Punjab News: पराली जलाने के टूटे सारे रिकॉर्ड, आठ दिन में बढ़े 25 गुना मामले; खराब कैटेगरी में सभी शहरों का AQI
पंजाब में पराली जालाने के मामले ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिया है। पिछले वर्ष इस अवधि तक 29999 मामले आए थे। वर्ष 2021 में पराली जलाने के आंकड़े 32734 थे। राज्य में पराली जलाने के मामले बढ़ने के साथ ही वायु की गुणवत्ता भी खराब हुई है। राज्य के सभी शहरों का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) खराब कैटेगरी में शामिल हो चुका है।
By Jagran NewsEdited By: Shubham SharmaUpdated: Tue, 07 Nov 2023 06:45 AM (IST)
जागरण संवाददाता, पटियाला। राज्य में आठ दिन में पराली जलाने की गति 25 गुना बढ़ गई है। राज्य में 28 अक्टूबर को पराली जलाने के कुल 127 मामले सामने आए थे। यह संख्या 29 अक्टूबर को बढ़कर 1,068 हो गई थी। रविवार को इस सीजन में सबसे अधिक 3,230 मामले सामने आए। सबसे ज्यादा 551 मामले मुख्यमंत्री भगवंत मान के गृह जिले में दर्ज हुए थे।
सोमवार तक 17,403 मामला आए सामने
हालांकि, सोमवार को पराली जलाने के मामलों में कमी आई और कुल 2,060 मामले सामने आए हैं। इनमें सबसे ज्यादा 509 मामले केवल संगरूर से हैं। अब संगरूर में पराली के जलाने के कुल 3,207 मामले हो गए हैं, जोकि राज्य में सबसे अधिक हैं। इसके अलावा 1,976 मामलों के साथ फिरोजपुर दूसरे, 1,809 मामलों के साथ तरनतारन तीसरे, 1,451 मामलों के साथ मानसा चौथे और 1,439 मामलों के साथ अमृतसर पांचवें स्थान पर है। राज्य में इस बार छह नंवबर तक पराली जलाने के 17,403 मामले सामने आ चुके हैं।
राज्य के सभी शहरों का AQI खराब कैटेगरी में
हालांकि, यह आंकड़ा पिछले वर्ष इस तिथि के मुकाबले कम है। पिछले वर्ष इस अवधि तक 29,999 मामले आए थे। वर्ष 2021 में पराली जलाने के आंकड़े 32,734 थे। राज्य में पराली जलाने के मामले बढ़ने के साथ ही वायु की गुणवत्ता भी खराब हुई है। राज्य के सभी शहरों का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) खराब कैटेगरी में शामिल हो चुका है।अमृतसर और बठिंडा का एक्यूआई बहुत खराब कैटेगरी में दर्ज किया गया है। इसके तहत एक्यूआइ 333 के साथ सोमवार को अमृतसर राज्य में सबसे ज्यादा प्रदूषित रहा। वहीं, एक्यूआइ 306 के साथ बठिंडा दूसरे, 287 के साथ लुधियाना तीसरे, 275 के साथ मंडी गोबिंदगढ़ चौथे, 241 के साथ जालंधर पांचवें, 230 के साथ खन्ना छठे और 223 के साथ पटियाला सातवें स्थान पर रहा। हवा की गुणवत्ता खराब होने के कारण सांसों पर संकट छा गया है। अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। यही स्थिति रही तो आगे संकट और गहरा सकता है।
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