लोगों का सब्र देने लगा जवाब, शंभू बार्डर पर रास्ता खुलवाने पहुंचे ग्रामीणों और किसानों में जमकर हुई बहसबाजी; हाथापाई होने से बची
शंभू बार्डर पर लगभग सवा चार महीने से चल रहे किसानों के धरने के दौरान रविवार को हालात तनावपूर्ण हो गए। आंदोलन स्थल पर पहुंचे लोगों ने हरियाणा की ओर आने-जाने के लिए किसान नेताओं से रास्ता दिए जाने की मांग की तो बहसबाजी हो गई। ग्रामीण व किसान आमने-सामने हो गए। एक बार स्थिति हाथापाई तक पहुंच गई। दरअसल ग्रामीणों को कई किलोमीटर का घूमकर आना-जाना पड़ रहा है।
जागरण संवाददाता, राजपुरा (पटियाला)। शंभू बार्डर पर लगभग सवा चार महीने से चल रहे किसानों के धरने के दौरान रविवार को हालात तनावपूर्ण हो गए। आंदोलन स्थल पर पहुंचे लोगों ने हरियाणा की ओर आने-जाने के लिए किसान नेताओं से रास्ता दिए जाने की मांग की तो बहसबाजी हो गई। ग्रामीण व किसान आमने-सामने हो गए। एक बार स्थिति हाथापाई तक पहुंच गई।
किसानों ने मामला सरकार पर डाल दिया
विदित हो कि स्थानीय लोगों ने पहले भी किसानों को मांगपत्र सौंपकर रास्ता देने की मांग की थी, लेकिन किसानों ने मामला सरकार पर डाल दिया। रविवार को भी यही जवाब दिया। कुछ किसान नेताओं ने कहा कि रास्ता खोले जाने की मांग करने वाले आसपास के गांववासी नहीं, बल्कि भाजपा कार्यकर्ता हैं और इनमें आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता व रेत माफिया के लोग भी शामिल हैं। इससे बात बिगड़ गई।
नोक-झोंक के बाद किसानों की ओर से एक आपात बैठक की गई, जिसमें सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि शंभू बार्डर और अन्य बार्डरों पर किसान संगठन शांतिपूर्ण तरीके से बैठे हैं। शंभू बार्डर पर जो रास्ता मांगने पहुंचे वे भाजपा, आप और माइनिंग माफिया से संबंध रखने वाले लोग हैं। पंधेर ने कहा कि वह ऐसी घटनाओं से डरने वाले नहीं हैं।
ग्रामीण बोले-हमने किसानों की मदद की, हमें पार्टियों से जोड़ना गलत
शंभू धरने पर पहुंचे स्थानीय लोगों से जब बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि जिस दिन किसानों का धरना शुरू हुआ था, उस दिन सबसे पहले स्थानीय लोग सहायता के लिए आगे आए थे। अब गांववालों को राजनीतिक पार्टियों से जोड़ा जाना गलत है।
उन्होंने कहा कि धरने से आसपास के 25 से 30 गांवों की दिनचर्या प्रभावित हो रही है। जल्द मानसून का सीजन शुरू हो जाएगा और फिर लोगों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। घग्गर दरिया उफान पर होगा और जो अस्थायी रास्ते बनाए गए हैं, वे पानी में डूब जाएंगे। रास्ता न खुला तो चाहे दिहाड़ी करने वाले लोग हों, स्कूली बच्चे हों या फिर कारोबारी, हर किसी को परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
किसानों से विनती की गई
इमरजेंसी सेवाओं के साथ-साथ सेहत सुविधा भी बिल्कुल ठप हो जाएगी। किसानों से विनती की गई कि उन्हें केवल 5 फीट ही रास्ता दे दिया जाए क्योंकि आसपास के लोगों को गंतव्य तक पहुंचने में कई किलोमीटर का घूमकर आना-जाना पड़ रहा है।
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