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साथी खिलाड़ियों के हतोत्साहित करने के बाद हरजिदर ने छोड़ दी थी वेटलिफ्टिग

कामनवेल्थ गेम्स में वेटलिफ्टिग में देश के लिए कांस्य पदक विजेता नाभा के मैहस गांव निवासी हरजिदर कौर अपनी उपलब्धि से काफी खुश हैं।

By JagranEdited By: Updated: Wed, 03 Aug 2022 06:16 AM (IST)
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साथी खिलाड़ियों के हतोत्साहित करने के बाद हरजिदर ने छोड़ दी थी वेटलिफ्टिग
गौरव सूद, पटियाला

कामनवेल्थ गेम्स में वेटलिफ्टिग में देश के लिए कांस्य पदक विजेता नाभा के मैहस गांव निवासी हरजिदर कौर अपनी उपलब्धि से काफी खुश हैं। हरजिदर बताती हैं कि वेटलिफ्टिग के करियर की शुरुआत के दौरान उसे उसके साथी खिलाड़ियों ने काफी हतोत्साहित (डिमोटिवेट) किया। उनके साथी खिलाड़ी उन्हें लड़की होने के चलते वेटलिफ्टिग के कारण बाडी पर असर करने की बात कहते थे। इस कारण वह काफी निराश हो गई खेल छोड़ने का फैसला किया और खेल छोड़कर घर लौट आई। वह डेढ़ महीना घर पर रही, लेकिन कोच और अभिभावकों ने काफी समझाया। जिसके बाद उसने फिर से प्रेक्टिस शुरू की।

हरजिदर ने अपनी इस सफलता का श्रेय कोच परमजीत शर्मा को दिया। हरजिंदर ने कहा कि कोच ने जहां उसे इस उपलब्धि के लिए सक्षम बनाया, वहीं समय-समय पर कई ऐसे मौके आए जब वह काफी कमजोर महसूस कर रही थी। ऐसे में कोच ने उसका हौसला बढ़ाया और वित्तीय तौर पर भी काफी सहायता की। उनकी सही गाइडेंस के कारण ही उन्हें यह सफलता मिली है। मेरे जन्म के समय निराश हुए थे सभी, आज हर एक को गर्व

हरजिदर कौर ने बताया कि वह परिवार में सबसे छोटी है और उसका एक बड़ा भाई और बड़ी बहन हैं। जिस समय उसका जन्म हुआ था तो परिवार काफी निराश हुआ था, क्योंकि परिवार को उम्मीद थी कि बेटा होगा। अब कामनवेल्थ में मेडल जीतने के बाद पिता से बात हुई तो जब उन्होंने कहा कि तुम मेरी बेटी नहीं बेटा हो, तो इससे ज्यादा गर्व आज तक कभी महसूस नहीं हुआ। हरजिंदर ने कहा कि हालांकि कभी परिवार ने उसकी परवरिश में कोई भेदभाव नहीं किया और वेटलिफ्टिग को जारी रखने के लिए समय-समय काफी सपोर्ट किया है, लेकिन अब जब परिवार अपनी बेटी पर गर्व कर रहा है तो इससे ज्यादा खुशी और सम्मान की बात मेरे लिए कोई नहीं है। प्रफार्म करते समय सिर्फ मेडल के बारे में सोच रही थी

हरजिदर ने बताया कि जिस समय वह कामनवेल्थ में प्रफार्म कर रही थी उस समय मन में सिर्फ कोच, अभिभावकों और स्वजनों की उम्मीदें और देश का नाम रोशन करने की उम्मीद थी। मन में था कि चाहे जो भी हो मेडल तो जीतना ही है। जिसे हासिल करने में मैं कामयाब हुई। इस उपलब्धि के बाद अब इसी वर्ष होने वाली एशियन व‌र्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीतने का सपना है। जिसके लिए देश लौटकर तैयारी में जुट जाऊंगी। वेटलिफ्टिग से मिला सम्मान और रस्साकशी से पैसे

हरजिदर ने बताया वेटलिफ्टिग से जहां उसे मान सम्मान मिला है, वहीं रस्साकशी से भी वित्तीय सहायता मिली है। यूनिवर्सिटी में वह जहां वेटलिफ्टिग सम्मान के लिए करती थी, वहीं रस्साकशी के टूर्नामेंट जीतकर पुरस्कार में मिली राशी से अपना गुजारा भी चलाती थी। हरजिंदर ने बताया कि स्कूल स्तर पर कबड्डी खेलने के बाद कबड्डी कोच ने मुझे यूनिवर्सिटी में रस्साकशी के ट्रायल देने के लिए भेजा जहां कोच परमजीत शर्मा ने प्रतिभा पहचानी और वेटलिफ्टिंग के लिए प्रोत्साहित किया। जिसके बाद मैंने वेटलिफ्टिग की प्रेक्टिस शुरू की। उसके बाद से आज तक कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

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