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Punjab News: राष्ट्रीय सिख संगत के संस्थापक महासचिव चिरंजीव सिंह का निधन, मोहन भागवत ने जताया दुख

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विश्व हिंदू परिषद और राष्ट्रीय सिख संगत में अहम योगदान देने वाले संघ के वरिष्ठ प्रचारक चिरंजीव सिंह का 93 वर्ष की उम्र में सोमवार सुबह लुधियाना में निधन हो गया। वह कुछ महीनों से अस्वस्थ चल रहे थे। देर शाम हुए अंतिम संस्कार में संघ के अखिल भारतीय सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल व अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे।

By Jagran NewsEdited By: Jeet KumarUpdated: Tue, 21 Nov 2023 06:40 AM (IST)
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राष्ट्रीय सिख संगत के संस्थापक महासचिव चिरंजीव सिंह का निधन (सोशल मीडिया)
 जागरण संवाददाता, पटियाला। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद और राष्ट्रीय सिख संगत में अहम योगदान देने वाले संघ के वरिष्ठ प्रचारक चिरंजीव सिंह का 93 वर्ष की उम्र में सोमवार सुबह लुधियाना में निधन हो गया। वह कुछ महीनों से अस्वस्थ चल रहे थे। देर शाम हुए अंतिम संस्कार में संघ के अखिल भारतीय सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल व अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे।

सरसंघचालक मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने उनके निधन पर शोक जताया है। संघ प्रमुख ने शोक संदेश में कहा, सरदार चिरंजीव सिंह जी के देहावसान के साथ राष्ट्र के लिए समर्पित एक प्रेरणादायी जीवन की इहलोक यात्रा पूर्ण हुई है।

दशकों तक पंजाब में कार्य करने के बाद राष्ट्रीय सिख संगत के कार्य के द्वारा उन्होंने पंजाब में पैदा हुई कठिन परिस्थिति के कारण उत्पन्न परस्पर भेद और अविश्वास को दूर कर समूचे देश में एकात्मता व सामाजिक समरसता को पुष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

1948 के प्रतिबंध काल में वह दो महीने जेल में भी रहे

पटियाला में एक अक्टूबर, 1930 को किसान परिवार में जन्मे चिरंजीव सिंह 1944 में कक्षा सात में पढ़ते समय मित्र रवि के साथ पहली बार संघ की शाखा में गए और आजीवन संघ के प्रति निष्ठावान रहे। शाखा में वह अकेले सिख थे। 1946 में वह प्राथमिक वर्ग और फिर 1947, 50 और 52 में तीनों वर्ष के संघ शिक्षा वर्गों में हिस्सा लिया। 1948 के प्रतिबंध काल में वह दो महीने जेल में भी रहे।

स्नातक करने के बाद वह अध्यापक बनना चाहते थे पर 1953 में प्रचारक बन गए। लुधियाना 21 वर्ष तक उनका केंद्र रहा। 1984 में उन्हें विश्व हिंदू परिषद का प्रांत संगठन मंत्री बनाया गया। इस दायित्व पर 1990 तक रहे। चिरंजीव के नेतृत्व में 1982 में अमृतसर में धर्म सम्मेलन हुआ।

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अकाल तख्त के जत्थेदार से मिलकर एकता का संदेश दिया

1987 में स्वामी वामदेव जी व स्वामी सत्यमित्रानंद जी के नेतृत्व में 600 संतों ने हरिद्वार से अमृतसर तक यात्रा की और अकाल तख्त के जत्थेदार से मिलकर एकता का संदेश दिया। इसमें भी उनकी भागीदारी विशेष रही। अक्टूबर, 1986 में श्री गुरु नानकदेव जी के प्रकाश पर्व पर अमृतसर में राष्ट्रीय सिख संगत का गठन किया गया। शमशेर सिंह गिल इसके अध्यक्ष तथा चिरंजीव महासचिव बनाए गए। 1990 में शमशेर के निधन के बाद चिरंजीव इसके अध्यक्ष बने। 2003 में वृद्धावस्था के कारण उन्होंने अध्यक्ष पद छोड़ दिया।

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