोमवार को शंभू बॉर्डर पर किसानों ने बैठक की और उसके बाद किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल पटियाला के एसएसपी से मिला और उन्हें ज्ञापन सौंपकर सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता करने समेत कार्रवाई की मांग की।
किसानों ने कहा कि शंभू बॉर्डर पर मंगलवार सुबह 10 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस रखी गई है, जिसमें आगे की रणनीति घोषित करेंगे।
ग्रामीणों का हरियाणा से व्यापार ठप
ग्रामीणों ने बताया कि लगभग सवा चार महीने से चल रहे किसानों के धरने के कारण धैर्य जवाब देने लगा है। लोग किसानों से रास्ता मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि आसपास के गांवों का अंबाला के साथ व्यापार व स्वास्थ्य सुविधा समेत रिश्तेदारी व बच्चों की पढ़ाई जुड़ी हुई है। धरने के कारण आसपास के लोगों का जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो चुका है।
रोजमर्रा की जरूरतें पूरी नहीं हो रहीं। पांच किलोमीटर की जगह 20 से 25 किमी तक का रास्ता तय करना पड़ रहा है। यही नहीं, आसपास के 10 से 11 परिवार पंजाब से पलायन कर गए हैं।
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