Sangroor News: दलवीर सिंह गोल्डी की कांग्रेस से बढ़ी नाराजगी, सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर कर लिखी दिल की बात
पंजाब कांग्रेस जिला प्रधान दलवीर सिंह गोल्डी की कांग्रेस से नाराजगी बढ़ती दिखाई दे रही है। संगरूर सीट से सुखपाल खेहरा को टिकट मिलने के बाद दलवीर सिंह पार्टी से खफा हैं। दलवीर गोल्डी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंड पर सोचदे हां इक नवां कोई राह बना लईये... संदेश लिखकर नई चर्चा आरंभ कर दी है। उनका यह संदेश किसी नई पार्टी का दामन थामने का संदेश हो सकता है।
जागरण संवाददाता, संगरूर। लोकसभा हलका संगरूर (Lok Sabha Seat Sangroor) से कांग्रेस द्वारा विधायक सुखपाल खेहरा को पैराशूट से उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतारे जाने के बाद से नाराज चल रहे कांग्रेस के जिला प्रधान दलवीर सिंह गोल्डी (Dalveer Singh Goldy) की नाराजगी खत्म होती दिखाई नहीं दे रही है।
दलवीर गोल्डी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंड पर सोचदे हां इक नवां, कोई राह बना लईये... संदेश लिखकर नई चर्चा आरंभ कर दी है। उनका यह संदेश किसी नई पार्टी का दामन थामने का संदेश हो सकता है।
इस वजह से नाराज गोल्डी
बता दें कि पिछले सप्ताह सुखपाल खेहरा, पीपीसीसी प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग, पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर कौर भट्ठल, कैप्टन संदीप संधू खुद दलवीर गोल्डी के घर उनकी नाराजगी दूर करने पहुंचे थे, जहां दलवीर गोल्डी सहित उनकी पत्नी सिमरत कौर खंगुड़ा ने सुखपाल खेहरा के हक में चलने का एलान किया था, लेकिन बताया जा रहा है कि पिछले कुछ दिन से चुनाव प्रचार दौरान जिला प्रधान गोल्डी को खास तवज्जो न दिए जाने से दलवीर गोल्डी नाराज दिखाई दे रहे हैं।यह भी पढ़ें: Congress Punjab Candidate List: पंजाब में कांग्रेस ने अपनी तीसरी लिस्ट की जारी, लुधियाना से राजा वडिंग को मिला टिकट
सोशल मीडिया पर किया पोस्ट
सोमवार सुबह गोल्डी ने गाड़ी की फ्रंट सीट पर बैठे हुए तस्वीर शेयर करते संदेश लिखा है कि सोचदे हां इक नवां, कोई राह बना लईये, किन्ना चिर उह राह पुराने, लभदे रहांगे। रूक गई इस जिंदगी नुं, धक्के दी लोड है, इक वार चल पए, तां फिर वगदे रहांगे। हनेरियां दी रात विच्च, चानण दी लोड है, दिवे नहीं- जुगनूं सही, पर जगदे रहांगे...।
मतलब सोचता हुं एक नया रास्ता बना लूं, कितना समय वो पुराने रास्ते ढुंढते रहेंगे। रूक गई इस जिंदगी को अब धक्के की जरूरत है। एक बार चल पड़े तो फिर बहते रहेंगे। अंधेरी रात में रोशनी की जरूरत है। दीया नहीं, जुगनू ही सही, पर जगते रहेंगे।
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