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Captain Amrinder: दो दशकों तक पंजाब की राजनीतिक धुरी रहे 'कैप्टन' मैदान से गायब, क्या पर्दे के पीछे से खेल रहे दांव?

पंजाब की राजनीति में दो दशक तक धुरी रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह लोकसभा चुनाव (Punjab Lok Sabha Elections) के मैदान में इस बार भले ही न उतरे हों। लेकिन अपने करीबियों को टिकट दिलवाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। स्वास्थ्य ठीक न होने के चलते वे घर से बाहर कम ही निकलते हैं। इसलिए शायद बीजेपी भी उनसे राजनीतिक लाभ नहीं उठा पा रही है।

By Jagran News Edited By: Gurpreet Cheema Updated: Fri, 10 May 2024 02:01 PM (IST)
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पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह
कैलाश नाथ, चंडीगढ़। Punjab Lok Sabha Election 2024 लोकसभा चुनाव का मंच तैयार है। चुनावी गर्मी भी बढ़ रही है। पूरी राजनीतिक परिदृश्य से पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) गायब हैं। कैप्टन दो दशकों तक पंजाब की राजनीतिक धुरी रहे हैं और पंजाब के हरेक वर्ग में उनकी खासी पैठ है।

अब कैप्टन भले ही सक्रिय राजनीति में दिखाई नहीं दे रहे लेकिन अपने करीबी राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी (Rana Gurmit Singh Sodhi) को टिकट दिलवाने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई है।

दूसरी तरफ कैप्टन अभी तक अपनी पत्नी व पटियाला से भाजपा प्रत्याशी परनीत कौर के चुनाव प्रचार में भी शामिल नहीं हुए हैं। इसके पीछे उनके स्वास्थ्य को कारण बताया जा रहा है। कैप्टन ने 2022 में इंग्लैंड में रीढ़ की हड्डी का आपरेशन करवाया था।

इसके बाद से उन्हें चलने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। दूसरी तरफ लोस चुनाव में कैप्टन का सामने नहीं आना भी चर्चा का विषय बना है, क्योंकि पत्नी परनीत कौर को अपना प्रचार करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

स्वास्थ्य ठीक न होने का कारण... 

शंभू बॉर्डर पर किसानों के धरने के कारण किसान संगठन के नेता परनीत कौर को सबसे ज्यादा घेर रहे हैं। हालांकि, 2020 में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ कैप्टन ने किसान संगठनों की सबसे ज्यादा मदद की थी। उस समय वह पंजाब के मुख्यमंत्री थे। अब स्वास्थ्य ठीक नहीं होने के कारण कैप्टन के राजनीतिक अनुभव का लाभ भी भाजपा को नहीं मिल पा रहा है।

पंजाब के राजनीतिक माहौल पर कैप्टन की नजर

सूत्र बताते हैं कि कैप्टन भले ही वर्तमान में राजनीतिक परिदृश्य से गायब हों, लेकिन वह पंजाब के राजनीतिक माहौल पर नजर बनाए हुए हैं। भाजपा के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ इस सीट से अपने करीबी व कांग्रेस के नेता रमिंदर आवला को चुनाव लड़वाना चाहते थे। अंतिम समय तक आवला की बात भाजपा में नहीं बनी। नामांकन प्रक्रिया शुरू होने के बाद आवला खुद ही पीछे हट गए।

करीबियों को टिकट दिलवाने में अहम भूमिका

इसके बाद भाजपा ने राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी को उम्मीदवार घोषित कर दिया। भाजपा ने अभी तक फतेहगढ़ साहिब सीट पर अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। माना जा रहा है कि कैप्टन फतेहगढ़ साहिब से दीपक ज्योति को टिकट दिलवाना चाहते हैं।

दीपक ज्योति कैप्टन की पंजाब लोक कांग्रेस पार्टी की तरफ से बस्सी पठाना से चुनाव लड़ा थी। कैप्टन भले ही चुनावी मैदान से गायब हों, लेकिन सिसवा फार्म हाउस में रह कर वह अपने करीबियों को टिकट दिलवाने में अहम भूमिका निभा रहे है।

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