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Punjab News: कारगिल योद्धा ने टूटी बांह के साथ 24 बाढ़ पीड़ितों को बचाया, मिलिट्री ट्रेनिंग का मिला फायदा

पंजाब के रूपनगर में कारगिल योद्धा ने टूटी बांह के बावजूद 24 बाढ़ पीड़ितों की जान बचाई। पूर्व सैनिक को मिलिट्री ट्रेनिंग का पूरा फायदा मिला। जसपाल सिंह ने बताया कि जब बाढ़ आई तो वह अस्पताल में था और उसे अपने गांव की चिंता थी। उसने बताया कि अपनी परवाह किए बिना उसने बाढ़ पीड़ितों को बचाने का फैसला लिया और रेस्क्यू ऑपरेशन में जुट गया।

By Jagran NewsEdited By: Rajat MouryaUpdated: Mon, 28 Aug 2023 10:23 PM (IST)
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कारगिल योद्धा ने टूटी बांह के साथ 24 बाढ़ पीड़ितों को बचाया, मिलिट्री ट्रेनिंग का मिला फायदा
रूपनगर, अजय अग्निहोत्री। सैनिक देश की सीमा पर हो या गांव में, वह हर क्षण लोगों की रक्षा के लिए तत्पर रहता है। कारगिल युद्ध लड़ चुके 44 वर्षीय जसपाल सिंह ने इसे साबित किया है। बांह की हड्डी टूटने के कारण रॉड लगी होने के बावजूद गांव के लोगों को बचाने के लिए वह अस्पताल से छिपके से निकल गए और मिशन 'बाढ़' चलाकर 24 ग्रामीणों को बचाया।

पंजाब के रूपनगर जिले के गांव हरसा बेला निवासी जसपाल सिंह बताते हैं कि दो सप्ताह पहले उनकी बांह की हड्डी टूट गई थी। बीते 14 अगस्त को नूरपुर बेदी के एक अस्पताल में डॉक्टर ने ऑपरेशन कर बांह में रॉड डाली थी। हाथ पर लोहे के तार लगे थे। इसी दौरान सूचना मिली कि जलस्तर बढ़ने के कारण भाखड़ा बांध से पानी छोड़ा जा रहा है, जो उनके गांव में जा रहा है।

'मुझे रातभर नींद नहीं आई...'

वह बताते हैं, मुझे रातभर नींद नहीं आई। सोचता रहा कि घर व परिवार का क्या हाल होगा, लोग कैसे होंगे? 15 अगस्त की सुबह पता चला कि गांव का निचला इलाका पानी में डूब गया है। बचाव के लिए लोग ऊपरी इलाकों में पलायन कर गए हैं। सोच रहा था कि किसी भी तरह जाकर लोगों को बचा लूं, लेकिन डॉक्टर मुझे जाने से रोक रहे थे। आखिर रहा नहीं गया और 16 अगस्त की सुबह डॉक्टरों और कर्मचारियों की नजर से बचकर निकला और गांव के पास पहुंच गया।

जसपाल सिंह ने बताया कि गांव में जलस्तर लगातार बढ़ रहा था। एनडीआरएफ की टीम भी पेड़-पौधों की वजह से गांव में दाखिल होने में खतरा बता रही थी। लेकिन, मैं मानने के लिए तैयार नहीं था। ऑपरेशन के कारण एक हाथ बंधा होने के बावजूद हौसले में कोई कमी नहीं थी। उस समय सेना में मिला प्रशिक्षण काम आया।

ऐसे बचाई बाढ़ पीड़ितों की जान

जसपाल बताते हैं कि वह तुरंत ट्रक के टायर की चार ट्यूब खरीदकर लाए। इन ट्यूबों में हवा भर कर सभी को एक साथ बांध दिया। इसके बाद इन ट्यूब के ऊपर एक चारपाई को उलटा करके बांध दिया। इस तरह जुगाड़ू किश्ती तैयार की और तैराकी जानने वाले गांव के साथियों जसपाल सिंह, हरजिंदर सिंह, सतविंदर सिंह, मलकीत सिंह, महिंदर व जुझार सिंह को साथ लिया। इसके बाद उस किश्ती से गांव के बुजुर्गों, बच्चों और महिलाओं को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाना शुरू कर दिया। पांच बार में 24 ग्रामीणों को निकाल लिया गया।

वह बताते हैं कि अस्पताल लौटने पर डाक्टर ने बिना बताए जाने के लिए डांटा भी था। वर्ष 2019 में भी लोगों को बाढ़ से निकाला थासेना की 16वीं सिख बटालियन में 20 साल सेवा करने वाले जसपाल सेवानिवृत्ति लेकर गांव में रह रहे हैं। वह बताते हैं कि 2019 में भी बाढ़ आई थी। उस समय भी उन्होंने किश्ती लेकर लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला था। उस समय रात में पानी बढ़ना शुरू हुआ था। सुबह छह बजे उन्होंने बचाव मुहिम शुरू की थी।

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