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आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस व मशीन लर्निग पर होगी खोज

आइआइटी रूपनगर में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग पर आधारित इंडो-ताइवान संयुक्त अनुसंधान केंद्र का शुभारंभ हुआ।

By JagranEdited By: Updated: Sat, 27 Jul 2019 10:32 PM (IST)
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस व मशीन लर्निग पर होगी खोज

जागरण संवाददाता, रूपनगर

आइआइटी रूपनगर में राष्ट्र का प्रथम आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग पर आधारित इंडो-ताइवान संयुक्त अनुसंधान केंद्र का शुभारंभ हुआ। यह अपनी किस्म का पहला समझौता होगा जो ताइवान और भारत के बीच खोज संपर्क को उत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित करेगा। यह विद्यार्थी और फैक्लटी एक्सचेंज प्रोगराम को बढ़ावा देने और खोज को प्रफुल्लित करने के लिए शिक्षक मंच प्रदान करेगा।

उद्घाटन की रस्म ताइवान के विज्ञान और प्रौद्योगिकी के उप मंत्री डॉ. यू चिन हसु ने अदा की। इस मौके पर भारत में ताइवान के राजदूत एचई टीएन चुंग-क्वांग और डीन ऑफ आर एंड डी, नेशनल चुंग चेंग यूनिवर्सिटी ताइवान डॉ. शिह-मिग हुआंग भी मौजूद थे। ये केंद्र भारतीय आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग के तहत संबंधित प्रोग्रामों में योगदान, सहयोग और सह निर्माण के लिए किया गया है। इस केंद्र के लिए प्राथमिक तौर पर तीन साल के लिए वित्तीय व्यवस्था की गई है। इस केंद्र के लिए सीसीयू की तरफ से प्रोफेसर पाओ एन सीउंग और आइआइटी रूपनगर की तरफ से डॉ.रोहित वाइ शर्मा द्वारा तालमेल स्थापित किया जाएगा। आइआइटी रूपनगर के डायरेक्टर प्रो. सरित कुमार दास ने कहा कि गतिशीलता युक्त संरचना से लेकर फैक्ट्रियों और शहरों तक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जीवन से जुड़ी तकनीक पर यहां शोध होगा। उन्होंने कहा कि हमने हाल ही में हिसाब और कंप्यूटिग में बीटेक और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस में एमटेक कोर्स शुरू किया है। प्रो.दास ने कहा कि हमे विश्व के उच्च संस्थानों एनसीसी, यू और ताइवान सरकार के साथ मजबूत संबंध कायम करने की खुशी है। इकट्ठे काम करने और जांच एवं विकास गतिविधियों को चलाने से हम सफलताओं में तेजी ला सकते हैं। समारोह में ताइवान के विज्ञान एवं तकनीकी उप मंत्री डॉ.यू चिन हसु ने कहा कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ी आबादी वाला देश होने के साथ साथ सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थ व्यवस्था होने के नाते आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस क्रांति में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी रखता है। इस क्रांति की क्षमता को अर्थ व्यवस्थाओं में बदलाव लाने के लिए स्वीकार करते हुए भारत को रणनीतिक बनाने की तरफ पहल की है। इसलिए आइआइटी रूपनगर में यह केंद्र दिया गया है।

पीएचडी फेलोशिप का आगाज

इस दौरान सिमको इलेट्रॉनिक्स और बीएमसी के साथ एक करार पत्र पर हस्ताक्षर किए गए। इस मौके विज्ञान और तकनीकी मंत्रालय ने भारत-ताइवान खोज सहयोग के तहत प्रतिष्ठित फेलोशिप भी लांच की । इस पीएचडी फेलोशिप का मुख्य मकसद ताइवान में अकादमिक डिग्री हासिल करने के लिए उत्तम विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करना और ताइवान के शिक्षण माहौल के बारे में उनकी समझ बढ़ाना है।

आइआइटी अनुसंधान केंद्र के लिए उपयुक्त

भारत में ताइवान के राजदूत एइ टीएन चुंग क्वांग ने कहा कि हमारा प्रयास रहेगा कि केंद्र सामाजिक तौर पर अधिक से अधिक प्रभावशाली हो और जब भी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तकनीक की तरक्की की बात हो तो दुनिया में सबसे उत्तम संस्थान से सीखने की इच्छा पैदा हो। आइआइटी रूपनगर इसके लिए सबसे उपयुक्त है।

मील पत्थर साबित होगा केंद्र

आइआइटी रूपनगर के अंतरराष्ट्रीय संबंध के एसोसिएट डीन और कोऑर्डिनेटर सेंटर कोऑर्डिनेटर डॉ. रोहित वाइ शर्मा ने कहा कि यह केंद्र आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग के क्षेत्र में एक अग्रणी होने की आइआइटी की वचनबद्धता को दर्शाता है। यह केंद्र नए चलाए गए ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सों के विद्यार्थियों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगा।

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