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Punjab News: पथरीली जमीन पर अंकुरित हुआ उम्मीदों का बीज, कुदरती खेती से मिला रोजगार का अवसर

Punjab News भूमिका नामक पुस्तक में राष्ट्रीय स्तर पर अपना लेख प्रकाशित करवाने का गौरव हासिल करने वाली रूपनगर के ब्लाक नूरपुरबेदी की रेखा शर्मा का डीसी रूपनगर डा. प्रीति यादव ने सम्मान करते हुए मनोबल बढ़ाया है

By ARUN KUMAR PURIEdited By: Vipin KumarUpdated: Sat, 05 Nov 2022 06:42 PM (IST)
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रूपनगर के ब्लाक नूरपुरबेदी की रेखा शर्मा का डीसी ने किया सम्मान। (जागरण)

संवाद सहयोगी, रूपनगर। किसान मेले में महिलाओं की भूमिका नामक पुस्तक में राष्ट्रीय स्तर पर अपना लेख प्रकाशित करवाने का गौरव हासिल करने वाली रूपनगर के ब्लाक नूरपुरबेदी की रेखा शर्मा का डीसी रूपनगर डा. प्रीति यादव ने सम्मान करते हुए मनोबल बढ़ाया है। उल्लेखनीय है कि किसान मेले में महिलाओं की 'भूमिका' नामक पुस्तक में प्रकाशित करने के लिए देश भर से लेख प्राप्त किए गए थे। इसी कड़ी में पंजाब राज्य की तरफ से जो लेख भेजे गए थे उनमें मात्र एक लेख का चयन करते हुए उक्त लेख को इस पुस्तक में स्थान दिया गया है, जोकि पंजाब के साथ साथ जिला रूपनगर के लिए भी गर्व का विषय है।

इस लेख को लिखने वाली रेखा शर्मा पुत्री राकेश शर्मा वासी गांव रामगढ़ सीकरी ब्लाक तलवाड़ा जिला होशियारपुर पिछले काफी समय से जिला रूपनगर के ब्लाक नूरपुरबेदी में पीएसआरएलएम अजीविका योजना के अंतर्गत बतौर ब्लाक प्रोग्राम मैनेजर तैनात हैं। रेखा शर्मा की इस उपलब्धि से प्रभावित होकर डीसी रूपनगर डा. प्रीति यादव ने उन्हें अपने दफ्तर में आमंत्रित करते हुए बधाई देकर मनोबल को बढ़ाया है। इस मौके डीसी ने कहा कि आज हर क्षेत्र में जहां महिलाओं के द्वारा सराहनीय उपलब्धियां हासिल की जा रही हैं वहीं किसानी के क्षेत्र में भी महिलाओं की भूमिका अहम व सराहनीय है। उन्होंने कहा कि महिलाएं कुदरती खेती के साथ साथ रिवायती फसली चक्र में बदलाव लाने अहम भूमिका अदा कर सकती हैं।

उन्होंने महिलाओं को घरेलू बगीची के लिए प्रेरित करने के साथ साथ रिवायती फसली चक्र में बदलाव लाने के लिए आगे आने को कहा। कुदरती खेती ने बदली तस्वीर रेखा शर्मा ने बताया कि उसने जीवन में हमेशा अपने माता-पिता की समाज सेवी सोच को अपनाया। रेखा ने बताया कि उसके पिता ने हमेशा यही कहा कि अपने लिए तो हर कोई जीता है लेकिन एक बार मिले इस जीवन में समाज के किसी एक वर्ग का भला करना ही सही मायने में जीना है। उसने बताया कि पिता की इसी विचारधारा को उसने अपने जीवन में अपनाया हुआ है।

रेखा ने बताया कि वर्ष 2003 में उसने कुदरती खेती को अपनाया। खेती करने के इस तरीके ने जिसके तहत हरड़, बहेड़ा, आंवला, गलो, जंगली करेला और हल्दी आदि की खेती करनी शुरू की जिसके बाद आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं का सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाकर अपने साथ न केवल 15 महिलाओं को जोड़ा, बल्कि पथरीली जमीन पर उम्मीदों का बीज अंकुरीत कर कई लोगों को रोजगार के अवसर दिए। रेखा ने बताया कि कंडी एरिया होने के साथ साथ पथरीली जमीनें, बारिश की कमी, जंगली जीवों द्वारा फसलों की बर्बादी तथा लोगों में जागरूकता की कमी के कारण कामयाब होना आसान तो नहीं था लेकिन, उसने व उसके ग्रुप की महिलाओं ने हिम्मत नहीं हारी।

पहले गांव और फिर प्रदेश स्तर पर पहुंचने लगे रेखा के उत्पाद

रेखा ने बताया कि उन्होंने कुदरती जड़ी-बूटियों और औषधि युक्त चीजों को प्रोसेस करके एसएसएमएसएचजी के माध्यम से पहले गांव स्तर पर फिर पंजाब राज्य के विभिन्न शहरों व कस्बों के साथ साथ आस पास के राज्यों में लगने वाले किसान मेलों तथा सरस मेलों के माध्यम से अपने उत्पादों को आम लोगों तक पहुंचाया।

राज्य और केंद्र सरकार की ओर से मिल चुका है पुरस्कार

रेखा ने बताया कि अनथक प्रयासों से सफलता मिली तथा उसके सहित ग्रुप की सारी महिलाएं आत्म निर्भर हुई जिसके आधार उसे पहले नेशनल अवार्ड मिला जिसके बाद पंजाब कृषि विश्व विद्यालय लुधियाना द्वारा सम्मानित किया गया तथा बाद में स्टेट अवार्ड भी मिला जबकि अब इसी सफर पर आधारित लेख किसान मेले में महिलाओं की भूमिका नामक पुस्तक में प्रकाशित होने से उन्हें बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है।